कानपुर (ब्यूरो)। हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रसित पेशेंट को अब हजारों रुपए खर्च कर हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच प्राइवेट सेंटर्स में नहीं करानी पड़ेगी। वहीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माध्यम से केजीएमयू भेजी जाने वाले सैम्पल की रिपोर्ट के लिए कई सप्ताह इंतजार नहीं करना पड़ेेगा। क्योंकि जल्द ही सेंट्रल गवर्नमेंट के नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में हेपेटाइटिस बी, सी के वायरल लोड की जांच कर पेशेंट की स्थिति की सही जानकारी मिल सकेगी।


प्राइवेट सेंटर में ज्यादा खर्च
हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच कराने के लिए अभी तक पेशेंट के पास दो ऑपशन थे। पहला ऑपशन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी डिपार्टमेंट के माध्यम से केजीयूएम से जांच कराना। वहीं दूसरा ऑपशन प्राइवेट सेंट्स है। जहां इस जांच के लिए पेशेंट को 12 से 15 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ता था। गवर्नमेंट जांच कराने में पेशेंट को रिपोर्ट के लिए कई सप्ताह का इंतजार करना पड़ता था। जिससे पेंशेंट की हालात और खराब हो जाती थी। अब यह जांच की सुविधा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में ही मिलेगी। जिसकी रिपोर्ट भी कुछ दिनों में पेशेंट को मिल जाएगी।

जांच के आधार पर निर्धारित होती मेडिसिन
जिन लोगों में एचआईवी का परीक्षण किया जा चुका है। उन्हें परीक्षण के दूसरे से आठवें सप्ताह में ये टेस्ट करवाने को कहा जाता है और बाद में ये चौथे से छठवें महीने के अंतराल में कराने को कहा जाता है। इस टेस्ट के रिजल्ट से डॉक्टर को व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए सही मेडिसिन निश्चित करने में मदद मिलती है। इससे पेशेंट के बॉडी में वायरस का लोड कम करने में भी मदद मिलती है।

वायरल लोड टेस्ट क्या होता है
वायरल लोड टेस्ट ब्लड में ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरल &एचआईवी&य की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जाता है। एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली की कुछ विशेष कोशिकाओं, सीडी 4 को टारगेट बनाकर उन्हें नष्ट करता है। सीडी 4 बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं जैसे बैक्टीरिया और वायरल से लड़ता है। जो संक्रमण होने के खतरे को अत्यधिक बढ़ा देते है और पेशेंट बार-बार बीमार पडऩे लगता है। यह टेस्ट हेपेटाइटिस बी, सी या दूसरे संक्रमण से ग्रसित लोगों का भी कराया जाता है। जिससे ट्रीटमेंट के प्रभाव पर नजर रखी जा सके।