गोरखपुर (ब्यूरो)। टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल से हमारी प्रोफेशनल लाइफ काफी आसान हो सकती है। ऐसी बहुत सारी समस्याएं हैं, जिनको टेक्नोलॉजी की मदद से दूर किया जा सकता है। यह बातें अमृता विश्व विद्यापीठम प्रेजेंट्स दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रीइमेजनिंग एजुकेशन वर्कशॉप के अंतिम दिन एक्सपट्र्स ने अपने सेशन के दौरान कहीं। होटल सरोवर पोर्टिको में ऑर्गनाइज इस वर्कशाप में अमृता विश्वविद्यापीठम के एकेडमिक मैनेजर और काउंसलर डॉ। शौर्य कुटप्पा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ खुद को एडजस्ट कर आगे बढऩे के टिप्स दिए। वहीं, एआई को लेकर टीचर्स से सवाल पूछे और जवाब देने के साथ कई सुझाव भी दिए। उन्होंने मेजर इंटेलिजेंस, स्ट्रांग एआई, वीक एआई समेत कई जानकारी दीं। इसके साथ ही न्यू एजुकेशन पॉलिसी और एआई के समन्वय से बेस्ट टीचिंग की सलाह दी। टीचर्स ट्रेनर शालिनी सिन्हा ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी और टीचिंग विद टेक्नोलॉजी के बारे में टीचर्स को अवेयर किया।

एआई की आदत न लगाएं

अमृता विश्वविद्यापीठम के एकेडमिक मैनेजर एंड काउंसलर, डायरेक्टरेट ऑफ एडमिशन और एकेडमिक आउटरीच डॉ। शौर्य कुटप्पा ने कहा कि जो हमारी लाइफ को आसान करे, वो टेक्नोलॉजी है। एआई काफी तेजी से अपने पैर पसार रहा है। यह तुरंत फीडबैक भी देता है। चैट जीपीटी एक अच्छी सुविधा है लेकिन यहां हर जवाब एक्यूरेट नहीं मिलेगा। इसके ज्यादा इस्तेमाल से हमारी सोचने की क्षमता कम हो सकती है। उन्होंने कहा, हम नहीं जानते हैं कि आगे फ्यूचर में इसमें क्या बदलाव देखने को मिलेगा। इसलिए इसकी आदत न लगने दें। जो स्टूडेंट्स एआई से पढ़ रहे हैं वो एडैप्टिव लर्निंग है न कि पर्सनलाइज्ड। जबकि पर्सनलाइज्ड लर्निंग ज्यादा सही होती है। चैट जीपीटी बहुत सारी जॉब्स को टेकओवर कर रहा है, लेकिन इसने हमारे सामने एक नई फील्ड को ओपन कर दिया है। डाटा साइंस से जुड़े कोर्सेज की डिमांड काफी बढ़ गई है। इसमें फ्यूचर है और साथ ही बाकी कंपनीज हायर सैलरी पैकेज भी ऑफर कर रही हैं।

अच्छा टीचर बनने के लिए चाहिए जुनून

टीचर ट्रेनर फॉर सीबीएसई एंड एनईपी फाउंडर डायरेक्टर कॉनशियस एजुकेशन शालिनी सिन्हा ने कहा, एक अच्छा टीचर बनने के लिए आपके अंदर जुनून होना चाहिए। हम फ्यूचर के बारे में अंदाजा नहीं लगा सकते। पढ़ाते समय हमें स्टूडेंट्स को सबसे पहले इंसान समझने की जरूरत है। उनको सोचने के लिए हमेशा एक मौका देना चहिए। हमें उनके दिल और दिमाग को सही से ट्रीट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग धरती पर कुछ न कुछ सीखने के लिए आए हैं। यह फाइनल डेस्टिनेशन बिल्कुल नहीं हैं। हमें सिचुएशन के हिसाब से चीजों को अडॉप्ट करना होगा। चैट जीपीटी अब हमारे साथ रहने वाला है। अगर कोई स्टूडेंट पढ़ाई में इसका इस्तेमाल करता है तो उसे मना न करें बल्कि उसके दिमाग से खेलें। उन्होंने कहा कि हमें कभी भी सीखना नहीं छोडऩा चाहिए। हम सभी को माइंड मैप और डायग्राम से चीजें ज्यादा जल्दी समझ में आती हैं और ज्यादा देर तक रहती हैं। स्टूडेंट्स को पढ़ाते समय एक्टिविटीज ऑर्गनाइज करें। इससे उनका कॉन्संट्रेशन बढ़ता है। प्रॉब्लम्स के बारे में उन्होंने बताया कि 'लाइफ में प्रॉब्लम्स तो आएंगी लेकिन उनको किस तरह सॉल्व करना है यह आपके ऊपर डिपेंड करता है.Ó

सवालों के दिए जवाब

दोनों सेशन के दौरान टीचर्स ने एक्सपट्र्स से सवाल पूछे। दोनों एक्सपट्र्स ने सभी सवालों का जवाब दिया और टीचर्स के डाउट क्लियर किए। उन्होंने वीडियो क्लिप और गेम्स के जरिए सेशन के इंटरेस्टिंग बना दिया।

टीचर्स को मिले सर्टिफिकेट

दो दिन के इस वर्कशॉप के समापन के बाद टीचर ट्रेनर फॉर सीबीएसई एंड एनईपी फाउंडर डायरेक्टर कॉनशियस एजुकेशन शालिनी सिन्हा और दैनिक जागरण आईनेक्स्ट गोरखपुर के एडिटोरियल हेड शिशिर मिश्र ने सभी टीचर्स को पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट दिया। टीचर्स ने बताया कि एनईपी-2020 के लागू होने के बाद टीचर्स और स्टूडेंट्स सभी में कंफ्यूजन था। इस वर्कशॉप में शामिल होकर यह काफी हद तक दूर हो गया। इसके साथ ही टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सही इस्तेमाल के बारे में भी पता चला।