गोरखपुर (ब्यूरो).इसमें से चार मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल में पहुंचने वाले मरीज हों या फिर पैथोलॉजी सेंटर्स में जांच कराने वाले, हर जगह हेपेटाइटिस का ग्राफ बढ़ रहा है। धीरे-धीरे हेपेटाइटिस ए व ई की जैसी तस्वीर पूर्वांचल में उभर रही है।

जागरुकता की कमी

सिटी के पैथोलॉजी सेंटर्स में हेपेटाइटिस की जांच के लिए निरंतर पेशेंट पहुंचते हैं, जिसमें इस बीच 20 दिन के अंदर रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। जागरुकता की कमी से ज्यादातर लोगों को इसका पता बीमारी बिगडऩे के बाद या किसी दूरे कारणों से ब्लड की जांच होने पर चलता है। विशेषज्ञों के मुताबिक हेपेटाइटिस ए व ई दूषित भोजन व जल से होता है। थोड़ी सी सावधानी से इससे बचा जा सकता है। इलाज कठिन नहीं है, पर हेपेटाइटिस बी, सी व डी जानलेवा है।

आईसीएमआर भेजे गए 76 सैंपल

बाल रोग विभाग की ओर से की गई रिसर्च की अंतरिम रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आए हैं कि अभी तक कुल 76 बच्चो के सैंपल आईसीएमआर भेजे गए। उनमें से 26 बच्चे संक्रामक हेपेटाइटिस से संक्रमित पाए गए। इनमें से ज्यादातर बच्चे हेपेटाइटिस ए से संक्रमित थे जबकि तीन बच्चे हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई दोनों से संक्रमित मिले। 78 परसेंट बच्चों में दो हफ्ते के अंदर में संक्रमित भोजन या पेय पदार्थ के सेवन की जानकारी मिली। यह देखा गया कि 96 परसेंट बच्चों में उनके गार्जियन के हाथ धोने का आचरण नहीं पाया गया, जबकि 74 फीसदी बच्चे आंशिक या पूर्ण रूप से छिछले नालों से पीने का पानी का सेवन करते थे। 60 परसेंट बच्चे शौचालय का प्रयोग नहीं करते थे।

ऐसे करें बचाव

- हैंडपंप पानी के सेवन से इस बीमारी के होने का खतरा है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि शुद्ध पानी का सेवन करें।

- भोजन को ढककर रखें और घर का बना एवं साफ सुथरे हाथों से परोसा गया ताजा स्वच्छ खाना ही खाएं।

- फलों को स्वच्छ पानी से धूलकर ही बच्चों को खिलाएं।

- खाना पकाने और परोसने से पहले हाथों को साबुन से धो लें।

- शौच जाने के बाद और खाना खाने के पहले हाथों को अच्छी तरह साफ कर लें।

हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई के फैलाव का खतरा मानसून और इसके आसपास के मौसम में ज्यादा होता है। समय-समय पर हेल्थ कर्मी की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों के तहत जैसे विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह के जरिए से चलाए जा रहे अवेयरनेस अभियानों, दूषित जल व दूषित भोजन के सेवन से परहेज, खुले में शौच न जाए और स्वच्छता पर खास ध्यान देने से इसका रोकथाम किया जा सकता है।

डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल बीआरडी

यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे में फैलती है। अगर मां गंदे हाथों से खाना खिलाती है या खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थो को अगर दूषित पानी से बनाया गया हो या गंदे हाथों से परोसा गया है तो इसका संक्रमण फैलने का खतरा होता है। जागरूक होने की जरूरत है। बच्चा यदि बीमार पड़ रहा है तो तत्काल डॉक्टर्स से संपर्क करें।

डॉ। भूपेंद्र शर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ