गोरखपुर (ब्यूरो)। वहीं, राष्ट्रपति के हाथों अवॉर्ड पाकर बैडमिंटन क्वीन आदित्या भी शहर का नाम नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही हैं। वहीं, समृद्धि ने भी परफॉर्मेंस के बल पर अपना अलग मुकाम पाया है। नेशनल गर्ल चाइल्ड डे पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट इन होनहारों की कहानी के साथ आपके बीच है, जिन्होंने न सिर्फ कामयाबी का परचम बुलंद किया। बल्कि गोरखपुर को भी अपना सिर फक्र से ऊंचा करने की वजह दी है।

ओलंपिक मेडलिस्ट हैं आदित्या

गोरखपुर की आदित्या यादव बैडमिंटन के फलक पर लगातार ऊंचाइयां छू रही हैं। गोरखपुर के कौवाबाग एरिया निवासी आदित्या यादव जन्म से ही सुन व बोल नहीं सकतीं, लेकिन उसने इतनी कम उम्र में देश को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रच दिया। ब्राजील में हुए डेफ ओलंपिक में बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्या यादव ने देश को गोल्ड दिलाया। डेफ ओलंपिक में इंडिया ने पहली बार बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। आदित्या को आगे बढ़ाने में उनके पिता बैडमिंटन कोच दिग्विजय यादव का बहुत बड़ा हाथ है। आदित्या ने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं समझी। परिवार ने भी उनका साथ दिया और आज पूरे देश को आदित्या पर गर्व है। पिता की मानें तो जूनियर वल्र्ड डेफ चैंपियनशिप के सिंगल्स और डबल्स में सिल्वर मेडल हासिल करने वाली आदित्या ने वल्र्ड डेफ टीम बैडमिंटनशिप के मिक्स डबल में अपने जोड़ीदार अभिनव के साथ जापान के खिलाडिय़ों को हराकर इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

यहां मिले इंटरनेशनल मेडल

- ब्राजील डेफ ओलंपिक के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल

- ब्राजील में ऑर्गनाइज जूनियर वल्र्ड डेफ चैंपियनशिप में सिंगल और डबल्स में सिल्वर मेडल

- एशिया पैसेफिक डेफ यूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप के अंडर 21 गल्र्स डबल्स में गोल्ड, सिंगल में सिल्वर और मिक्स डबल में ब्रॉन्ज मेडल

- एशिया पैसेफिक डेफ यूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप वुमेंस डबल में गोल्ड और वुमेन सिंगल में ब्रॉन्ज मेडल

- सेकेंड वल्र्ड डेफ बूथ बैडमिंटन चैंपियनशिप

- सिक्स नेशनल डेफ जूनियर सब जूनियर स्पोट्र्स चैंपियनशिप

- योनेक्स सनराइज हैमिश इंफ्र ास्ट्रक्चर यूपी स्टेट

- रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड के लिए नामि

खेलो इंडिया में यूपी को रिप्रेजेंट करेंगी शगुन

गोरखपुर की टेनिस खिलाड़ी शगुन कुमारी भी देश के लिए बड़ा योगदान कर रही हैं। उन्हें खेलो इंडिया यूथ गेम्स में यूपी को रिप्रेजेंट करने का मौका मिला है। उत्तर प्रदेश से सेलेक्ट होने वाली शगुन एकमात्र खिलाड़ी हैं। खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन 27 से 31 जनवरी तक चेन्नई में होना है, इसके लिए वह बुधवार को गोरखधाम से दिल्ली के लिए रवाना होंगी। 16 वर्षीय शगुन ने ढेरों नेशनल और इंटरनेशनल इवेंट में पार्टिसिपेट किया है। शगुन 2022 में ऑर्गनाइज एटीएफ अंडर-16 डबल्स में विनर और सिंगल में रनरअप रह चुकी हैं। आठ साल की उम्र से ही शगुन ने टेनिस खेलना शुरू कर दिया और अब इंटरनेशनल लेवल पर देश को रिप्रेजेंट कर रही हैं। पिता आनंद जीतलाल भी नेशनल लेवल के टेनिस खिलाड़ी रह चुके है। उनकी कोचिंग और गाइडेंस में ही शगुन ने यह मुकाम हासिल किया है। शगुन कुमारी की अंडर 18 की नेशनल रैंकिंग अब 7वीं है और इंटरनेशनल लेवल पर वह 1712वीं रैंक पर हैं।

इन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में दिखाया जौहर

- वल्र्ड जूनियर रैंकिग अंडर 18, नेपाल, सिंगल्स में क्वार्टर फाइनलिस्ट

- वल्र्ड जूनियर रैंकिग अंडर 18, नेपाल, डबल्स में क्वार्टर फाइनलिस्ट

- वल्र्ड जूनियर रैंकिग अंडर 18 अहमदाबाद, डबल्स में क्वार्टर फाइनलिस्ट

- वल्र्ड जूनियर रैंकिग अंडर 18 चेन्नई, सिंगल्स में प्री-क्वार्टर फाइनलिस्ट

- वल्र्ड जूनियर रैंकिग अंडर 18 भिलाई, डबल्स में रनरअप

- वल्र्ड जूनियर रैंकिग अंडर 18 मदुरई, डबल्स में रनरअप

समृद्धि सिंह ने ऊंचा किया देश का नाम

गोरखपुर लक्ष्मी नगर कॉलोनी निवासी रेलवे एंप्लाई संतोष कुमार और ममता सिंह की लाडली ने भी देश का नाम रोशन किया है। शुरू से ही खेल की शौकीन समृद्धि ने कड़ी मेहनत और लगन के जरिए खुद को अलग कतार में लाकर खड़ा कर दिया। 2019 से ही स्पोट्र्स और उसमें भी हैंडबॉल चुनने वाली समृद्धि ने चार बार देश के लिए अपनी परफॉर्मेंस दी है। इसमें तीन बार देश के खाते में मेडल भी आए हैं। पिछले दो सालों में 3 इंटरनेशन और 4 नेशनल मेडल हासिल करने वाली समृद्धि रेलवे को रिप्रेजेंट करना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने एसएसबी और पंजाब पुलिस की ओर से किए गए डायरेक्ट भर्ती के अप्रोच को भी न कह दिया है और रेलवे में भर्ती की तैयारी जुटी हुई हैं।

यह है समृद्धि का अचीवमेंट -

- 17 एशियन हैंडबॉल चैंपियनशिप चाइना में 23

- इंटर क्वांटिनेंटल एशियन फेज 2, एशियन चैंपियनशिप उज्बेकिस्तान में सिल्वर मेडल

- इंडियन हैंडबॉल फेडरेशन आईएचएफ ट्रॉफी, बंगलादेश ढाका में गोल्ड मेडल

- जूनियर नेशनल, वाराणसी, 2023 में ब्रॉन्ज मेडल

- 45 जूनियर नेशनल, कैप्टन, बरेली में ब्रॉन्ज मेडल

- 43 जूनियर नेशनल, कानपुर में ब्रॉन्ज मेडल

- 51 सीनियर नेशनल, आंध्र प्रदेश में ब्रॉन्ज मेडल

- खेलो इंडिया यूथ गेम्स पंचकुला हरियाणा, 2022, ब्रॉन्ज

इन गल्र्स ने भी दिखाया कमाल

प्रेम माया

साल 2014-15 की वेटरन कैटेगरी में रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के सेलेक्ट हुई प्रेम माया बच्चन गोरखपुर की रहने वाली हैं और एनई रेलवे में स्पोट्र्स ऑफिसर के पद से रिटायर हुईं। 1985-86 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिला। 1982 में ऑर्गनाइज हुए नौवें एशियन गेम्स में टीम इंडिया का हिस्सा रहीं, जिसमें टीम को गोल्ड मेडल हासिल हुआ। 1985 में नई दिल्ली में ऑर्गनाइज इंदिरा गोल्ड कप में भी वह टीम का हिस्सा रहीं, जिसमें टीम को गोल्ड मेडल मिला। 1986 में हुए एशियन गेम्स में टीम इंडिया को ब्रान्ज मेडल मिला, जिसमें भी वह टीम इंडिया का हिस्सा थीं।

पुष्पा श्रीवास्तव

साल 2015-16 में रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के लिए वेटरन कैटेगरी में सम्मानित हुईं पुष्पा श्रीवास्तव भी गोरखपुर की पैदाइश हैं। इलाहाबाद के डीआरएम ऑफिस में बतौर चीफ ओएस (स्पोट्र्स सेल) से रिटायर हुईं। टीम इंडिया की ओर से 1983, 85 और 87 के दौरान रूस में उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। वहीं, 1985 में ऑर्गनाइज हुए इंदिरा गांधी गोल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। जर्मनी में ऑर्गनाइज 10वें एशियन गेम्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और टीम इंडिया के खाते में ब्रांज मेडल आया था। 1988 और 89 में जर्मनी के साथ दिल्ली में इंदिरा गोल्ड कप खेला था।

प्रीति दुबे

प्रीति दुबे के इंट्रेस्ट को देखते हुए पिता अवधेश दुबे ने उनका दाखिला स्पोट्र्स कॉलेज में करवा दिया। 2014 में उन्हें जूनियर इंडिया टीम में जगह मिल गई। गुवाहटी में ऑर्गनाइज हुए साउथ एशियन गेम्स में प्रीती गोल्ड मेडलिस्ट इंडियन टीम का हिस्सा रहीं। चाइना में 2015 में हुए सातवें जूनियर एशिया कप में उन्होंने इंडियन टीम का प्रतिनिधित्व किया। साउथ एशियन गेम्स में नेपाल के खिलाफ गोल करने पर उन्हें सम्मानित भी किया गया। अर्जेंटीना, नीदरलैंड, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, चाइना, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में उन्होंने इंडियन टीम का प्रतिनिधित्व किया। बेल्जियम में हुए अंडर-23 टूर्नामेंट में उन्हें टीम इंडिया की कमान मिली।