गोरखपुर (ब्यूरो).जिले में सात अगस्त को दो करोड़ से अधिक मूल्य की नशीली दवाएं बरामद हुई थी। इस मामले में भालोटिया के दो व्यापारी भाई आशीष गुप्ता और अमित गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। उसी दौरान विभाग को टिप मिली थी कि गुप्ता भाई के अलावा भी कई कारोबारी इस गंदे धंधे में लिप्त हैं। सूबे में इन दिनों गोरखपुर से होकर लैबरोट की नशीली दवाओं की भी तस्करी हो रही है।

प्रशासन के दबाव में हुई कार्रवाई

सूत्रों की माने तो ड्रग विभाग के अंदर से ही इसकी सूचना लीक हो गई। कोशिश मामला मैनेज करने का हुआ। सेटिंग भी हुई। प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी भनक लग गई। उन्होंने ड्रग विभाग के अधिकारियों से सभी कारोबारियों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया। अधिकारियों के दबाव में विभाग को शनिवार को कार्रवाई करनी पड़ी। इस कार्रवाई के दौरान एक दवा व्यापारी नेता भी लैबोरेट के गोदाम पर पहुंचे थे। वह कार्रवाई कर रहे अधिकारियों से वार्ता कर वहां से चले गए।

तेजी से बढ़ रहा नशे का

थोक दवा की मंडी भालोटिया में नशे का काला कारोबार बीते एक दशक में दिन दूना और रात चौगुना बढ़ा है। आशीष गुप्ता और अमित गुप्ता इस खेल में सिर्फ एक खिलाड़ी हैं। सूत्रों की माने तो भालोटिया में एक दर्जन दवा व्यापारी नशे की दवाओं के कारोबार में लिप्त हैं। कोविड में इन दवाओं की मांग का ग्राफ तेजी से उछला है।

कच्चे में होता है सौदा

भालोटिया से जुड़े स्रोत ने बताया कि नशे की सभी दवाएं शेड्यूल एच और एक्स में शामिल हैं। इन दवाओं की खरीद व बिक्री का ब्योरा थोक व फुटकर व्यापारियों को रखना अनिवार्य है। इन दवाओं का काला कारोबार करने वाले इन दवाओं का सौदा कच्चे में करते हैं। इसकी खरीद व बिक्री का कोई हिसाब नहीं रखा जाता।

कार्रवाई के नाम पर हुई खानापूर्ति

शनिवार को प्रशासन के दबाव में हुई ड्रग विभाग की कार्रवाई कागजी खानापूर्ति बन कर रह गई। लैबोरेट के नशे से जुड़ी छह दवाओं की बिक्री इसी सेंटर से पूर्वी यूपी में होती है। विभाग को नशे की दवाओं के खरीद बिक्री के रिकॉर्ड नहीं मिले। उसके लिए व्यापारी को तीन दिन की मोहलत दी गई। गोदाम में फर्श पर ऑक्सीटोसिन (लैबटोसिन) मिला था। इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखना था। जांच टीम ने दवाएं जब्त कर लीं। गोदाम से किन थोक विक्रेताओं को दवाओं की सप्लाई हुई, उसकी कोई सूचना संचालक से नहीं मांगी।

आधा दर्जन दवा कंपनी का संचालक

लैबोरेट के संचालक मनीष केडिया थोक दवा मंडी के बड़े व्यापारियों में शामिल हैं। वह जेनरिक दवाओं के सबसे बड़े कारोबारी हैं। वे लैबोरेट समेत आधा दर्जन बड़ी दवा कंपनियों के सीएंडएफ हैं। यह दवा कंपनियां नशे की दवाएं भी सप्लाई करती हैं।

कार्रवाई देर से नहीं हुई। जरूरत पड़ी तो और भी दुकानों की जांचें होंगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। तीन दिन में संचालक दवाओं की बिक्री का हिसाब देंगे। उसके बाद जांच का दायरा बढ़ेगा।

- एजाज अहमद, सहायक आयुक्त औषधि