गोरखपुर (ब्यूरो).बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्राबॉयोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि ये मंकीपॉक्स वायरस केकारण होने वाला एक जूनोटिक रोग है। यह चेचक के समान एक दुर्लभ बीमारी है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह रोग पश्चिम और मध्य अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में स्थानिक है, लेकिन हाल ही में गैर स्थानिक देशों से भी मामले सामने आए हैं। यह फ्लू जैसे लक्षण जैसे बुखार और ठंड लगना और एक दाने का कारण बनता है जिसे साफ होने में हफ्तों लग सकते हैं।
अपने आप ठीक हो जाती है प्रॉब्लम
मंकीपॉक्स का कोई प्रमाणित इलाज नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्टैंडर्ड डीएनए वायरस है जो पॉक्सविरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। मंकीपॉक्स वायरस के दो अलग-अलग आनुवंशिक समूह हैं।
क्या हैं लक्षण -
बुखार
सिर दर्द
मांसपेशियों में दर्द
पीठ दर्द
सूजी हुई लसीका ग्रंथियां
ठंड लगना
थकावट
ऐसे होगा बचाव -
- उन जानवरों के संपर्क में आने से बचें जो वायरस को शरण दे सकते हैं।
- किसी बीमार जानवर के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री, जैसे बिस्तर, के संपर्क में आने से बचें।
- संक्रमित रोगियों को अन्य लोगों से अलग करें जिन्हें संक्रमण का खतरा हो सकता है।
- संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद हाथ की अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें।
- अपने हाथों को साबुन और पानी से धोना या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- मरीजों की देखभाल करते समय पीपीई किट जरूर यूज करें।
- अगर आप किसी के साथ सेक्स करते हैं तो ध्यान रखें कि आपके साथी को मंकीपॉक्स के लक्षण तो नहीं है या विदेश यात्रा का कोई इतिहास तो नहीं है।
दूसरे राज्यों से आने वाले मुसाफिरों की सूची बनाई जा रही है। एयरपोर्ट पर उतरने वाले लोगों की सूची बनाई जा रही है। अब तक 275 से ज्यादा मुसाफिरों की सूची बनाई जा चुकी है, लेकिन इनमें से कोई भी संदिग्ध व्यक्ति नहीं मिला है। हालांकि नजर रखी जा रही है।
- डॉ। आशुतोष कुमार दुबे, सीएमओ