- पूरा होने की बांट जोह रही सिटी के डेवलपमेंट की योजनाएं

-सेंट्रल गवर्नमेंट से मिले बजट की नहीं हो सकी पैरवी

GORAKHPUR: मैं गोरखपुर हूं, एक रात में गहरी नींद में सोया तो मैंने एक सुहाना सपना देखा। उस सपने में सिटी की तस्वीर बदली गई। अचानक सभी समस्याएं दूर हो गई। बड़ी से बड़ी समस्या छू मंतर हो गई है। पॉलीटिशियन की कोशिश से यहां का चिडि़याघर बन गया। रामगढ़ताल मरीन ड्राइव जैसा हो गया। जाम की प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए फ्लाईओवर्स बन गए। शहर की खूबसूरती देखकर मैं इतना खुश हुआ कि मेरी नींद टूट गई। तब ख्याल आया कि सपना देख रहा था जो पता नहीं कब पूरा होगा, क्योंकि सिटी में डेवलपमेंट की तो कई योजनाएं बनी लेकिन प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण उन्हें अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। आज भी ये योजनाएं आधी अधूरी अधर में लटकी हुई हैं। यदि ये योजनाएं पूरी हो गई होती तो गोरखपुर सिटी सिर्फ नाम का ही महानगर नहीं होता।

योजना : राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना

ये होता परिर्वतन : राष्ट्रीय झील सरंक्षण योजना के पूरे होने पर रामगढ़ताल की सूरत बदल जाएगी। यहां टूरिज्म का स्कोप बढ़ जाएगा। सिटी के लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट के साथ बिजनेस का नया ऑप्शन मिल जाएगा।

लागत : क्ख्ब्.फ्ख् करोड़ रुपए

वर्तमान स्थिति : राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत अप्रैल ख्0क्0 में परियोजना शुरू की गई। क्ख्ब्.फ्ख् करोड़ की लागत का बजट बनाया गया। वर्ष ख्0क्फ् में इसे पूरा होना था लेकिन तीन साल में पूरी होने वाली योजना अफसरों की लापरवाही से लंबित होती चली गई। इस परियोजना में रामगढ़ताल को साफ सुथरा बनाने के साथ ही सीवेज पंपिंग स्टेशन, दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, सवा तीन किलोमीटर बांध का निर्माण, पांच किलोमीटर बने बांध की मरम्मत, ओपेन थियेटर, दो हाईमास्ट, दो ओमेगा आईलैंड सहित कई काम होने है। लेकिन शुरू होते ही यह योजना धराशाई हो गई। इसका खर्च बढ़कर क्9म्.भ्7 करोड़ तक पहुंच गया। कंस्ट्रक्शन के लिए 87.ब्ख् करोड़ रुपए का बजट मिल गया जिसमें से करीब 7ख् करोड़ खर्च भी हो चुके हैं। कंस्ट्रक्शन में लगे लोगों का कहना है कि जिस रफ्तार से काम चल रहा है। उससे कम से कम दो साल बाद ही योजना पूरी हो सकेगी। हालांकि इस प्रोजेक्ट के मैनेजर ओपी सिंह ने बताया कि म्0 परसेंट से ज्यादा काम हो चुका है।

लापरवाही के जिम्मेदार : प्रोजेक्ट मैनेजर

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योजना : सूरजकुंड ओवरब्रिज

लागत : करीब ख्0 करोड़ रुपए

ये होता परिवर्तन : सूरजकुंड एरिया में रहने वाली करीब दो लाख की आबादी के आवागमन में सुविधा। राजघाट पुल से हार्बट बंधा होते हुए गोरखनाथ जाने में कम समय लगेगा। सिटी में भीड़ के दौरान इस रास्ते का उपयोग किया जा सकेगा।

वर्तमान स्थिति : सूरजकुंड में लेबिल क्रासिंग ओवरब्रिज का कंस्ट्रक्शन ख्009 में शुरू हुआ, लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होते ही इसमें कार्यदायी संस्था ने लापरवाही की। ब्रिज कारपोरेशन ने ओवरब्रिज का कंस्ट्रक्शन सूरजकुंड से तिवारीपुर की तरफ मोड़ दिया। इससे सैकड़ों दुकानों को तोड़ने की नौबत आ गई। करीब दो लाख की आबादी ने इसका विरोध जताया, लेकिन रेलवे बोर्ड ने अपनी जमीन पर कंस्ट्रक्शन कराने से मना कर दिया। इससे इस ओवरब्रिज का कंस्ट्रक्शन पूरा नहीं हो सका। बताया जाता है कि ओवरब्रिज का कंस्ट्रक्शन दुर्गाबाड़ी की तरफ गोरखनाथ ओवरब्रिज जैसा कराने के लिए रेलवे बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन यह काम कब पूरा होगा इस बारे में कहना मुश्किल है।

लापरवाही के जिम्मेदार : यूपी ब्रिज कार्पोरेशन के अफसर, पूर्वोत्तर रेलवे के अफसर

योजना : इंटरनेशनल जू

बजट: क्0क् करोड़ रुपए

ये होता लाभ: सिटी में इंटरनेशल लेवल का जू, मनोरंजन के लिए नया इंतजाम, सैकड़ों बेरोजगारों को लाभ

वर्तमान स्थिति : सिटी में इंटरनेशनल लेवल का जू बनाने का काम अधूरा पड़ा है। मई ख्0क्क् में पांच किलोमीटर की रेंज में जू बनाने का काम शुरू हुआ। क्0क् करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए मई ख्0क्म् तक का टाइम दिया गया। काम शुरू कराने के लिए मिले क्0 करोड़ रुपए के बजट से पैक्सपेड ने काम शुरू कराया। पांच करोड़ ब्फ् लाख की लागत से 7म्भ् मीटर लंबी दो मीटर ऊंची दीवार बनाई। म्00 मीटर तक पाईलिंग कराई गई। क्00 मीटर चौड़ाई में करीब सात सौ मीटर लंबाई में मिट्टी पटाई का काम कराया। उसके बाद पैसे की कमी बताकर काम बंद कर दिया गया। जनवरी में अफसरों ने दावा किया कि इसका काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। चिडि़याघर के प्रशासनिक भवन का शिलान्यास भी हो चुका है।

लापरवाही के जिम्मेदार : कमिश्नर, डीएम, पैक्सपेड के अफसर और नेता

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योजना: पुराने महेसरा पुल के समानांतर नये पुल का कंस्ट्रक्शन

लागत : नौ करोड़ ख्भ् लाख

ये होता लाभ : गोरखपुर-सोनौली हाइवे पर भारी वाहनों का आवागमन

वर्तमान स्थिति : गोरखपुर सोनौली हाइवे पर महेसरा पुल है। ट्रक में जैक लगाने से यह पुल ख्00म् में टूट गया। दो बार इसकी मरम्मत हुई लेकिन बात नहीं बनी। मरम्मत में ठेकेदार ने एक करोड़ 80 लाख रुपए खर्च कर दिया। ब्रिज कारपोरेशन के अफसरों ने इसकी जगह दूसरे ब्रिज के कंस्ट्रक्शन की सलाह दी। इसके लिए नौ करोड़ ख्भ् लाख का बजट सेंट्रल गवर्नमेंट ने दिया। बजट लेकर ठेकेदार फरार हो गया। कंस्ट्रक्शन का काम लटका है। कमिश्नर और डीएम भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

लापरवाही के जिम्मेदार : ठेकेदार और ब्रिज कॉर्पोरेशन के अफसर

योजना : डोमिनगढ़ में रोहिन नदी ब्रिज

लागत : 9क्भ्.7ब् लाख रुपए

यह होता लाभ : सहजनवां से सिटी में आने के लिए नया रास्ता

वर्तमान स्थिति : डोमिनगढ़ में पुल बनाने के लिए गवर्नमेंट ने बजट दिया। करीब चार साल से काम चल रहा है, लेकिन अभी ख्0 परसेंट भी काम नहीं हो सका है। 9क्भ्.7ब् लाख का बजट होने के बावजूद काम में देरी का नुकसान पब्लिक उठा रही है। पुल न होने से लोग रेलवे पुल से आवागमन करते हैं इससे अक्सर एक्सीडेंट होते हैं। करीब चार लाख की आबादी को प्रभावित करने वाले इस ब्रिज के कंस्ट्रक्शन को लेकर न तो अफसर सीरियस हुए और न ही इस मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से कोई विचार किया।

लापरवाही के जिम्मेदार : कमिश्नर, डीएम और ब्रिज कॉर्पोरेशन