हजारों के सिस्टम पर धूल

सीसी कैमरे के मॉनीटरिंग रूम में धूल की परत जमी है। न कैमरे चल रहे हैं और न ही रिकार्डिंग हो रही है। यहां तक की कोई ऑपरेटर तक मौजूद नहीं है। चौकी में स्थित एक कमरे के कोने पर सिस्टम सजा तो है लेकिन हाथी दांत की तरह। सिस्टम को पीकदान बना रखा है। कंप्यूटर में मिïट्टी की मोटी परत जम गई है। जिम्मेदार पुलिस कर्मियों पूछे जाने पर उसे तत्काल साफ सफाई करने का दम भरते हंै और फिर मुड़ कर चल देते है।

बिजली न होने का हवाला

बिजली के बिना कंप्यूटर सिस्टम कैसे चलेगा। दिन और नाइट में बिजली कटौती की मार केवल पब्लिक ही नहीं झेल रही बल्कि पब्लिक की सिक्योरिटी के लिए लगाए गए उपकरण पर भी असर पड़ रहा है। जिन चौकी पर सीसी कैमरे और रिकार्डिंग सिस्टम लगे हंै वहां इर्न्वटर न होने के चलते कैमरे चालू नहीं रहते हंै। पुलिस कर्मियों का कहना है कि लाइट होने पर ही कैमरे काम करते हैं और बिजली न रहने पर कैमरे दम तोड़ देते हैं।

फिर क्यों किया पैसा बर्बाद?

एक तरफ पुलिस डिपार्टमेंर्ट सीसीटीएन सिस्टम से जुड़ कर हाईटेक होने का दम भर रही है। इसके लिए कई प्रोग्र्राम भी चलाए जा रहे हंै। पुलिसकर्मियों को कंप्यूटर कोर्स कराया जा रहा है। थानों पर सोलर लाइट और इन्वर्टर का बजट भी दिया गया है लेकिन जहां कैमरे हैं वहां न तो इन्वर्टर लगाए गए है और न ही मेंटेन करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। बस एक्शन के नाम पर एक बार इनवेस्टमेंट कर दिया गया। जिसका काम क्राइम और ट्रैफिक दोनों को कंट्रोल करने का था जबकि अब हालत यह है कि उसका कंट्रोल की बिगड़ गया।

कई कैमरे और रिकार्डिंग सिस्टम खराब है। उनको चेक कराया गया है। जल्द ही उन सिस्टम को सही कराया जाएगा। बजट के अनुरूप अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी।

शलभ माथुर, एसएसपी

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