गोरखपुर (ब्यूरो).सबसे ज्यादा मामला 2019-20 में 996 मामले जहां पति पत्नी के बीच हुए विवाद के मामले दर्ज किए गए। वहीं 2020-21 में 340 मामले रजिस्टर्ड हुए। इन मामले को न्यायालय में पेश किया गया। जिसका निस्तारण हो गया है। 2021-22 में कुल 232 मामले दर्ज हुए। इन सभी मामलों को भी निस्तारित कर दिया गया। इधर फिर से घरेलू हिंसा के मामले में बढ़ोत्तरी होना शुरु हो गया है। मिले आंकड़े के मुताबिक 2022-23 के जनवरी से अब तक कुल 213 मामले दर्ज कर लिए गए हैैं।

केस वन

रुस्तमपुर के रहने वाली माधुरी (बदला हुआ नाम) के दो बच्चे हैैं, लेकिन माधुरी ने अपने पति के लिए दी शिकायत में कहा है कि उसके पति का दूसरे महिला से अवैध संबंध है। वह घर पर सिर्फ नाम के लिए आते है। जबकि कई बार इस मैटर पर बात करने के लिए मायके व ससुराल पक्ष के लोगों से समझौता भी हुआ, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। अब महिला कल्याण विभाग से ही उम्मीद है।

केस टू

मैत्रीपुरम के रहने वाले संतोष (बदला हुआ नाम) ने अपनी शिकायत में दर्ज कराया है कि उनकी पत्ती का शादी से पहले से ही अफेयर चल रहा है। इसकी जानकारी उन्हें शादी के 5 साल बाद पता चला, जबकि एक बेटा भी है। घर में आए दिन अवैध संबंध को लेकर घरेलू विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है। महिला कल्याण विभाग के वन स्टॉप सेंटर पर शिकायत दर्ज कराई है।

यह दो केस बानगी भर है। इन दिनों महिला कल्याण विभाग में पति-पत्नी के बीच तीसरे रिश्ते की कहानी से जिम्मेदार भी हैरत में पड़ गए हैैं।

बन स्टॉप सेंटर में पहुंच रहे मामले

जिला प्रोबेशन कार्यालय के अंतर्गत चलने वाले वन स्टॉप सेंटर में प्रतिदिन महिला उत्पीडऩ के केसेज आ रहे हैैं। इनमें जहां पति-पत्नी के अवैध संबंध के मामले आ रहे हैैं। वहीं ससुराल पक्ष के उत्पीडऩ मामले भी दर्ज हो रहे हैैं। इनमें टीनेजर्स के मामले अलग से आते हैैं। जिन्हें काउंसिलिंग कर न्यूली कपल के लिए मदद किए जाते हैैं। इस प्रकार वन स्टॉप सेंटर पर प्रतिदिन 40-50 महिलाएं अपनी शिकायत को लेकर पहुंच रही हैै

फैक्ट फीगर

सन पति-पत्नी व महिला संबंधी मामले

2019 - 996

2020 - 340

2021 - 232

2022 - 206

पति-पत्नी के आपसी विवाद के मामलों में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया अहम भूमिका अदा कर रहा है। शादी-शुदा दांपत्य जीवन में प्रेम-प्रसंग के मामले तमाम आ रहे हैैं। काउंसिलिंग कर घरेलू हिंसा में फंसे हुए लोगों को पहले निकाले जाने का प्रयास रहता है। उसके बाद ही मामला थाने में दर्ज करवाया जाता है।

- सरबजीत सिंह, डीपीओ