गोरखपुर (ब्यूरो)। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर सर्वे कराया। इस सर्वे में करीब 100 से ज्यादा लोगों ने अपनी राय रखीं। इसमें लोगों ने पब्लिक

को अवेयर करने के साथ ही व्यवस्था में सुधार की जरूरत बताई।

पब्लिक अवेयर नहीं

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से गोरखपुर के लोगों के बीच सर्वे किया गया। इसमें गोरखपुर में यातायात व्यवस्था के लिए लोग किसे जिम्मेदार मानते हैं, इसको लेकर सवाल

किया गया। इसमें 44 परसेंट से ज्यादा लोगों ने पब्लिक को अवेयर करने की बात कही। लोगों का मानना है कि जल्दी की वजह से लोग गाड़ी लेकर कहीं भी घुस जाते हैं। रॉन्ग

साइड नहीं देखते, इसकी वजह से उनके पीछे लोगों की लाइन लग जाती है। ऐसे में रॉन्ग साइड पर ट्रैफिक लोग बढ़ जाता है और जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में लोगों को

थोड़ा सब्र करने के साथ ही अवेयर होना पड़ेगा और सिविक सेंस को डेवलप करना होगा, जिससे थोड़ा इंतजार के बाद उन्हें रास्ता भी मिल जाएगा और लोगों को जाम के झाम से

नहीं जूझना पड़ेगा।

पार्किंग की कमी, कमजोर ट्रैफिक सिस्टम

लोगों ने सर्वे के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए यह भी माना कि गोरखपुर में ट्रैफिक सिस्टम काफी कमजोर है। ट्रैफिक लाइट से ऑपरेट करने के बाद कभी किसी रोड का

ट्रैफिक खाली हो जाता है, वहीं कुछ रोड पर कई बार सिग्नल होने के बाद भी वहां पर लोग निकल नहीं पाते, ऐसे में रोड के उस ओर जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। पुलिस को

ट्रैफिक के इस मैनेजमेंट सिस्टम पर भी काम करना होगा। लेफ्ट लेन का भी इंतजाम करना होगा, जिससे कि बाएं जाने वाले लोगों को इंतजार न करना पड़े और बेवजह की भीड़

इकट्ठी न हो।

सवालों के कुछ ऐसा आया रिजल्ट

सवाल - गोरखपुर सिटी में बेपटरी यातायात के लिए कौन जिम्मेदार है।

कमजोर ट्रैफिक सिस्टम - 21.6 परसेंट

पुलिस की लापरवाही - 5.9 परसेंट

पब्लिक का अवेयर न होना - 44.1 परसेंट

इनमे से सभी - 28.4 परसेंट

सवाल - आखिर ट्रैफिक पुलिस कहां पर मात खा रही है?

पार्किंग की कमी - 33.3 परसेंट

एनक्रोचमेंट की अनदेखी - 21.1 परसेंट

कार्रवाई न करना - 8.8 परसेंट

उपरोक्त सभी - 36.8 परसेंट

सवाल - ट्रैफिक सुधार के लिए गोरखपुर में पर्याप्त सिस्टम है?

हां - 19 परसेंट

नहीं - 74.1 परसेंट

मालूम नहीं - 6.9 परसेंट

ट्रैफिक सुधार के लिए जिम्मेदारों को क्या कदम उठाने चाहिए?

अवेयरनेस कैंपेन - 28.1 परसेंट

चालान या कार्रवाई - 5.3 परसेंट

मुफ्त पार्किंग - 8.8 परसेंट

उपरोक्त सभी - 57.9 परसेंट

क्या ट्रैफिक सुधार के नाम पर चालान की कार्रवाई ही एक मात्र हल है?

हां - 14 परसेंट

नहीं - 80.7 परसेंट

कुछ कह नहीं सकते - 5.3 परसेंट

यह भी आए सजेशन -

- ट्रैफिक सिस्टम को बेहतर करने के लिए सूटेबल स्टेप उठाए जाने चाहिए।

- ग्रीन ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग 45 सेकंड से ज्यादा रखना सबसे बड़ी समस्या है।

- इसके अलावा दो सिग्नल मे कोई समन्वय न होना भी समस्या है।

- सिग्नल को ऐसा प्रोग्राम करना चाहिए कि एक चौराहे पर रेड सिग्नल का सामना करने वालों को अगले चौराहे पर ग्रीन सिग्नल मिले।

- चौराहों पर सड़क के लेफ्ट साइड को खाली रखा जाए।

- रेड सिग्नल पर गाडिय़ां एकदम लेफ्ट पर न खड़ी हो तो लेफ्ट की तरफ जाने वालों को सिग्नल के कारण रुकना नहीं पड़ेगा।

- इससे सिग्नल पर 33 परेंसट लोड कम हो जाएगा।

- इसके लिए जनता को जागरुक और पुलिस कर्मियों को सतर्क होना पड़ेगा।

नोट:::: तीन सजेशन को ट्विटर लोगो के साथ वर्जन स्टाइल में दें।

अरविंद अग्रवाल - सूटेबल स्टेप शुड बी टेकन टू इंप्रूव ट्रैफिक।

इंदु प्रभा सिंह - इंफ्रास्ट्रक्चरल सपोर्ट और दूसरे आस्पेक्ट पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

अभिषेक त्रिपाठी - ग्रीन ट्रैफिक सिग्नल की टाइमिंग 45 सेकेंड से ज्यादा रखना बड़ी समस्या है। इसके अलावा दो सिग्नल के बीच कोई कोऑर्डिनेशन न होना भी प्रॉब्लम है।

पब्लिक के सहयोग शहर की ट्रैफिक में सुधार का प्रयास जारी है। सर्वे में जो भी बिंदु सामने आए हैं। उनको भी अमल में लाया जाएगा। पूर्व में भी सभी की राय ली गई थी। लोगों को

जाम से निजात दिलाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।

डॉ। विपिन ताडा, एसएसपी