गोरखपुर (ब्यूरो)।दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के सर्वे में सामने आया कि रेगुलर स्टडी से बच्चों मेें प्रेशर नहीं के बराबर है। यदि इक्का-दुक्का कंफ्यूजन है भी तो वे एक्सपट्र्स से सजेशन ले रहे हैं। एक्सपट्र्स का कहना है, पेरेंट्स अपने बच्चों से अधिक माक्र्स की बात नहीं करें, बल्कि अच्छी स्टडी के लिए प्रेरित करें। कुछ सवालों के आंसर भी साइकोलॉजिस्ट ने दिए हैं। एक्सपर्ट द्वारा दी गई एडवाइज स्टूडेंट को 100 परसेंट टेंशन से दूर रखेगी। आइए जानते हैं एक्सपर्ट की राय

क्या है एग्जाम फोबिया?

एक्सपर्ट ने बताया, फोबिया का अर्थ होता है असंगत वास्तविक भय। जैसे-जैसे एग्जाम नजदीक आता है तो बच्चों में कुछ लक्षण विशेष तौर पर दिखने लगते हैं। जैसे बुखार का आ जाना, चक्कर आना, उल्टी लगना, शरीर में कहीं पर भी दर्द होना, बहुत ज्यादा पसीना आना, पढ़ाई में मन न लगना, कुछ याद कर पाने में अपने को अक्षम पाना इत्यादि। जब घर वाले कहते हैं, रहने दो छोड़ दो, तो अचानक से यह सारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं तब समझना चाहिए कि बच्चे को एग्जाम फोबिया हो गया है।

एग्जाम फोबिया के लिए अपनाएं स्ट्रेटजी

एक्सपर्ट ने कहा, डर के कारण का पता लगाएं। तभी उनसे निपटा जा सकता है। इससे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि पूरे घर का माहौल पॉजिटिव रखा जाए। बच्चे को भी एग्जाम से जुड़े परिणामों को हसंते खेलते सुनाना चाहिए।

एक्सपट्र्स ने दिए आंसर

आरती प्रियदर्शिनी: मेरा बेटा इस साल दसवीं का एग्जाम दे रहा है। अपनी तैयारी को लेकर वह कॉन्फिडेंट तो है और ज्यादा स्ट्रेस भी नहीं ले रहा, लेकिन उसे रह रह कर इस बात का डर है कि कहीं वह बीमार ना पड़ जाए या एग्जाम्स में कठिन प्रश्न ना आ जाए?

आंसर: कई बार बच्चों की तैयारी वास्तव में बहुत अच्छी होती है तो इस वजह से वह परीक्षा को लेकर हल्का रवैया अपनाते हैं। अगर बच्चा अपने सिलेबस को या उसके अंतर्गत आने वाले कुछ टॉपिक को अच्छे से नहीं समझा है तो यह उसके डर का एक कारण हो सकता है। याद रखें कि हर 40 से 45 मिनट की पढ़ाई के बाद 15 से 20 मिनट का ब्रेक अवश्य लें और जो कमी पढ़ाई के दौरान रह गई है। उसे हम रिवीजन से पूरा करेंगे। यह विश्वास बच्चे अपने अंदर रखें।

अंकिता टेकरीवाल: आईसीएससीई 12वीं में किसी-किसी सब्जेक्ट में गैप कम है, इस स्टे्रस से कैसे निपटना है?

आंसर: बच्चे को इस समय एक्सट्रा कुछ भी पढऩे की जरूरत नहीं है। रेगुलर क्लास में जो पढ़ाया गया है। वही सवाल भी पूछे जाते हैं, इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है।

पेरेंट्स के लिए सुझाव

1. बच्चों पर अच्छे माक्र्स परसेंटेज का दबाव न बनाएं।

2. घर में हर समय पढ़ते रहने का भी दबाव न बनाएं।

3. एग्जाम काल को एक उत्सव के रूप में मनाएं और घर पर पढ़ाई का माहौल बनाकर रखें जैसे खुद भी बेवजह टीवी व मोबाइल न चलाएं और घर पर मेहमानों के आने की दशा में बच्चों को इंवॉल्व ना करें।

4. अगर आप खुद उनकी पढ़ाई और रिवीजन में शामिल हो सकते हैं तो जरूर होना चाहिए।

5. सबसे महत्वपूर्ण की बच्चों की तुलना उनके दोस्तों या रिश्तेदारों से कतई ना करें।

स्टूडेंट्स क्या करें?

- नींद अच्छी लें, जंक फूड से बचें।

- नोट्स अवश्य तैयार करें, लिखने की कला को सीखें, स्पीड और सटीकता पर ध्यान दें, प्रैक्टिस करें।

- मन को शांत रख, गार्जियन से जरूर बात करें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं।

- एक घंटे पढऩे के बाद 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें।

- अत्यधिक स्ट्रेस होने की स्थिति में एंटी एंजाइटी काउंसिलिंग अवश्य लें।

पढ़ाई के बीच में स्टूडेंट 15 से 20 मिनट के लिए कुछ स्ट्रेच एक्सरसाइज जरूर करें। जैसे प्राणायाम या मेडिटेशन, या कुछ लाइट म्यूजिक सुन सकते हैं, कुछ हल्का खा पी सकते हैं, ताकि पढ़ाई पर फोकस बना रहे।

सीमा श्रीवास्तव, साइकोलॉजिस्ट

पेरेंट्स घर का माहौल अच्छा बनाएं। बच्चे को सोशल मीडिया, मोबाइल, इंटरनेट इत्यादि से दूर रखें। बच्चे की कोशिशों को सराहें, डांटने की बजाय प्रॉब्लम्स को सुन कर समाधान दें। बच्चों के लिए ये जरूरी है कि वे अच्छी नींद लें।

श्वेता जॉनसन, साइकोलॉजिस्ट