- महिलाओं को किचन से काफी राहत की उम्मीद

- खाने-पीने की चीजों को जीएसटी से मिले आजादी

- गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की डिमांड

GORAKHPUR: देश का बजट बस कुछ दिनों में ही पेश होगा। हर कैटेगरी को इस बजट में अपने लिए कुछ खास होने की उम्मीद है। सरकार भी हर वर्ग को ध्यान में रखकर बजट बनाने में मशगूल है। इसमें आधी आबादी जिस पर सारे घर के पेट भरने का दारोमदार है, उसकी बजट की ओर खास निगाह है। उनको उम्मीद है कि सरकार का यह बजट पिछले बजट जैसा नहीं होगा और लोगों को रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजों पर छूट मिलेगी। वहीं, गैस सिलेंडर और केरोसीन पर भी सरकार का नजरे-करम होगा, जिससे किचन का बोझ काफी हद तक कम हो सकेगा। बजट को ध्यान में रखकर जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की रिपोर्टर ने महिलाओं से बजट के बारे में राय मांगी, तो उन्होंने दिल खोल के अपनी बातें शेयर कीं।

लोक लुभावन के साथ राहत वाला हो बजट

सरकार इस जो बजट लाने जा रही है, उसे लोक लुभावन होना चाहिए। इसमें हर वर्ग के लोगों को राहत तो मिले ही, लेकिन महिलाओं पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है। इसमें भी सबसे ज्यादा गैस के दाम कम करने पर सरकार का फोकस होना चाहिए। यह तभी हो सकेगा जब तेल और पेट्रोलियम पदार्थ को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा। वहीं महीने में मिलने वाले सब्सिडाइज गैस सिलेंडर की तादाद भी बढ़ाई जानी चाहिए, जिससे बड़ी फैमिली वाले लोगों को राहत मिल सके।

सरकार को गैस सिलेंडर के दाम कम कर देने चाहिए। उसपर जीएसटी लागू कर देना चाहिए। जिससे गैस के दाम पर कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सके।

- निरुपमा श्रीवास्तव

रोजमर्रा के सामान के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। तेल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन बढ़ रहा है, इसका असर लोगों की रसोई पर भी पड़ रहा है। सरकार को पेट्रोलियम पदार्थो को भी जीएसटी के दायरे में ला देना चाहिए।

- अंजली श्रीवास्तव

डेली यूज में आने वाले सामान के दाम पर सरकार कंट्रोल करे। इनकी कीमतों को कम किया जाए और दुकानदारों पर भी सख्ती की जाए कि वह मनमाने रेट में सामान न बेचें।

- खुशबू यादव

सरकार अगर रोजमर्रा के सामान के दाम कम कर दे तो आम आदमी को राहत मिले। इसके लिए वह जो भी डेली यूज आइटम्स हैं, उनपर से जीएसटी हटा दे। अगर हटाना न मुमकिन हो तो कम ही कर दे।

- तृप्ती श्रीवास्तव

पैक्ड फूड जो इन दिनों मनमाने रेट्स पर बेचे जा रहे हैं, इनको बेचने के लिए मानक तय होना चाहिए। क्योंकि एक ही सामान कई कंपनियां अगल-अलग रेट पर सेल कर रही हैं। आटा, दाल, चावल इसके एग्जामपल हैं।

- प्रियंका श्रीवास्तव

किचन में इस्तेमाल होने वाले चूल्हे और दूसरे जरूरी सामानों को भी टैक्स के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए। इससे लोगों को बजट नहीं बिगड़ेगा और वह इन पैसों को हेल्थ और दूसरी अहम जरूरतों में इस्तेमाल कर सकेगा।

- ऋतुंभरा

सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर्स की तादाद काफी कम है। इससे कई बार लोगों को नॉन सब्सिडाइज सेलेंडर खरीदना पड़ता है। सरकार को इनकी तादाद भी बढ़ाना चाहिए, ताकि कुछ पैसे की बचत हो सके।

- दीपा श्रीवास्तव

रेडीमेड और रेडी टू ईट फूड भी सस्ते हों, जिससे वर्किंग लोगों को राहत मिल सके। वह इसी के अकॉर्डिग अपना डेली रूटीन प्लान कर सकें और कम वक्त और पैसे में उनका खाना भी तैयार हो जाए।

- प्रियंका यादव

बजट में इनकम टैक्स को पांच लाख तक टैक्स फ्री होना चाहिए। साथ ही टैक्स की दरें भी कम होनी चाहिए। महिलाओं को घर, वाहन, खरीद के लिए कम दर पर बैंक फाइनेंस होना चाहिए।

- अनीता

महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार ध्यान दें। गैस के दाम ऊपर नीचे होने से हमेशा ही घर का बजट प्रभावित होता है। इसलिए सरकार को इसके रेट फिक्स कर देने चाहिए।

- शिवांगी चौरसिया