सरवा पर डाल लेकर चले ले बेटवां

व्रती महिलाएं शाम को डूबते सूरज को अघ्र्य देने के लिए घाट पहुंचीं। पीछे पीछे व्रती महिलाएं चल रही थी और उनके आगे सिर पर डाल लेकर उनके घरों के पुरुष सदस्य चल रहे थे। व्रती गंगाजल से भरे कलश को लिए छठ मइया के गीत गा रही थी। सूरजकुंड, राजघाट, गोरखनाथ मंदिर, रामगढ़ ताल और महेसरा समेत सिटी के कई जगहों पर घाट बनाए गए थे। जगमगाती रोशनी और छठ के गीतों के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बन रही थी। घाटों पर पहुंचते ही सबसे पहले व्रतियों ने वेदी सजाई। गणेश की वंदना के साथ पूजा आरंभ हुई और व्रतियों ने पानी में उतरकर सूर्य देवता को नमन कर आराधना की। सूर्य देवता के डूबने के साथ महिलाओं ने फलों से सजे सूप को जल से स्पर्श करा सूर्य देवता को नमन किया और अघ्र्य दिया। सूरज डूबने के साथ ही व्रती महिलाएं कलश में दीप जलाकर छठ गीत गुनगुनाते हुए घरों को लौटी। सैटर्डे को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही छठ पर्व संपन्न हो जाएगा।

घाटों पर सजा मेला, लगे स्टाल

शहर के विभिन्न घाटों को जगमगाती रोशनी से सजाया गया। घाट के आस-पास मेले जैसे माहौल था। छठ गीत के साथ घाट पर कई स्वयं सेवी संस्थाओं के स्टॉल भी लगे थे। घाटों पर संगीतमय कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। सूरजकुंड घाट पर उत्तराखंड में दैविक आपदा में खत्म हुए लोगों की आत्मा की शांति के लिए कैंडिल भी जलाए गए। शहर के विभिन्न घाटों पर भीड़ को देखते हुए पुलिस और प्रशासन मुस्तैद नजर आए।