गोरखपुर (ब्यूरो)।बीआरडी में साफ चादर नहीं मिलने पर अटेंडेंट घर से चादर भी ले आए। वहीं, जिला अस्पताल की न्यू बिल्डिंग के जनरल वार्ड में चादर नहीं बदलने के कारण एक ओर बैठ ही गई। सफाई नहीं होने के कारण पूरे वार्ड में दुर्गंध थी और दूसरी ओर बेड में कुत्ता बैठा था। मशीनें खराब होने की जानकारी से दोनों अस्पतालों के जिम्मेदारों ने पल्ला झाड़ लिया है।

मशीनें खराब, गरम पानी से धुलाई भी नहीं

बीआरडी और जिला अस्पताल की सेंट्रल लॉन्ड्री में बेड शीट और ओटी कपड़ों की धुलाई के लिए लगाए गए कई उपकरण दम तोड़ चुके हैं। ऐसे में धुलाई की रफ्तार धीमी हो गई हैं। इतना ही बेडशीट के संक्रमण को खत्म करने के लिए गरम पानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन बिना गरम पानी के ही बेडशीट और अन्य पकड़ों की धुलाई की जा रही है। इसी का नतीजा है कि बिछाई गई बेड शीट मैली नजर आती हैं।

पड़ताल के लिए पहुंची टीम

बीआरडी में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने रियलिटी चेक में पाया कि पेशेंट्स को पूर्ण रूप से साफ चादर नहीं मिल रही। इतना ही नहीं सेंट्रल लॉन्ड्री की हालत यह है कि यहां पर धुलाई के इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रायर, वाशिंग मशीन और कपड़ा निचोडऩे वाली मशीनें खराब है। ऐसे में चालू हालत वाली मशीनों से ही किसी तरह बेड शीट और ओटी में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़ों की धुलाई की जा रही है।

नियम से नहीं हो रही है धुलाई

इस दौरान यह भी सामने आया कि मापदंड के अनुसार बेडशीट की धुलाई नहीं की जा रही थी। बेडशीट धुलाई के लिए ब्लीचिंग पाउडर और डिटर्जेंट की मात्रा कम मिलाई गई, तो वहीं गरम पानी का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। साथ ही धुलाई के बाद चादर पर नील लगाने का नियम होने के बावजूद नील नहीं लगाई जा रही है। जबकि संक्रमण से बचाने अस्पताल की सभी बेड शीट को गरम पानी में धोने का नियम है।

ड्रायर मशीन का एमसीबी खराब

बीआरडी मेडिकल कॉलेज की सेंट्रल लॉन्ड्री में कई महीने से कपड़ा सुखाने वाली ड्रायर मशीन का एमसीबी जल गया है, लेकिन उसे अभी तक दुरुस्त नहीं करवाया जा सका है। इस वजह से एक मशीन से काम चल रहा है। सेंट्रल लॉन्ड्री के कर्मचारियों का कहना है कि मशीन खराब होने से काफी दिक्कत होती है।

जिला अस्पताल में ड्रायर मशीन खराब

वहीं, जिला अस्पताल में कपड़ा निचोडऩे वाली मशीन भी खराब है। इसकी मरम्मत कराने के लिए फर्म को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक मरम्मत नहीं कराई जा सकी है।

क्या है नियम -

- बेडशीट को हर दिन वार्ड से कलेक्ट कर लॉन्ड्री तक पहुंचाना।

- संक्रमण से बचाने बेडशीट की गरम पानी में ब्लीचिंग पाउडर से धुलाई करना।

- चादर धुलने के बाद उसे नील लगाना अनिवार्य है।

- धोने के बाद प्रेस कर वार्डों के बिस्तर में बिछाया जाना।

फैक्ट एंड फीगर

2000 बेड शीट और ओटी कपड़ों की धुलाई बीआरडी में होती है।

550 बेड शीट की धुलाई जिला अस्पताल के वार्डों के लिए होती है।

केस 1

रामनगर देवरिया की रागिनी ने बताया, तीन रोज से गायनी वार्ड में भर्ती हूं, लेकिन अभी तक बेड शीट नहीं बदली जा सकी है। पूछने पर स्टाफ कहता है कि अभी बेडशीट साफ है। इसी से काम चलाना होगा।

केस 2

अहिरौली, महराजगंज की सुनीता मौर्या ने बताया, वार्ड की बेड पर डेली बेडशीट नहीं बदली जाती हैं। यदि कोई मरीज डिस्चार्ज हो गया है तो उसी बेड पर दूसरे पेशेंट को भर्ती कर दिया जाता है। कहने के बाद भी स्टाफ नहीं सुनता है।

मामला मेरे संज्ञान में नहीं हैं। सेंट्रल लॉन्ड्री की मशीनें खराब है तो इसकी जिम्मेदारी अनुरक्षण विभाग की है। अगर मशीनें खराब हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी।

डॉ। राजेश कुमार राय, एसआईसी, नेहरू चिकित्सालय

जिला अस्पताल के वार्डों में प्रतिदिन कलर के हिसाब से बेडशीट बदली जाती हैं। अगर मेल मेडिकल वार्ड में बेडशीट नहीं बदली गई हैं तो गलत है। सेंट्रल लॉन्ड्री में मशीन खराब होने की सूचना नहीं है। इसकी जांच कराई जाएगी।

- डॉ। अम्बुज श्रीवास्तव, सीएमएस, जिला अस्पताल