गोरखपुर (ब्यूरो)। मानसिक रोग विभाग के साइकोलॉजिस्ट डॉ। अमित शाही बताते हैैं कि कोरोना से बच्चों की मनोदशा पर गहरा असर पड़ा है। उन्हें एक तरफ जहां अपने एजुकेशन की चिंता सता रही हैैं। तो स्कूल जाने पर कोरोना का डर भी मन में है। उन्हें फोबिया है। लेकिन डरने के बजाय कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। ऑनलाइन के बाद शुरू हुए ऑफलाइन क्लासेज से बच्चों में जहां थकान, सिरदर्द व अन्य समस्याएं बढ़ी हैं। वहीं कुछ बच्चे इससे जल्द उबर रहे हैं तो कुछ बच्चों को संभलने में थोड़ा समय लग रहा है। साइकोलॉजिस्ट श्वेता जॉनसन बताती हैैं कि कोविड मेें बच्चे घर के अंदर ही रहकर अपनी ऑनलाइन पढ़ाई करते रहे। जब वह घर से बाहर नहीं निकले तो उनकी मनोदशा प्रभावित हुई है, लेकिन ऑफलाइन स्टडी कर रहे बच्चों को फिर से कोरोना का डर सता रहा है, लेकिन उन्हें इस डर से बाहर करने के लिए काउंसलिंग की जा रही है। अगर घर से निकले भी तो बच्चों के लिए मास्क व हैंड सेनेटाइजेशन जरूरी है। जो वैक्सीनेटेड नहीं हैैं। वे अपनी वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज जरूर ले लें।
फैक्ट एंड फीगर
वर्ष - कुल संक्रमित - मेल - फीमेल
0-2 वर्ष - 54 - 29 - 25
3-12 वर्ष - 238 - 146 - 93
13-18 वर्ष - 432 - 257 - 174
कुल -724 - 432 - 292
(नोट: यह आंकड़े 10 जनवरी से शुरू हुए बच्चों के वैक्सीनेशन के बाद के हैं.)
एक नजर मेें वैक्सीनेशन
12- 14 वर्ष तक - 2,07,783
15-17 वर्ष तक - 5,85,266
18-44 वर्ष तक - 47,04,245
45-60 वर्ष तक - 14,13,935
60 वर्ष से उपर - 8,98,730
बच्चों का वैक्सीनेशन तेजी से हो रहा हैै, लेकिन जो लोग अपने वैक्सीनेशन को लेकर सजग नहीं हैैं। वे करवा लें। बच्चे दूसरी डोज जरूर लें, वहीं जिन लोगों ने प्रिकॉशन डोज नहीं लिए हैैं। वे भी ले लें।
डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ गोरखपुर