गोरखपुर (ब्यूरो).सावन मास के पहले सोमवार को तड़के रात 3 बजे से ही हाथों में जल की लुटिया और पूजन की थाल लिए श्रद्धालु शिवालयों पर पहुंचने लगे थे। देखते ही देखते शिवालयों के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई। मंदिर में पुजारियों ने पूजन-अर्चन के बाद सुबह चार बजे शिवालयों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले दिए। इसके बाद शुरू हुआ बाबा के जलाभिषेक और पूजन-अर्चन का सिलसिला, जो देर शाम तक चलता रहा। इस बीच मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धालुओं ने पहले महादेव का जलाभिषेक किया। इसके बाद भांग, धतूरा, बेलपत्र, श्वेत मदार के पुष्प, गन्ना आदि चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की, जिन श्रद्धालुओं ने व्रत रखा था, उन्होंने शाम को फलाहार ग्रहण किया, वे मंगलवार को व्रत का पारण करेंगे।

1.20 लाख श्रद्धालुओं ने महादेव झारखंडी व मुक्तेश्वरनाथ में किया जलाभिषेक

कूड़ाघाट स्थित महादेव झारखंडी में सुबह मंदिर के पुजारी इंद्रेश गिरि ने पूजन के बाद मंदिर के कपाट खोल दिए। यहां देखते ही देखते श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई। मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष शिवपूजन तिवारी ने बताया कि सावन मास के पहले दिन महादेव झारखंडी में करीब 70 से 80 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा का जलाभिषेक किया। यही हाल राजघाट स्थित मुक्तेश्वरनाथ शिव मंदिर का रहा। मंदिर के पुजारी रमानाथ ने बताया कि यहां करीब 50 से 60 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा का जलाभिषेक किया।

शिवालयों में पहुंचे श्रद्धालु

महानगर के अंधियारीबाग स्थित मानसरोवर शिव मंदिर में भी हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इसके साथ ही बड़े काजीपुर स्थित शिवाला, बेतियाहाता हनुमान मंदिर, मेडिकल कॉलेज रोड शिव मंदिर, विष्णु मंदिर, सूर्यकुंडधाम, शिव मंदिर भेडिय़ागढ़, शिव मंदिर तारामंडल, गोपाल मंदिर मोहद्दीपुर आदि शिवालयों में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ जलाभिषेक किया।

महादेव का जलाभिषेक कर लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प

सूर्यकुंड धाम में सूर्यकुंड धाम विकास समिति की ओर से आयोजित सावन उत्सव के पांचवें दिन सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इस दौरान रुद्राभिषेक पाठ के बीच समिति के कार्यकर्ताओं व श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। इसके बाद शिव महाआरती की गई। पंडित शैलेश पांडेय ने भगवान शिव की महिमा का बखान करते हुए बंधन और मोक्ष का विवेचन, शिव पूजा का उद्देश्य, शिव पूजा का विधान, भस्म के स्वरूप का निरूपण और महत्व, गुरु शब्द की उत्पत्ति व शिव के भस्म धारण करने के महत्व पर प्रकाश डाला। समस्त कार्यक्रम का नेतृत्व समिति के संयोजक संतोष मणि त्रिपाठी ने किया। संचालन अर्चना शर्मा व आभार नीतू श्रीवास्तव ने जताया। इस अवसर पर मदन राजभर, कनक लता मिश्रा, रामचंद्र दास, सपना लखमानी, सरस्वती त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।