- रोजेदारों ने अल्लाह की इबादत कर मांगी दुआ

- कुरआन में सिर्फ रमजान के ही बयान हुए हैं फजायल

GORAKHPUR: कुरआन में सिर्फ रमजान शरीफ ही का नाम लिया गया और इसी के फजाइल बयान हुए हैं। रमजान में पांच इबादत खुसूसी होती है रोजा, तरावीह, तिलावत-ए-कुरआन, एतिकाफ और शबे कद्र में जागकर इबादत करना। यह बातें मौलाना अनवर अहमद ने दीनी किताबों को हवाले से बताई। उन्होंने बताया कि जो कोई सच्चे दिल से ये पांच इबादत करे वह अल्लाह का इनाम पाने का हकदार हो जाता है। रमजान के इस्तकबाल के लिए सारे साल जन्नत को सजाया जाता है। कुछ उलेमा फरमाते हैं कि जो रमजान में मर जाए उससे सवालाते कब्र भी नहीं होता। रमजान में शैतान कैद कर दिया जाता है और दोजख के दरवाजे बंद हो जाते है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं इसीलिए रमजान के दिनों में नेकियां बढ़ जाती हैं और गुनाहों की कमी होती है। रमजान में खाने-पीने का हिसाब नहीं है। हमें चाहिए कि हम रमजान में नेक काम करें और गुनाहों से बचें। गरीबों, मोहताजों की मदद करें।

फर्ज नमाजों का सवाल 70 गुना : हाफिज शहीद

हाफिज मो। शहीद निजामी ने दीनी किताबों के हवाले से बताया कि मुकद्दस मजान में हर दिन और हर वक्त इबादत होती है। रोजा इबादत, इफ्तार इबादत, इफ्तार के बाद तरावीह का इंतजार इबादत, तरावीह पढ़कर सहरी के इंतजार में सोना इबादत, फिर सहरी खाना भी इबादत है। रमजान एक भट्टी की तरह है जैसे कि भट्टी गंदे लोहे को साफ और साफ लोहे को मशीन की पुर्जां बनाकर कीमती कर देती है और सोने को जेवर बनाकर कीमती कर देती है व सोने को जेवर बनाकर इस्तेमाल के लायक कर देती है ऐसे ही मुकद्दस रमजान गुनाहगारों को पाक करता है और नेक लोगों के दर्जें बढ़ाता है। रमजान में नफ्ल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब सत्तर गुना मिलता है। हमें चाहिए कि इबादत करके अपना मुकद्दर संवारें और गुनाहों की माफी मांगें।

मालिके निसाब अदा कर रहे हैं जकात

- बंदे अल्लाह का हुक्म मान मुकद्दस रमजान का रोजा रख रहे हैं।

- सोमवार को 13वां रोजा अल्लाह की हम्दो सना में बीता।

- रमजान में बंदे अल्लाह की रहमत से मालामाल हो रहे हैं।

- शाम को हलाल कमाई से रोजा खोलकर अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे हैं।

- बंदे दिन भर रोजा रख रहे है, पांचों वक्त की नमाज व तरावीह की नमाज पढ़ रहे हैं।

- जो मालिके निसाब हैं जकात, सदका व फित्रा के जरिए गरीबों की मदद कर रहे हैं।

- एक साथ एक वक्त दीन-ए-इस्लाम के तीन फर्जो को अल्लाह के बंदे पूरा कर रहे हैं। ऐसा पल रमजान में ही मिलता।

- नेक बंदे जो भी नेकियां कर रहे है उसका उन्हें आम दिनों के मुकाबले कई गुना ज्यादा सवाब मिल रहा है।

- कोरोना वबा से निजात की दुआ मांगी जा रही है। तरावीह की नमाज का दौर जारी है जो पूरे रमजान तक चलेगा।

- महिलाएं इबादत के साथ अन्य जिम्मेदारी बाखूबी अंजाम दे रही हैं।

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सब्जपोश हाउस मस्जिद में एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार में सोमवार को तरावीह की नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल हो गया। तरावीह की नमाज में मुकम्मल कुरआन-ए-पाक मस्जिद के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने सुनाया। दुआ ख्वानी हुई। मुल्क में अमनो सलामती व कोरोना वबा से निजात की दुआ मांगी गई। इमाम हाफिज रहमत अली को दुआ व तोहफों से नवाजा गया। शीरीनी बांटी गयी। इस दौरान मौलाना नूरुद्दीन रजा, हाजी सलीम, हाजी बदरुल हसन, इमरान, परवेज आलम, इरफान, शहनवाज आलम, राशिद हुसैन, हाफिज आमिर हुसैन आदि मौजूद रहे।