गोरखपुर (अनुराग पांडेय)। अनिता और नंदिनी मिलकर 100 से अधिक एलकेजी से क्लास 8 तक के बच्चों को पढ़ा रही हैं। इसके बदले में फीस के रूप में हर बच्चे से वह 10 प्लास्टिक लेती हैं। सिंगल यूज प्लास्टिक की रोकथाम के लिए एमए पास अनिता निषाद और बीए कर रही नंदिनी प्रजापति के अनोखी मुहिम की हर तरफ चर्चा हो रही है।

ऐसे करती हैं अवेयर

जंगल तिकोनियां नंबर 2 निवासी अनिता और नंदिनी ने 2015 से अपने वार्ड के एक बगीचे में बच्चों को फ्री में पढ़ाना शुरू किया। पढ़ाई के बदले में जब बच्चों ने फीस पूछी तो उनसे दस-दस प्लास्टिक लेने लगीं। दोनों ने बताया कि करीब 100 बच्चे डेली एक हजार प्लास्टिक इधर उधर से कलेक्ट करके लाते हैं। उसे एक बोरे में रखा जाता है। तीन माह में करीब 6 क्विंटल तक प्लास्टिक डंप हो जाती है। फिर इसे एक दुकान पर देते हैं, जहां पर इन प्लास्टिकों से करायल बनाया जाता है। इससे सड़क से ना गलने वाला प्लास्टिक दूर हो जाता है। वहीं, मजबूत सड़क के लिए करायल भी मिल जाता है।

बच्चों को बढ़ा रही मनोबल

अनिता और नंदिनी ने बताया, बहुत से ड्राप आउट बच्चे भी पढऩे आते हैं, जिनके फेल होने से मनोबल गिर चुका था। अब उन्हें पढऩे के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

सीएम ने किया सम्मानित

बता दें, अनिता कुश्ती की प्लेयर तो नंदिनी एक अच्छी एथलीट हैं। दोनों अपने प्रदर्शन की बदौलत राज्यस्तरीय कॉम्पटीशन में भी पार्टिसिपेट करती रहती हैं। अनिता और नंदिनी को सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अनोखी मुहिम चलाने के लिए ही बीते 14 अक्टूबर को सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में सम्मानित किया है। दोनों खिलाडिय़ों का कहना है कि और भी लोग इस मुहिम को आगे बढ़ाने में मदद करें तो सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। दोनों खिलाडिय़ों के कोच शिव शंकर यादव भी इस मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं।

स्लम चिल्ड्रेन का फ्चूयर संवार रहीं सोनिका

सड़क पर घूमने वाले और आर्थिक तंगी झेल रहे परिवार के बच्चों का फ्यूचर सोनिका खरवार संवार रही हैं। इनको सभी बच्चे सोनिका दीदी कहकर पुकारते हैं। गरीब बस्तियों में जाकर वहां स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को सोनिका खोजकर निकालती हैं। फिर उन्हें कुछ दिन पढ़ाकर स्कूल में दाखिला भी दिलवाती हैं। सिटी के कई एरियाज में सोनिका की क्लास आपको चलती मिल जाएगी। सोनिका बताती हैं कि वर्तमान समय में उनके पास अलग-अलग एरियाज के 100 से अधिक बच्चे हैं, जिन्हें उनकी टीम शिक्षित कर रही है। उन्होंने बताया कि मैं बच्चों को इस लायक बनाने का प्रयास करती हूं कि उनका किसी भी स्कूल में दाखिला आसानी से हो जाए।