गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।गोरखपुर पुलिस टीम में चार एक्सपर्ट डॉग हैं। चारों का डॉग स्क्वॉयड टीम जरूर के हिसाब से यूज करती है। इसमे ट्रैकर डॉग टोनी जिसकी एज पांच साल है, वो स्पेशली चोरी, मर्डर और डकैती जैसे मामलों को खोलने में कारगार साबित होता है। इसलिए ऐसी घटनाओं में इन्हें घटनास्थल पर ले जाया जाता है।

वीआईपी ड्यूटी करते उत्तलम और वीनमोर

इसी तरह गोरखपुर में जब भी वीआईपी का आगमन होता है। तब खास तौर से कार्यक्रम स्थल के आस-पास चेकिंग करने के लिए दो स्नेफर डॉग की डयूटी लगाई जाती है। स्नेफर डॉग में वीनमोर और उत्तलम शामिल हैं। इसमे वीनमोर की एज दो साल से अधिक और उत्तलम की उम्र दस वर्ष हो चुकी है।

नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की मदद करती है जूली

डॉग स्क्वॉयड टीम में शामिल जूली नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की मदद करती है। चार साल की जूली अवैध नशे के कारोबारियों का पकडऩे में मददगार साबित होती है। हवाई जहाज के द्वारा तस्करी के मामले आते रहते हैं। इसलिए जूली की एयरपोर्ट पर भी स्पेशल ड्यूटी लगाई जाती है।

यहां से ली है ट्रेनिंग

पुलिस टीम में शामिल सभी डॉग हरियाणा के पंचकुला और मध्य प्रदेश ग्वालियर के टेकनपुर से ट्रेनिंग लेकर आए हैं। गोरखपुर में पुलिस टीम में शामिल ट्रेकर डॉग टोनी ने 9 माह की ट्रेनिंग ली है। जबकि वीनमोर, उत्तलम और जूली की 6 माह की ट्रेनिंग हुई है।

मिलता वीआईपी सम्मान

पुलिस टीम में शामिल डॉग को सैनिक बोला जाता है। एक वीआईपी की तरह उनके खान-पान और रहने का अरेंजमेंट किया जाता है। गोरखपुर में एक डॉग को डेली सुबह दूध, रोटी और अंडा दिया जाता है। जबकि शाम को इन्हें मीट, रोटी और हरी सब्जी दिया जाता है।

मिल सकता है जर्मन शेफर्ड

डॉग स्क्वॉयड टीम के प्रभारी ने बताया कि बहुत जल्द गोरखपुर को एक जर्मन शेफर्ड मिल सकता है। जर्मन शेफर्ड अन्य नस्लों के मुकाबले तेज काम करते हैं।

अधिकतर घटनाओं में क्राइम स्पॉट से इतना छेड़छाड़ टीम के पहुंचने के पहले ही हो जाती है। जिससे एक्सपर्ट डॉग भी विचलित हो जाता है। पब्लिक को चाहिए कि जहां भी चोरी, मर्डर जैसी घटना हो, उस स्पॉट को सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

धनेश्वर चौहान, डॉग स्क्वॉयड प्रभारी