गोरखपुर (ब्यूरो)।दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ऐेसे ही कुछ युवाओं को ढूंढ निकाला है जो समाज के लिए प्रेरणा देने का कार्य कर रहे हैैं।

स्ट्रीट डॉग को सहारा देने ग्रेजुएट ने छेड़ी मुहिम

कुछ युवाओं ने बेजुबानों को सहारा देने के लिए एक मुहिम छेड़ी है। गोरखनाथ सिंधी कॉलोनी निवासी शनि कश्यप (24) अपनी टीम के साथ 'मानव मेरी सहायता करोÓ बैनर तले सिटी के स्ट्रीट डॉग, गोवंश के बीमार पडऩे पर उनका इलाज करते हैैं। उन्हें जिला पशु अस्पताल पहुंचाते हैैं। उन्होंने बीकॉम की पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद से ही यह काम शुरू कर दिया था। वे बताते हैैं कि ठंड के मौसम में ज्यादा डॉग व पपी को मरते देखा, उन्हें कोई पूछने वाला नहीं था, या फिर जो ठंड से बीमार पड़ गए थे। उनके इलाज के लिए रेस्क्यू किया गया। उनकी टीम के सहयोगी शुभम कुमार, राहुल, रमेश चंद्र गुप्ता, प्रतिमा, अर्चना, कोमल, रोमा व मयंक शामिल हैैं। वे बताते हैैं बेजुबान जानवर नहीं बोल सकते हैैं। उनकी तकलीफ को देखा नहीं जाता है, ऐेसे में वह इन बेजुबानों के लिए हर वक्त उपलब्ध रहते हैैं। इसके लिए बकायदा हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। वे बताते हैैं कि छह महीने में अब तक 150 से ऊपर स्ट्रीट डॉग को जीवन दे चुके हैैं। इसके अलावा 300 से अधिक जानवरों को वह इलाज करवा चुके हैैं।

साफ्टवेयर डेवलपर रत्नेश दे रहे शिक्षा

सिटी के रत्नेश तिवारी यूं तो पेशे से एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैैं। वह साफ्टको टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टर व यूथ युटिल वेलफेयर एसोसिएशन 'युवा इंडियाÓ के प्रेसीडेंट हैैं। लेकिन समाज के वह बच्चे जो शिक्षा के मुख्य धारा से कोसों दूर हैैं। ऐेसे में वह अपनी नौकरी छोड़कर बच्चों के भविष्य को संवारने में जुट गए हैैं। वे बताते हैैं कि आज भी हमारे समाज में बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे हैैं। उन्हें किताब, कॉपी व स्टेशनरी के सामान नहीं मिल पाते हैैं, वह अपने जेब से इन बच्चों पर खर्च करते हैैं। ताकि वह शिक्षा के मुख्य धारा से जुड़ सकें। वे बताते हैैं कि वह 2016 से यह काम कर रहे हैैं। वे बताते हैैं कि हाबर्ट बांध, बसंतपुर और सूर्य विहार में हजारों की संख्या में ऐेसे बच्चे हैं जो शिक्षा से वंचित हैैं। इन बच्चों को अक्षर मुहिम पाठशाला अभियान चलाकर उन्हें शिक्षित कर रहे हैैं। वह अब तक तीन चार बच्चों को इस अभियान से जोड़ चुके हैैं। अपनी मेहनत और लगन के बल पर 350 से भी ज्यादा बच्चों को शिक्षा स्वंय दे रहे हैैं। जबकि 140 से ज्यादा बच्चों को आसपास के प्राथमिक विद्यालय व शहर के प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवा चुके हैैं।