गोरखपुर (ब्यूरो)। शहर में साल 2020 में दिसंबर तक जहां गोरखपुर में 711.19 मिलियन यूनिट बिजली की खपत की गई थी। वहीं इस बार यह आंकड़ा कई गुना बढ़कर 748.19

मिलियन यूनिट बिजली इस्तेमाल हुई है। बिजली विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिजली की करीब 5 परसेंट अधिक खपत हुई। इस साल बिजली निगम ने पॉवर कॉर्पोरेशन को

प्रति यूनिट बिजली का थ्रू रेट 7.73 रुपया दिया है जबकि वर्ष 2020 में प्रति यूनिट थ्रू रेट 7.24 रुपया था। यानि इस साल बिजली की अधिक खपत के साथ विभाग को प्रति यूनिट

49 पैसे एक्स्ट्रा अदा भी करने पड़े हैं।

सेकेंड डिवीजन में खपत ज्यादा

जिले में बिजली विभाग के चारों उपखंडों की बात करें तो फस्र्ट और सेकेंड डिवीजन में बिजली की खपत काफी ज्यादा की गई है। इसमें भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल डिवीजन सेकेंड में

किया गया है। 2020 में जहां फस्र्ट डिवीजन ने 234.59 मिलियन यूनिट बिजली जलाई थी, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 246.04 यूनिट पहुंच गया। इसी तरह डिवीजन सेकेंड में

2020 में 237.50 मिलियन यूनिट बिजली की खपत की गई थी, जबकि 2021 में 258.04 यूनिट बिजली जलाई गई है। महानगर में डिविजन थर्ड और फोर्थ डिविजन में बिजली

खपत अधिक हुई है। बिजली निगम की ओर से चलाए गए तमाम अभियान के बाद भी इन डिवीजनों में बिजली की खपत को कम करने में विभाग फेल साबित हो रहा है।

डिविजन वर्ष 2020 वर्ष 2021

डिविजन फस्र्ट 234.59 246.04

डिविजन सेकेंड 237.50 258.04

डिविजन थर्ड 96.07 98.13

डिविजन फोर्थ 143.01 145.19

बॉक्स -

बिल जमा करने में सेकेंड डिफॉल्टर

एक तरफ जहां बिजली खपत के मामले में डिवीजन सेकेंड अव्वल है, तो वहीं बिजली का बिल जमा करने में यह नीचे से टॉप पर है। आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जहां फस्र्ट

डिवीजन में 154 करोड़ रुपए की बकाएदारी है, वहीं सेकेंड डिवीजन में 191 करोड़ रुपए बकाया है। फस्र्ट डिवीजन में 17525 कंज्यूमर्स पर यह बकाएदारी है, तो सेकेंड डिवीजन में

कंज्यूमर्स की संख्या तो 16232 है, लेकिन बकाएदारी के मामले में यह फस्र्ट डिवीजन से आगे हैं। यह वह कंज्यूमर्स हैं, जिनका 10 हजार रुपए से अधिक का बकाया है। इसके अलावा

भी विभाग के लोग काफी कर्जदार हैं।

डिविजन कंज्यूमर्स बकाया

फस्र्ट 17525 154 करोड़

सेकेंड 16232 191 करोड़

थर्ड 5156 37 करोड़

फोर्थ 6410 49 करोड़

खपत को कम करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जहां तक ठंड के मौसम की बात की जाए तो इस बार खपत कम हुई हैं। कोशिश की जा रही है कि लाइनलॉस कम किया

जाए।

ई। यूसी वर्मा, एसई शहर