गोरखपुर (ब्यूरो).यहां जमीन खरीदने वाले अनुपमा नवनीत पाण्डेय ने बताया, दो साल पहले शास्त्रीनगर स्थित क्रॉसिंग के किनारे करीब 20 डिसमिल जमीन पर जीडीए ने आवासीय योजना के अंतर्गत विज्ञापन निकाला था। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से उस समय प्लॉट की ऑनलाइन बोली लगाई गई थी। करीब 40 वर्ग मीटर का एक ईडब्ल्यूएस का प्लॉट था। नवनीत ने बताया कि ऑनलाइन बोली 10 लाख से स्टार्ट हुई और 13 लाख 12 हजार पर एक ईडब्ल्यूएस प्लॉट मुझे मिल गया, जिसकी किस्त मैने 8 मंथ में पूरी जमा कर दी। लास्ट किस्त अगस्त 2022 पूरी हुई तो जीडीए ने प्लॉट की रजिस्ट्री भी कर दी। अब जब उस प्लाट पर मैं मटेरियल गिरवाकर निर्माण करवाने जा रहा था, तब बीते सोमवार को फर्टिलाइजर प्रशासन ने आपत्ति कर दी।

लेखपाल बोलीं फर्टिलाइजर की है जमीन

फर्टिलाइजर प्रशासन को जब ये पता चला कि उनकी जमीन पर निर्माण हो रहा है, तब लेखपाल को भेजकर आपत्ति की गई। इस पर वहां निर्माण करा रही एक महिला ने इसका विरोध किया। फर्टिलाजर प्रशासन ने भी उस क्षेत्र की लेखपाल को बुलवाकर उस जमीन की पैमाइश कराई। लेखपाल का कहना है कि फर्टिलाइजर जीएम ने जो भी बताया है, इसकी जानकारी एसडीएम को दे दी गई है।

बिक चुके हैं 13 प्लॉट

रेलवे लाइन के किनारे उस जमीन पर बने 13 प्लॉट बिक चुके हैं। ऐसे में ऑनर भी परेशान हैं। अब उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ये क्या हो रहा है।

जीडीए ने कराया पार्क निर्माण

यही नहीं वहां प्लाट लेने वाले ओनर ने बताया कि जीडीए ने 39 लाख रुपए का टेंडर निकालकर एक पार्क का भी निर्माण कराया है। करीब दो साल में ठेकेदार ने पार्क को तैयार किया है। ओनर का कहना है कि तब फर्टिलाइजर प्रशासन नहीं आया। अब जब हम लोग निर्माण करने जा रहे हैं तब आपत्ति दर्ज कराई जा रही है।

बोला फर्टिलाइजर प्रशासन

इस मामले में फर्टिलाइजर जीएम घनश्याम श्रीवास्तव ने बताया, लेखपाल को बुलाया था। जमीन के इंतखाब में फर्टिलाइजर का नाम है। वहां पर करीब तीन एकड़ जमीन तिकोने शेप में है। पता नहीं कैसे जीडीए ने उस जमीन को किसी को अलॉट कर दिया है। इस बात की जानकारी हेड ऑफिस दिल्ली भी दे दी गई है। एसडीएम और इससे संबंधित अधिकारियों को इस बात की जानकारी देकर पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी। फर्टिलाइजर की जमीन पर हो रहे निर्माण को रुकवाया जाएगा।

मैंने बाकायदा एक लाख रुपए जमा कर बोली में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। ऑनलाइन बोली में पत्नी अनुपमा के नाम से प्लॉट मिला। मैंने इसकी रजिस्ट्री भी अभी पिछले माह पूरी किस्त जमा कर करवाई है। अब निर्माण करवाने गया तो कुछ और ही बात सामने आ रही है।

नवनीत पाण्डेय, ऑनर

मैंने कॉर्नर का प्लॉट अलॉट करवाया। उसके पैसे भी जमा कर दिए। अब फर्टिलाइजर प्रशासन उस जमीन को अपना बता रहा है। अब तो इतना पैसा खर्च करके ये नहीं समझ में आ रहा है कि वहां पर निर्माण करवाएं या फिर जीडीए के चक्कर लगाएं।

राजेश साहनी, ऑनर

जीडीए की जमीन वहां फर्टिलाइजर से सटी हुई है। इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है। इसकी जांच करवा कर ही पूरी सच्चाई बता पाऊंगा।

उदय प्रताप सिंह, सचिव जीडीए