गोरखपुर (ब्यूरो)। उन्हें देखकर ही उनके बच्चे भी अब मोबाइल से पढ़ाई करने लगे हैं और वह चाहकर भी बच्चों का मोबाइल छुड़ा नहीं पा रही हैं। तब वह साइकोलॉजिस्ट के पास पहुंची। साइकोलॉजिस्ट दोनों ही बच्चों की काउंसलिंग कर रही हैं। बच्चों पर मोबाइल की लत इस तरह हावी हो गई कि वह खाना भी फोन साथ लेकर खाती हैं। साइकोलॉजिस्ट की मानें तो बच्चों की मोबाइल लत पकड़ाने में पैरेंट्स का बहुत बड़ा रोल है। उनकी लापरवाही से बच्चे किताब-कॉपी छोड़ मोबाइल से हर काम कर रहे हैं। ये आदत उनकी सेहत पर बुरा असर डाल रही है।

स्कूल पैरेंट्स को कर रहे अवेयर

मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए गोरखपुर के स्कूल भी पैरेंट्स को अवेयर कर रहे हैं। यहां के कई स्कूल जैसे आरपीएम एकेडमी, सेंट पॉल स्कूल, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज, रैंपस, पिलर्स, स्प्रिंगर लोरेटो, सर माउंट, आक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, कॉर्मल स्कूल, लिटिल फ्लॉवर स्कूल व सेंट जोसेफ स्कूल समेत कई स्कूल नए सेशन से पैरेंट्स से बच्चों के मोबाइल यूज करने से संबंधित बातें भी करेंगे। स्कूल पैरेंट्स से पूछेगा कि उनका बच्चा कितनी देर मोबाइल चलाता है, कहीं स्कूल टीचर के नाम पर तो वह झूठ बोलकर मोबाइल यूज तो नहीं कर रहा है, यह भी स्कूलों में पता किया जाएगा। इसके बाद पैरेंट्स की मदद से बच्चों की मोबाइल की लत छुड़वाई जाएगी।

साइकोलॉजिस्ट के पास आते हैं केस

साइकोलॉजिस्ट के पास बच्चों से संबंधित अधिकतर केस मोबाइल की लत के होते हैं। बच्चों का गुमशुम रहना, बच्चे का बाहर ना निकलना, किसी से बात ना करना, किसी भी चीज के लिए जिद करते रहना जैसी बच्चों की शिकायत लेकर पैरेंट्स साइकोलॉजिस्ट के पास पहुंचते हैं। काउंसलिंग में बच्चों के इस बिहेव का मेन कारण मोबाइल यूज करना सामने आता है।

बच्चे का अडेप्टीव बिहेवियर होता है। वह मां-बाप को देखकर कोई भी चीज बड़ी जल्दी सीख जाते हैं। पैरेंट्स तो मेच्योर होते हैं, उन्हें समझना होगा कि वह बच्चों को अच्छी तरह समझाएं। डांटकर कोई भी लत छुड़वाई नहीं जा सकती है। उन्हें यह बताना होगा कि वह क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं। बच्चों को यह भी समझाना होगा कि पढ़ाई केवल कॉपी किताब से ही होती है। मोबाइल केवल इमरजेंसी में यूज करने के लिए होता है।

डॉ। आकृति पांडेय, साइकोलॉजिस्ट

मोबाइल की लत बच्चों पर हावी हो रही है। इस पर अब गंभीर होना होगा। स्कूल में अब पैरेंट्स मीटिंग में टीचर्स उन्हें इसके लिए अवेयर करेंगे। बच्चों को भी मोबाइल के साइड इफेक्ट बताकर अवेयर करेंगे।

गिरीश चंद्रा, डायरेक्टर, सेंट पॉल स्कूल

बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ती जा रही है। बच्चों के इस आदत को छुड़वाने के लिए पेरेंट्स को ध्यान देना होगा। जब वह खुद मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करेंगे, बच्चे कम इस्तेमाल करेंगे।

फादर जैयमॉन, प्रिंसिपल, सेंट जोसेफ गोरखनाथ