गोरखपुर (ब्यूरो)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री शुक्रवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 89वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि लोगों से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि स्पेशल एजुकेशन जोन से विश्व भर की समस्याओं का समाधान गोरखपुर में निकाला जाएगा और इसमें महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं व इसके स्टूडेंट्स की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आई नई शिक्षा नीति रणनीतिक परिवर्तन के अनुरूप तैयार की गई है।

नई शिक्षा नीति के जरिए तैयार करेंगे विश्व नागरिक

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस नीति का उद्देश्य भारत को विश्व का नम्बर एक देश बनाना है। नम्बर एक विश्व में वर्चस्व के लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए है। नई शिक्षा नीति का विचार भारत के बच्चों को वैश्विक नागरिक बनाने का है। गोरखपुर के बच्चे भी वैश्विक नागरिक बनने में जुटेंगे। यहां बाबा गंभीरनाथ पीठ की स्थापना तो हो ही रही है, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और इसके पहले से शुरू दो विश्वविद्यालय स्पेशल एजुकेशन जोन से जुड़कर इस आध्यात्मिक नगरी में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे।

मुद्दा नहीं समाधान निकालता है योगी जी का नेतृत्व

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की तारीफ की। कहा कि योगी जी का नेतृत्व मुद्दा को लेकर परेशान नहीं रहता बल्कि हर मुद्दे का समाधान निकालता है। इस दौरान उन्होंने पुरानी बातें शेयर करते हुए कहा कि 2004 में जब वह पहली बार लोकसभा पहुंचे तो योगी आदित्यनाथ को देखकर उनके मन मे सवाल था कि एक सन्यासी क्या मुद्दा उठाता होगा। पर, जब योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में कालाजार बीमारी का जिस अंदाज में मुद्दा उठाया, उसे देखकर वह अभिभूत थे। उन्होंने कहा कि आज योगी आदित्यनाथ सफल नेतृत्व के प्रतिमान हैं। उनके नेतृत्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश को पीएम मोदी के हाथों खाद कारखाना की सौगात मिली है। यूपी में घर घर पानी की तरह गैस पहुंचने जा रही है।

युगपुरुष हैं ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि युग पुरुष किसे कहा जाए, इस प्रश्न के विचार पर उत्तर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ के रूप में मिलता है। लंबे मुगलिया और अंग्रेजी हुकूमत के बाद समाज की स्थिति को उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से पहचाना और देश व समाज के नए भविष्य के लिए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की नींव रखी। महंत दिग्विजयनाथ की दूरदर्शिता आज समझ में आती है। उनकी दूरदर्शी परम्परा को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और आज योगी आदित्यनाथ ने तेजी से आगे बढ़ाया है।

शिक्षा के बगैर सामाजिक क्रांति संभव नहीं : सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सामाजिक क्रांति शिक्षा के बगैर संभव नहीं है। शिक्षा सामाजिक रूढिय़ों पर प्रहार करने का माध्यम है। गोरक्षपीठ ने सदैव उन रूढिय़ों का विरोध किया है जो सामाजिक एकता में बाधक रही हैं। गोरक्षपीठ ने शिक्षा को सर्वांगीण विकास का माध्यम बनाने के लिए ही महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा, कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के बिना कोई भी समाज सभ्य और संस्कारयुक्त होने की कल्पना नहीं कर सकता और जब सभ्यता और संस्कार नहीं होगा तो समाज में समृद्धि कहां से आएगी। कहा कि 1932 में जब युगपुरुष महंत दिग्विजयनाथ ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की नींव रखी होगी तो उनके मन में यकीनन यही भाव रहा होगा कि आजाद भारत के नागरिकों का स्वरूप क्या हो। आज परिषद की संस्थाएं उनके भाव का साकार रूप में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

शिक्षा नीति के परिणामों से जोडऩे की तैयारी करें संस्थाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो चुकी है। हरेक संस्था को चाहिए कि वह सरकार की इस नीति की मंशा के अनुरूप कार्य योजना बनाएं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के जब तक परिणाम आएंगे, तब तक महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा। परिषद से जुड़ी सभी संस्थाएं इसके परिणामो से खुद को जोडऩे की तैयारी में जुट जाएं। समारोह का स्वागत संबोधन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो। यूपी सिंह ने किया। इस अवसर पर एमएमएमयूटी के वीसी प्रो। जेपी पांडेय, महायोगी गुरु गोरखनाथ यूनिवर्सिटी के वीसी मेजर जनरल अतुल वाजपेयी, जिला पंचायत अध्यक्ष साधना सिंह, मेयर सीताराम जायसवाल, विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह, डॉ। विमलेश पासवान, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के सदस्य प्रमोद कुमार चौधरी, प्रमथनाथ मिश्र आदि की प्रमुख सहभागिता रही।

श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मिलेंगे ये पांच स्वर्ण पदक

महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ स्वर्ण पदक : श्रेष्ठतम संस्था - महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज, गोरखपुर

योगिराज बाबा ब्रह्मनाथ स्वर्ण पदक : श्रेष्ठतम कर्मचारी - सोम बहादुर, डीवीएनपीजी कॉलेज

योगिराज बाबा गंभीरनाथ स्वर्ण पदक : श्रेष्ठतम शिक्षक - डॉ। कमलेश कुमार मौर्या, डीवीएनपीजी

ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ स्वर्ण पदक : स्नातक का श्रेष्ठतम विद्यार्थी - सुजीत कुमार, एमपीपीजी कॉलेज

ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ स्वर्ण पदक : श्रेष्ठतम विद्यार्थी - शशांक पांडेय, गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ पीजी कॉलेज

महाराणा मेवाड़ स्वर्ण पदक : माध्यमिक वर्ग की श्रेष्ठतम विद्यार्थी - अपर्णा परिक, एमपी बालिका इंटर कॉलेज

सीडीएस बिपिन रावत व सैन्यकर्मियों को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह के समापन अवसर पर दिवंगत सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान समेत 13 सैन्यकर्मियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही हेलिकॉप्टर क्रैश में एकमात्र जीवित बचे देवरिया निवासी ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की गई। गौरतलब है कि गत वर्ष महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में जनरल बिपिन रावत गोरखपुर आए थे और अपने ओजस्वी वक्तव्य से छात्रों को प्रेरित किया था। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनरल बिपिन रावत एक उत्कृष्ट सैन्य अधिकारी और संपूर्ण समर्पित भाव के सैनिक के उत्कृष्टतम उदाहरण थे। दिवंगत होने से पूर्व सात दिसंबर को दिया गया, उनका वक्तव्य उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है जिसमें उन्होंने भविष्य में जैविक युद्ध की आशंकाओं पर चिंता जाहिर करते हुए तैयार रहने की बात कही थी। इसी क्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि जनरल रावत का मानना था कि सेना एक नौकरी नहीं बल्कि देश सेवा का मौका है। उन्होंने विश्व मे बायोलॉजिकल और केमिकल वार पर चिंता जताई थी और आज पूरे विश्व के विद्वान इस पर चिंता कर रहे हैं। कार्यक्रम के दौरान जनरल रावत व अन्य दिवंगत सैन्यकर्मियों की याद में दो मिनट मौन रहकर प्रार्थना की गई।