गोरखपुर (ब्यूरो)। 400 बेड वाले वार्ड में हर दिन निमोनिया से ग्रसित चार से पांच मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। डॉक्टर्स ने सलाह दी है कि बच्चों को बिना वजह बाहर लेकर न निकलें।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग एचओडी डॉ। भूपेंद्र शर्मा ने बताया, निमोनिया के केस धीरे-धीरे आने लगे हैं। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पीडियाट्रिक ओपीडी में 15 से 20 बच्चे डेली आ रहे हैं। इसमें से चार से पांच निमोनिया के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। इनमें छह माह से लेकर दो साल के बच्चे शामिल हैं। वहीं, 40 साल के बुजुर्ग भी इसकी चपेट में है। कई मामलों में तो बच्चों को 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट तक फीवर हो जा रहा है।

नवजातों में निमोनिया और वायरल फीवर के मामले अधिक

मेडिकल कॉलेज में मौजूदा समय में 118 से अधिक नवजात भर्ती है। इनमें निमोनिया और वायरल फीवर की समस्या अधिक है। साथ ही कुछ में पीलिया के भी लक्षण मिले हैं। औसतन देखा जाए तो हर पांच में दो बच्चे वायरल फीवर से पीडि़त हैं। कुछ बच्चों में सांस लेने में भी तकलीफ की शिकायतें मिली हैं। इन बच्चों की जांच कराई गई तो पता चला कि इनमें निमोनिया का असर ज्यादा है। इसके अलावा फेफड़े भी संक्रमण की चपेट में है।

कम हो जाती है इम्यूनिटी

बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है। खासकर छह माह या फिर दो साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को निमोनिया होने की संभावना होती है। क्योंकि इनकी इम्यूनिटी कम होती है। निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह बैक्टीरिया, वायरल के कारण भी हो सकता है। निमोनिया होने पर बुखार जैसे लक्षण महसूस होते हैं।

निमोनिया से बचाव

- निमोनिया होने पर अपने असामान्य आहार को बनाए रखने की कोशिश करें।

- प्रतिदिन छह से आठ गिलास पानी पीएं।

- अच्छे तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग करें।

- समय से टीका लगवाएं।

- हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का सेवन करें।

- मीट, मछली और अंडे के हल्के भोजन का सेवन करें।

- अच्छी तरह से पकाई हुई सब्जियों का सेवन करें।

- बच्चों को उतने ही कपड़े पहनाएं, जिससे उसका शरीर गर्म हो।

- घर में व आसपास साफ-सफाई रखें।

- छोटे-छोटे बच्चों का खास ख्याल रखें और उन्हें बचाएं।

- आवश्यकता पडऩे पर निमोनिया का टीका लगवाएं।

निमोनिया के सिंप्टम्स

- बलगम वाली खांसी आना।

- निमोनिया कमजोर या थका हुआ महसूस कराता है।

- सांस लेने में दिक्कत होना।

- तेजी से सांस लेना, सीने में दर्द, बेचैनी होना।

- भूख कम लगना।

बदलते मौसम में निमोनिया के केसेज आ रहे हैं। इसमें चार से पांच बच्चे बीमार होकर भर्ती किए जा रहे हैं। उनकी उम्र छह माह से दो साल से ज्यादा की है। बीमारी होने पर एक्सपर्ट डॉक्टर्स से परामर्श लें।

डॉ। भूपेंद्र शर्मा, एचओडी बाल रोग विभाग बीआरडी