गोरखपुर (ब्यूरो).राप्ती नगर फेज 1 निवासी मधुर राठौर शक्ति वैभव श्री स्वंय समूह की हेड हैं। इनके ग्रुप में 15 महिलाएं हैं। रोजगार देने के साथ ही वह आसपास के गांव की महिलाओं को स्व-रोजगार के लिए पे्ररित भी करती हैं। मधुर ने बताया कि कोरोना आने के कारण बहुत से लोगों की नौकरी चली गयी थी। उस समय महिलाओं ने घर चलाने के लिए मसाला बनाने का काम शुरू किया। इसके साथ ही इन्होंने आचार, हल्दी, बैग, नेकलेस, ब्रेसलेट, की-रिंग आदि बनाने का काम करती हैं।

गोबर से बना रहीं पूजन सामग्री

इस ग्रुप की महिलाएं गाय के गोबर से पूजन सामग्री बनाने का काम कर रही हैं। गोबर से बने इन आइटम्स की मार्केट में काफी डिमांड भी है। यहां पर गोबर से धूपबत्ती, गौरी-गणेश आदि आइटम्स बना रही हंै। इसके अलावा जूट और कपड़े के झोले भी बनाकर मार्केट में सेल करने का काम कर रही हैं। इन गु्रप्स में टेराकोटा के आइटम बनाने का काम हो रहा है।

दूसरे स्टेट्स में भी सप्लाई

गोरखपुर में बने इन हैंड मेड आइटम्स की गोरखपुर के बाहर भी भारी डिमांड है। इसके लिए गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से आर्डर आते हैं। यहां बने जूट के बैग्स के लिए सबसे ज्यादा डिमांड आ रही है। इसके साथ ही गोबर से बने आइटम्स ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं।

रेट लिस्ट

धूपबत्ती - 10 से 20 रुपए

जूट बैग - 180 रुपए

हल्दी - 50 रुपए (250 ग्राम)

ईयरिंग - 25 से 40 रुपए

नेकलेस - 150 से 500 रुपए

गौरी गणेश - 80 रुपए

समरानी कप - 5 से 10 रुपए

लेदर बैग - 200 से 400 रुपए

शॉपिंग बैग - 80 से 100 रुपए

पोटली - 250 से 500 रुपए

डूडा के अंतर्गत महिलाओं के 800 गु्रप संचालित हो रहे हैं। इससे वह आत्मनिर्भर बन रही हैं और अपना परिवार चलाने का काम कर रही हैं।

शमीम सोनी, स्व सहायता समूह हेड

मेरे गु्रप में 15 महिलाएं काम करती हैं। यहां पर आचार, हल्दी, बैग, नेकलेस, ब्रेसलेट आदि बनाए जाते हैं। हम लोग रोजगार देेने के साथ ही और भी महिलाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं।

मधुर राठौर, स्व सहायता समूह हेड

स्व सहायता समूह से जुडऩे के काफी कुछ सीखने को मिला। अब हम लोग अपने परिवार का खर्च स्वयं ही उठा लेते हैं।

बिंदिया, वर्कर

पहले की मुकाबले अब इस काम में आस-पास की काफी महिलाएं जुड़ गई हैं। हम लोग और भी महिलाओं को जोड़ रहे हैं, ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें।

विनिता श्रीवास्तव, सोशल वर्कर