- जीएमसी में अब इंडियामार्का हैंडपंप के मरम्मत और रिवोर का मामला आया सामने

- 67 लाख खर्च फिर भी प्यासे हैं हैंडपंप

GORAKHPUR: पिछले एक साल के दौरान जीएमसी के जलकल विभाग ने ख्8ख् हैंडपंप की रिबोरिंग और रिपयरिंग के नाम पर म्7 लाख रुपए खर्च किए। आई नेक्स्ट इस रिपेयरिंग और रिबोरिंग का जायजा लिया तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। आई नेक्स्ट टीम ने सिटी के भ्0 से अधिक हैंडपंप्स का मुआयना किया और रिपेयरिंग की जमीनी हकीकत जानी तो सामने आया जीएमसी का घोटाला। आई नेक्स्ट टीम ने पूरे दिन दिनों तक सिटी के भ्0 हैंडपंप्स की निगरानी और जाना आखिर कैसे इन्हें रिपेयर किया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि एक भी हैंडपंप चालू हालत में नहींमिला। स्थानीय लोगों ने सीध-सीधे आरोप लगाया कि जिम्मेदारों ने रिपेयरिंग और रिबोरिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की और अपनी जेबें भरी। पढि़ए जीएमसी की हैंडपंप्स की कागजी मरम्मत की कहानी।

फ्97भ् में से ख्8ख् हैंडपंप को किया रिपेयर

सिटी में पब्लिक को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए जीएमसी ने फ्97भ् इंडियामार्का हैंडपंप लगाए हैं। इसमें से ख्0 प्रतिशत हैंडपंप्स हमेशा खराब ही रहते हैं। इनकी मरम्मत की जिम्मेदारी जलकल विभाग की है। जनवरी ख्0क्फ् से जनवरी ख्0क्ब् तक जलकल ने ख्8ख् हैंडपंप की मरम्मत और रिबोर का काम किया गया है। इन्हीं की मरम्मत और रिबोर के काम पर जमकर घपला हुआ है। औसत हर मरम्मत पर म् से 8 हजार और रिबोर पर क्ख् से क्भ् हजार रुपए ख्रर्च हुए हैं। इस तरह ख्0क्फ्-क्ब् में मरम्मत और रिबोर के नाम पर म्7 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। यह सारे काम जलक ल विभाग द्वारा किए गए हैं, जबकि हकीकत यह है कि हैंडपंप मरम्मत या रिबोर के बाद से ही बंद पड़े हुए हैं।

इस रिबोर का क्या मतलब?

खर्च- क्ब् हजार

महादेव झारखंड़ी के भगता देवी मंदिर पर लगा इंडियामार्का हैंडपंप छह माह पहले रिबोर हुआ था, लेकिन रिबोर होने के बाद पानी आना ही बंद हो गया। यहां के पुजारी पं। केशव प्रसाद बताते हैं कि पहले तो बालू वाला पानी आता भी था, लेकिन जब से रिबोर हुआ है तब से यह सूख गया है।

स्कूल में बांट रहे बीमारी

खर्च- भ् हजार

महादेव झारखंड़ी के भैरोपुर प्राइमरी स्कूल में एक माह पहले हैंडपंप की मरम्मत का काम हुआ था, लेकिन अभी तक ठीक नहीं हुआ। स्कूली बच्चे देशी हैंडपंप के सहारे अपनी प्यास बुझा रहे हैं और बीमारी को न्योता दे रहे हैं। पार्षद प्रतिनिधि अजीत निषाद का कहना है कि मरम्मत के नाम पर हैंडंपप खोलकर फिर से बंद कर दिए जाते हैं और राशि अधिकारी डकार जाते हैं।

कैसे बुझाएं प्यास?

खर्च- म् हजार

अलहदादपुर से घंटाघर जाने वाली सड़क पर राय भवन के सामने लगा हैंडपंप तीन माह पहले मरम्मत किया गया था, लेकिन पानी की एक बूंद तक नहींनिकलती है। यहां के रहने वाले राजेश का कहना है कि जब हैंडपंप सही था तब ख्0 से अधिक घर इस हैंडपंप के सहारे अपनी जरूरत पूरी करते थे। अब देशी हैंडपंप का सहारा है।

आज तक साफ पानी नहींआया

खर्च- क्ख् हजार

अलहदापुर की चौधरी गली के शुरू होते ही एक हैंडपंप लगा हुआ है। जिसका उपयोग यहां के रहने वाले क्0 घर करते थे। चार माह पहले हैंडपंप से गंदा पानी आने लगा था। रिबोर किया गया, लेकिन उसके बाद भी साफ पानी नहींआया। इस एरिया में जलकल की सप्लाई के बाद भी यहां गंदा पानी ही आता है। पुरानी पाइप लाइन अक्सर फटी ही रहती है।

बनने के बाद बिगड़ जाता है

खर्च- 7 हजार

माया बाजार तिराहे पर लगे हैंडपंप अपने आप खराब नहीं होता है, बल्कि बनाने के बाद खराब होता है। यहां के रहने वाले रसीद अनवर का कहना है कि जब भी यह बनता है, खराब हो जाता है। शिकायत करने पर कोई सुनता ही नहीं है। इससे साफ है कि यहां बनाने के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है।

चलाते-चलाते थक जाते हैं

खर्च- 8 हजार

रूस्तमपुर के चिलमापुर में सबसे अधिक इंडियामार्का हैंडपंप है। रामायण यादव का कहना है कि चिलमापुर के मुख्य सड़क पर क्0 से अधिक हैंडपंप खराब हैं.इनकी केवल दिखावे की मरम्मत की जी जाती है। यहां भी लोग प्यासे से तड़प रहे हैं।

एक भी नहीं सही है हैंडपंप

खर्च- ब् हजार

आजाद चौक में हैंडपंप पर कितनी बार भुगतान हुआ होगा, यह जीएमसी के आंकड़े ही बता सकते हैं। हकीकत में यह हैंडपंप किसी काम के नहीं हैं। अहमद सिद्दीकी का कहना है कि हर महीने जीएमसी के कर्मचारी आते हैं और खोलते हैं, फिर बंद करके चले जाते हैं। हैंडपंप से पानी फिर भी नहीं आता है।

भगवान ही मालिक

खर्च- 7 हजार

हरिओम नगर तिराहे पर लगे हैंडपंप का भगवान ही मालिक है। इसकी मरम्मत के लिए तीन बार भुगतान हो चुका है। यहां के रहने वाले रंजीत यादव बताते हैं कि बनाने वाले आते हैं और हैंडपंप खोलते हैं। उसके बाद फिर पता नहीं क्या करते हैं कि क्0 दिन ठीक चलता है। उसके बाद यह बंद हो जाता है।