गोरखपुर (ब्यूरो)।ऑपरेशन के नाम पर वसूली के आरोप भी लग रहे हैं। लगातार मामले सामने आ रहे। शिकायत पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले में पर्दा डाल देता है।

मैन पॉवर की कमी, डेली 150 से 200 इमरजेंसी

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक तरफ जहां मैनपॉवर की काफी कमी है। दूसरी तरफ इन दिनों 150 से 200 की इमरजेंसी होती है। इसमें से 70 परसेंट पेशेंट्स को इलाज के लिए भर्ती किया जाता है। इन पेशेंट्स का ट्रीटमेंट जूनियर रेजीडेंट के भरोसे हैं। सूत्रों की मानें तो सीनियर डॉक्टर रात में ड्यूटी पर नहीं आते। वह सिर्फ कॉल पर ही पेशेंट्स की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं या फिर ज्यादा इमरजेंसी होने पर ही पहुंचते हैं। वह केवल सुबह के समय राउंड पर ही पेशेंट्स का ट्रीटमेंअ करते हैं। वहीं, जूनियर रेजीडेंट पर काफी वर्कलोड है। इसी का नतीजा है कि कभी-कभी पेशेंट्स के साथ आने वाले अटेंडेंट से बदसलूकी होने से मामला बिगड़ जाता है और विवाद की स्थिति बन जाती है।

7 दिसंबर 2022 देवरिया जिला के थाना मदनपुर के टड़वा गांव के रहने वाले कर्ताराम सिंह को झटका आ रहा था। तीन दिसंबर को परिजन इलाज के लिए बीआरडी में भर्ती कराए। मरीज के चचेरे भाई भोलू ने बताया कि सोमवार की रात कर्ताराम की स्थिति अच्छी थी। मंगलवार को उन्हें ऑक्सीजन का पाइप लगाकर मेडिसिन के वार्ड नंबर 14 के आईसीयू के बेड नंबर दो में भर्ती कर दिया। आरोप है कि भर्ती करने से मना किया गया लेकिन डॉक्टर नहीं माने। इस बीच अचानक शाम आईसीयू में बिजली कटी और थोड़ी देर बाद डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस बीच विरोध करने पर मेडिसिन डॉक्टर्स ने अभद्रता करते हुए पुलिस भी बुला ली।

29 नवंबर 2022 को माया बाजार की नीलम गुप्ता को पेशाब की नली में 8.6 एमएम की पथरी थी। उन्होंने मेडिकल कॉलेज के न्यूरो विभाग में डॉक्टर से संपर्क किया। नीलम के अनुसार डॉक्टर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में दूरबीन नहीं है, इसे बाहर से मंगाना पड़ेगा। इसका किराया आठ हजार रुपए है। 21 नवंबर को डॉक्टर ने उन्हें बेहोश कर उनका ऑपरेशन किया। इसके बाद भी उनका दर्द बढ़ता गया। दवा के बाद भी जब आराम नहीं मिला तो उन्होंने दोबारा अल्ट्रासाउंड कराया। उसमें 8.1 एमएम की पथरी नजर आई। डॉक्टर ने उन्हें बुलाकर बिना बेहोश किए ही पेशाब की नली में दूरबीन डालकर पथरी तोडऩे लगे। बाहर आकर महिला ने पति से शिकायत की। हालांकि मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।

22 जुलाई सिद्धार्थनगर के बेलहरा के संदीप त्रिपाठी की गर्भवती पत्नी चंद्रा त्रिपाठी की जान ले ली थी। समय से अस्पताल पहुंचने के बाद भी पांच घंटे तक उन्हें इलाज नहीं मिला था। डॉक्टर व कर्मचारी परिजन को ट्रामा सेंटर, सुपर स्पेशियलिटी, ओपीडी में दौड़ाते रहे। इस दौरान महिला की मौत हो गई। मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने जांच कमेटी गठित कर दी थी। कमेटी की रिपोर्ट पर डिप्टी सीएम ने कार्रवाई की। विधान परिषद के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने इस मामले की शिकायत शासन से की थी।

अगस्त 2022 बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही सामने आई थी। यहां डॉक्टर्स ने मरीज को एक्सपायर ब्लड चढ़ाने दिया। इस ब्लड से मरीज की मौत हो गई। इसका विरोध करने पर डॉक्टर्स ने परिजनों से मारपीट भी की। परिजनों ने गुलरिहा थाने में तहरीर देकर आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की थी।

अक्टूबर 2022 बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड में भर्ती एक मरीज के तीमारदारों व जूनियर डॉक्टर्स में मारपीट हो गई। तीमारदारों का आरोप था कि बेहतर इलाज के अनुरोध पर जूनियर डॉक्टर्स ने उन्हें मारा पीटा। जूनियर डॉक्टर्स ने तीमारदारों पर मारने पीटने का आरोप लगाते हुए पुलिस में तहरीर दी और हड़ताल पर चले गए। उधर पुलिस ने तीमारदारों समेत छह लोगों पर मारपीट व हत्या के प्रयास का केस दर्ज कर लिया। इसके बाद मामला शांत हुआ।

अगस्त 2021 बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड नंबर 14 में तीमारदार और जूनियर डॉक्टर के बीच मारपीट हो गई। तीमारदारों का आरोप था कि मरीज के इलाज में लापरवाही की जा रही थी। सही इलाज करने को कहने पर जूनियर डॉक्टर्स ने मारा पीटा। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले में दोनों पक्षों को समझाया, इस मामले में कोई लिखित तहरीर नहीं दी थी।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मैनपॉवर की काफी कमी हैं। इसके बाद भी डॉक्टर और हेल्थ कर्मी मरीजों का बेहतर इलाज करते हैं। वह पूरा प्रयास करते हैं कि हमारा मरीज ठीक हो जाएं। वह विवादों से बचना चाहते हैं। अगर शिकायत मिलती है तो मामले की जांच करवाई जाती है।

डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज