गोरखपुर (ब्यूरो)। एंटरप्रेन्योर बने ये युवा आने वाली पीढ़ी के लिए नजीर भी हैं। इनका मानना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। बस उसे दिल से करने की लगन हो।

वेबसाइट से पेंटिंग को दिया मंच

सिद्धार्थ त्रिपाठी ने सेंट एंड्रयूज कॉलेज से बीएससी करने के बाद एमबीए किया और 2016 से पेंटिंग के कार्य को बड़ा मंच दे रहे हैं। सिद्धार्थ ऐसे लोगों के लिए आगे आए, जिनके अंदर पेंटिंग की आर्ट है और उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा है। सिद्धार्थ ने बताया कि उन्होंने एक पेंटेकल डॉट कॉम नामक वेबसाइट बनाई है, जिसमें वे पेंटिंग करने वाले लोगों की पेंटिंग पोस्ट करते हैं और उनके टैलेंट को एक पहचान दे रहे हैं। सिद्धार्थ बताते हैं कि जब उन्होंने यह काम स्टार्ट किया तब उनके साथ 2-3 लोग जुड़े थे। इस काम के जरिए उन्होंने 20 लोगों को जॉब भी दे रखी है। सिद्धार्थ ने बताया, बीएससी के दौरान यूनिवर्सिटी में पेंटिंग एग्जीबिशन लगी थी। उसमें उन्होंने देखा कि बड़े आटिसर््ट को तो बढिय़ा रिस्पांस मिला पर जो छोटे आर्टिस्ट थे, वे पीछे रह गए। तभी से उनके मन में आया कि ऐसे लोगों के लिए कुछ किया जाए और उन्होंने वेबसाइट की शुरुआत की।

बॉटल आर्ट और मधुबनी पेंटिंग से बनाई पहचान

गोरखपुर की आकृति पांडेय ने बताया, उन्होंने यूनिवर्सिटी से होम साइंस से बीएससी किया। उस दौरान उन्होंने बहुत कुछ सिखा, जिसमें बॉटल आर्ट और मधुबनी पेंटिंग उन्हें पसंद आई और इसी को उन्होंने अपना प्रोफेशन बना लिया। हुनर का बेहतर इस्तेमाल कर बॉटल आर्ट और मधुबनी पेंटिंग का स्टार्टअप 2022 में स्टार्ट किया और अपनी आर्ट को कमाई का जरिया बनाया। बॉटल आर्ट से उनकी एक पहचान बन गयी है। लोग उनसे पसंद की डिजाइन की बॉटल आर्ट बनवाते हैं। अभी तक उन्हें 150 से ज्यादा ऑर्डर आ चुके हैं। आकृति का मानना है कि जॉब से बेहतर अपना बिजनेस है।

चर्चाओं में इनकी चाय

दो युवाओं ने एक स्टार्टअप शुरू किया और अब यूपी के अलग-अलग शहरों में बिजनेस कर रहे हैं। इनमें से एक ने एमबीए बीच में छोड़ दिया तो दूसरे ने जॉब नहीं करने का डिसीजन लिया। खुद पर भरोसे ने राह दिखाई और दो युवाओं ने भरोसे की चाय यानी बीकेसी नाम से स्टार्टअप शुरू कर दिया। मध्य प्रदेश और राजस्थान के इन दोनों दोस्तों को उत्तर प्रदेश ज्यादा भाया। गोरखपुर, कानपुर, बनारस और लखनऊ उनकी प्रॉयोरिटी वाले शहर हैं। राजस्थानी दोस्त मोहित प्रजापति के साथ गोरखपुर में ठेले से चाय की शुरुआत की और अब इनके आउटलेट हैं। मोहित ने आईआईटी धनबाद से डिग्री ली और नौकरी न करने का फैसला किया। उनका कहना है कि हमने यूपी को बिजनेस के अकॉर्डिंग पाया और गोरखपुर को चुना। यहां हमें कोई जानता नहीं था, इसलिए ठेले पर ही काम शुरू किया। बीकेसी में करीब एक दर्जन लोग रोजगार कर रहे हैं।

इंजीनियरिंग कर फूडिंग में कॅरियर

मथुरा के शुभम मिश्रा ने सिविल ट्रेड से बीटेक की पढ़ाई की। कुछ सालों तक जॉब करने के बाद उन्हें लगा कि अपना बिजनेस करना बेहतर होगा और अब वे यूनिवर्सिटी के सामने ही एक कैंटीन चला रहे हैं। उनका सपना रेस्टोरेंट खोलने का है। गोरखपुराइट्स के टेस्ट को जानने के लिए उन्होंने दो तीन महीने से ब्रजवासी फास्ट फूड नाम से कैंटीन खोल रखी है। साथ ही तीन और लोगों को रोजगार दिया है। शुभम का मानना है कि ऐसा जरूरी नहीं कि सबका सपना जॉब करना ही हो। अपना बिजनेस भी बेहतर ऑप्शन है।