गोरखपुर (ब्यूरो)।यही वो वजह है जो उन्हें बेहद खास बनाती है। ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर गोरखपुराइट्स को संक्रांति से शिक्षादान का संकल्प लेना चाहिए, ताकि गोरखपुर के बच्चे पढ़ें और खूब बढ़ें।

अंधेरी गलियों में शिक्षा का उजियारा फैला रहीं सोनिका दीदी

डीडीयूजीयू से एम.कॉम की पढ़ाई करने वाली सोनिका खरवार पढ़ाई में अव्वल रही हैं। 2019 से ही महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति अवेयर करने का काम भी वो करती आ रही हैं। इसके साथ ही अब सोनिका सैकड़ों बच्चों की दीदी भी बन गई हैं। शहर के तारामंडल, मिलेनियम सिटी, जंगल महुआ, लाल डिग्गी पार्क, पादरी बाजार में ये सड़क पर घूमने वाले और गरीब तबके के बच्चों को किताब-कॉपी अवेलबल कराने के साथ ही सोनिका रेगुलर पढ़ाती भी हैं। सोनिका ने बताया कि जब वो महिलाओं को अवेयर करने जाती थीं, तब उनके बच्चे दिनभर खेलते नजर आते थे। सोनिका के अनुसार महिलाओं ने ही बताया कि उनके बच्चे आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई नहीं करते हैं। इसके बाद सोनिका ने ऐसे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी अपनी कंधे पर उठाई। सोनिका ने काफी बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला भी दिलाया है।

पुस्तक दान लेकर बच्चों को दे रहीं ज्ञान टीचर अल्पा निगम

सरदारनगर के प्राइमरी स्कूल तिलौली की प्रधानाध्यापिका अल्पा निगम इन दिनों सोशल वर्क की वजह से चर्चा में बनी हुई हैं। अल्पा निगम ने परिषदीय स्कूल में पुस्तक दान, स्वयं और जन सहयोग के जरिये विद्यालय में एक समृद्ध लाइब्रेरी की स्थापना की है। आज इस लाइब्रेरी में गरीब घरों के बच्चों के लिए कविता, कहानी और बाल साहित्य से जुड़ी विभिन्न प्रकार की 11 हजार पुस्तकें अवेलबल हैं। कार्यभार संभालने के बाद पहली बार साल 2011 में टीचर अल्पा ने स्कूल की लाइब्रेरी को समृद्ध करने का बीड़ा उठाया। पहली बार 150 किताबों से शुरुआत की। इसके बाद धीरे-धीरे इस दिशा में एक-एक कर कदम बढ़ाया। दो माह पूर्व तक विद्यालय की लाइब्रेरी में साढ़े आठ हजार किताबें एकत्र हो चुकी थी। इसके बाद उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर ऑनलाइन लिंक के जरिये पुस्तक दान व आर्थिक मदद करने की अपील की, देश-विदेश में भी लोगों से दूरभाष पर संपर्क किया और देखते ही देखते एक दर्जन से अधिक लोगों की मदद से एक लाख बीस हजार रुपये एकत्र कर लिए। अभी हाल ही में उन्होंने इन्हीं पैसों से लाइब्रेरी के लिए 2600 और किताबें खरीदी हैं, जिसके बाद लाइब्रेरी में किताबों की संख्या 11 हजार पहुंच चुकी है। अब इन्हीं से प्रेरणा लेकर अन्य स्कूल भी अपने यहां लाइब्रेरी समृद्ध करने में जुटे हैं।

इंजीनियर दे रहे शिक्षा

एमएमएमयूटी में एनएसएस के अंतर्गत गोरखपुर के पांच गांवों को गोद लिया गया है। इसमें एमटेक और बीटेक के स्टूडेंट्स उन गांव के आठ स्कूलों में जाकर पढ़ाते हैं। एमएमएमयूटी ने इसको 'पढ़े गोरखपुर, बढ़े गोरखपुरÓ नाम दिया है। इसकी शुरुआत वीसी ने एक दिसबंर को यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस के अवसर पर की। इस पहल के तहत ये स्टूडेंट्स आठ प्राइमरी स्कूल में जाकर फ्री में गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। खोराबार क्षेत्र के ये पांच गांव जंगल रामलखना, जंगल बेलवार, जंगल अयोध्या प्रसाद, रायगंज और डुमरी खुर्द हैं। इन पांचों गांवों को कुल आठ प्राइमरी स्कूल हैं। कोऑर्डिनेटर डॉ। अवधेश कुमार के निर्देशन में तीन-तीन स्टूडेंट्स के आठ ग्रुप हैं, जो इन स्कूलों में पढ़ाते हैं।

350 बच्चों का भविष्य संवार रहे इंजीनियर रत्नेश

शिक्षा किसी जगह या समय की मोहताज नही होती है, यह साबित कर दिखाया है गोरखपुर के हावर्ट बंधे के पास मोती जेल हरिजन बस्ती में चल रही अक्षर मुहिम पाठशाला ने। इंजीनियर रत्नेश तिवारी की पहल से सैकड़ों युवाओं ने फूटपाथ पर रहने, नशा करने, कूड़ा बीनने वाले और स्कूल न जाने व छोड़ चुके मासूमों की जिंदगी में बदलाव लाने की दृढ़ संकल्प किया है। बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए ज्ञान की रोशनी से उनके अंधेरे जीवन मे उजाला भरने का काम कर रहे हैैं। पिछले सात वर्षो से चल रहे पाठशाला में 350 से ज्यादा बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे हैैं। अब तक 140 से अधिक बच्चे पढ़कर मुख्यधारा की शिक्षा पाने के लिए पास के दर्जनों स्कूल भी जा रहे हैं। रत्नेश बताते हैैं कि नए भारत के सपने को साकार करने के लिए युवा इंडिया पर फोकस करना होगा। इसके लिए धरातल पर उतरकर सामूहिक भागीदार के तहत काम करना होगा। तब जाकर विश्व गुरु का सपना साकार हो सकेगा।