गोरखपुर (ब्यूरो)।वहां अंडर ग्राउंड वॉटर खाली हो चुका है या फिर सूखने के कगार पर है। गोरखपुर की बात करें तो यहां पर फिलहाल ग्राउंड वॉटर सेफ जोन में है, लेकिन हर साल धीरे-धीरे इसका लेवल नीचे आ रहा है। यहां की पब्लिक अगर अलर्ट न हुई तो जल्द ही केप टाउन जैसे हालात यहां भी देखने को मिल सकते हैं।

प्री-मॉनसून में गिरा वॉटर लेवल

ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट की असेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार गोरखपुर का सेफ जोन में है। यहां के किसी भी ब्लॉक में पानी की समस्या नहीं है। चिंता करने की बात यह है कि प्री-मॉनसून सर्वे में जिले का वॉटर लेवल गिरा है।

ओवर एक्सप्लॉइटेशन से नुकसान

ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मानें तो बढ़ती पॉपुलेशन और अर्बनाइजेशन के कारण वाटर लेवल दिन-प्रतिदिन नीचे जा रहा है। गोरखपुर में हर साल 10 से 15 सेमी। पानी नीचे जा रहा है। लोगों में अवेयरनेस की काफी कमी है। वहीं, कोई भी ब्लॉक अगर ओवर एक्सप्लॉयटेशन की कैटेगरी में है तो वहां पानी के कॉमर्शियल यूज के लिए एनओसी नहीं मिलेगी। इसके साथ ही वहां पर बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग के मैप भी पास नहीं होगा।

गोरखपुर में पेयजल

- ट्यूबवेल (बड़े) : 145

- ट्यूबवेल (छोटे) : 110

- प्रति घर रोजाना औसत पानी की सप्लाई : 132 एलपीसीडी

- प्रति घर रोजाना औसत पानी की सप्लाई की जरुरत : 135 एलपीसीडी

- पानी की खपत : 228 एमएलडी

- पानी की उपलब्धता : 198 एमएलडी

- पेयजल टैंकरों की संख्या : 26

- माडर्न पोस्ट : 55

- स्टैंड पोस्ट : 489

- हैंडपंप इंडिया मार्क : 4174

- पेयजल के लिए निर्धारित समय : सुबह पांच से 10, दोपहर में 12 से दो, शाम पांच से 10

रामगढ़ताल की वजह से गोरखपुर सेफ

ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट गोरखपुर के टेक्निकल असिस्टेंट दिनेश जायसवाल ने बताया, पिछले कुछ वर्षों में हुई अच्छी बारिश के कारण गोरखपुर के सभी ब्लॉक अभी सेफ जोन में हैं। अभी सिटी में एवरेज वाटर लेवल 5 से 6 मीटर है। वहीं, रूरल एरिया में 2.5 से 3 मीटर है। रामगढ़ताल और राप्ती नदी के होने की वजह से यहां पानी लंबे समय तक रहता है। गोरखपुर में कच्चे एरिया ज्यादा होने की वजह से यहां पानी काफी आसानी से रिचार्ज हो जाता है।

2022 में गोरखपुर का वाटर लेवल

जगह प्री-मानसून पोस्ट मॉनसून

नौसढ 6 1.65

मंडी परिषद 6.85 3.25

हांसुपुर 9.05 5.95

पीआरडीटी सेंटर 4.70 1.64

सिक्टौर 7.05 5.10

बडग़ो 5.70 1.45

(नोट - यह डाटा मीटर में है)

वाटर लेवल गिरने की वजह

- तेजी से बढ़ती पॉपुलेशन।

- एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रीज में पानी का एक्सेस यूज

- जरूरत से कम बारिश होना।

- अर्बनाइजेशन का बढना।

- तालाबों की कमी या सही से देख-रेख नहीं हो पाना।

वॉटर लेवल गिरने की वजह।

- लोगों में अवेयरनेस की कमी।

प्री-मॉनसून सर्वे में वॉटर लेवल

जगह लेवल

नौसढ़ 6.10

मंडी परिषद 7.15

हांसुपुर 9.55

पीआरडीटी सेंटर 5.40

चरगांवा 4.65

सिक्टौर 7.55

बडग़ो 6.10

दरगहिया 4.60

सूरजकुंड 7.55

गर्वमेंट पॉलिटेक्निक 6.50

(नोट - यह डाटा मीटर में है)