गोरखपुर (ब्यूरो)। मधुबनी चित्रकला दीवार, कैनवॉस और हाथ से कागज पर बनाई जाती थी, लेकिन अब यह घरेलू बिजनेस में चेंज हो गई है। अब बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर एरिया के शहर और गांव में घर की महिलाएं मधुबनी पेंटिंग बनाती हैं। यह चित्रकला अपने आप में अनोखी और अद्भुत प्रतीत होती है। अपने अनूठे रंग रूप की वजह से देश-दुनिया में इस आर्ट ने काफी शोहरत बटोरी है। मधुबनी पेंटिंग की विशेषता इसकी सादगी और सजीवता है, जो गोरखपुराइट्स को खूब पसंद आ रही है। वहीं, राम मंदिर का पेंटिंग अभी बन रही है।

हर साइज की पेंटिंग

स्टॉल लगाने वाले रवि ने बताया, घरों में सजाने के लिए मधुबनी पेंटिंग 10 इंच, 20 इंच, 30 इंच और 40 इंच साइज में लोग खरीद रहे है। पांच दिन के अंदर सैकड़ों पेंटिंग बिक चुकी हैं। यह 500 से 4000 तक में बिक रही हैं। आर्टिस्ट के अनुसार इस पेंटिंग को धोने की जरूरत नहीं है। इसे सिर्फ कपड़े से हल्का साफ कर सकते हैं।

अॅनलाइन बिकती है पेंटिंग

आर्टिस्ट के अनुसार ऑनलाइन कारोबार बीते दो सालों में बढ़ा है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, इंडोनेशिया सहित कई देशों ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए यह पेंटिंग बिकती है।

क्या है मधुबनी पेंटिंग

मधुबनी चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ों, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मधुबनी चित्रकला मिथिला की एक फोक पेंटिंग है। इस चित्रकला में मिथिलांचल की संस्कृति को दिखाया जाता है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। मधुबनी चित्रकला ज्यादातर प्राचीन महाकाव्यों से प्राकृतिक दृश्यों और देवताओं के साथ पुरुषों और उसके सहयोग को दर्शाती हैं। सूर्य, चंद्रमा और तुलसी जैसे धार्मिक पौधों जैसे प्राकृतिक वस्तुओं को शाही अदालत के दृश्यों और शादियों जैसे सामाजिक कार्यक्रमों के साथ व्यापक रूप से चित्रित किया जाता है।

ड्राइंग रूम में लगाने के लिए 22 बाइ 32 की एक पेंटिंग ली है। यह बहुत अच्छी है।

सांध्या, कटस्मर

सीनरी ली है। दो पीस एक हजार के मिले हैं। मधुबनी की पेंटिंग अच्छी है।

आनंद, कस्टमर

मुझे राम मंदिर की पेंटिंग लेनी थी। बता रहे हैं कम पीस लाए थे। सब बिक गईं।

रुपेश, कस्टमर