गोरखपुर (ब्यूरो).जिसने भी मनोयोग से अध्ययन और अध्यापन किया, उसकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी। यह बातें इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो। श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से कहीं। पेश हैं बातचीत के अंश

सवाल: गोरखपुर यूनिवर्सिटी और इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी में कोई करार हुआ है?

जवाब: एक समग्र एमओयू प्रस्तावित है, जिसके अंतर्गत गोरखपुर यूनिवर्सिटी के हर डिपार्टमेंट के टीचर्स और स्टूडेंट्स की इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी में जाने और विजिट करने की व्यवस्था होगी। इसके साथ ही वहां के भी स्टूडेंट्स, टीचर्स और रिसर्च स्कॉलर्स गोरखपुर यूनिवर्सिटी में आ सकेंगे।

सवाल: आपने डीडीयूजीयू की नैक मूल्यांकन तैयारियों को देखा। आपके आकलन के हिसाब से यूनिवर्सिटी को कौन सा ग्रेड मिलना चाहिए?

जवाब: तैयारी के हिसाब से गोरखपुर यूनिवर्सिटी को मेरे हिसाब से ए ग्रेड से ऊपर ही मिलना चाहिए। इसके बाद विशेषज्ञों की एक टीम आती है, जो तैयारियों को देखती है। यूनिवर्सिटी ने तैयारी बहुत अच्छी की है। यूनिवर्सिटी को नैक में अच्छा ग्रेड मिले, उसके लिए मेरी शुभकामनाएं हैं।

सवाल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से क्या सुधार आएगा?

जवाब: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा सुधार आएगा। मातृशक्ति, मातृ संस्था और मातृभूमि आजीविका की मातृ संस्था होती हैं। शिक्षा, संस्कृति और संस्कार इसके आधार हैं।

सवाल: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर दिया गया है। इससे शिक्षा व्यस्वथा में क्या बदलाव देखने को मिलेगा?

जवाब: प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभाषा और स्थानीय भाषा में संवाद और चिंतन करता है। पहली बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा को लेकर ध्यान दिया गया है कि हम मातृभाषा में अध्ययन करें। एक व्यक्ति में बहुआयामी प्रतिभा होती है। हो सकता है कि एक साइंस के स्टूडेंट का म्यूजिक में बहुत इंटरेस्ट हो, आट्र्स के स्टूडेंट की साइंस में गहरी रुचि हो। एनईपी में विषय का विकल्प खुला हुआ है। स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट के अलावा और भी सब्जेक्ट ले सकते हैं।

सवाल - आप एक जनजातिय विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। गोरखुपर और आसपास के क्षेत्र की जनजातियों के लिए आपकी क्या योजना है?

जवाब - जनजातिय समुदाय बहुत ही सहज, संतोषी, सक्रिय और सहयोगी है। इस क्षेत्र में एक बहुत बड़ी संख्या थारू जनजाति की है जो भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और सामाजिक की एक मजबूत कड़ी हैं। इनका अकादमिक उन्ययन नहीं हुआ है। मेरी कोशिश है कि इस समुदाय के लोग इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी में पढऩे जाएं। इस वर्ष कुछ स्टूडेंट्स वहां पढऩे गए हैं। मै थारू जनजाति के स्टूडेंट्स को अपनी यूनिवर्सिटी में विजिट कराने की कोशिश कर रहा हूं। मेरी इच्छा है कि जनजातिय समाज शिक्षा के माध्यम से देश की मुख्य धारा में आए।

सवाल: कोविड के बाद शिक्षा व्यवस्था में क्या बदलाव देखने को मिला?

जवाब: शिक्षा एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिसपर कोविड का उतना प्रभाव नहीं पड़ा। पहले स्टूडेंट्स क्लासरूम में पढ़ते थे। कोविड के बाद टीचर्स और स्टूडेंट्स दोनों डिजिटल मोड में आ गए। इससे बाकी स्टूडेंट्स को भी लाभ मिला। हमारी शिक्षा नीति में है कि हमें वैश्विक नागरिक तैयार करना है। डिजिटल प्लेटफार्म पर आते ही सबका स्वरूप वैश्विक हो गया।