गोरखपुर (ब्यूरो)। प्रेसीडेंट ने कहा कि हमारी मान्यता रही है कि संतों के आगमन से धरती पवित्र होती है। एक समय तक ऊसर, बंजर और अभिशप्त रही मगहर की भूमि भी संत कबीर के आगमन से खिल उठी।

अंधविश्वास तोडऩे काशी से मगहर आए संत कबीर

प्रेसीडेंट, गवर्नर और सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ रविवार सुबह मगर के कबीर चौरा परिसर में स्थित संतकबीर की समाधि पर मत्था टेकने, पौधरोपण करने के बाद यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने संतकबीर अकादमी एवं शोध संस्थान तथा इंटरप्रेटेशन सेंटर समेत 49 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों का इनॉगरेशन भी किया। अपने संबोधन में प्रेसीडेंट ने कहा कि संतकबीर इस अंधविश्वास को तोडऩे के लिए काशी से मगहर आए थे कि काशी में मृत्यु से स्वर्ग प्राप्त होता है और मगहर में मृत्यु से नरक। ऐसा लगता है कि मानो वह अकाल से त्रस्त लोगों का जीवन संवारने के लिए ही मगहर आए थे। संत कबीर एक सच्चे पीर थे। कबीर सोई पीर है जो जाने पर पीर।

कबीर ने बुनी समाज के निर्माण की चादर

उन्होंने कहा कि संतकबीर ने अपनी वंचनाओं को कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाया। वह कपड़ा बुनने का काम करते थे। अच्छा कपड़ा बुनने के लिए सूत की कताई, रंगाई से लेकर ताना-बाना तैयार करने तक बहुत सावधानी और सजगता की जरूरत होती है। संतकबीर ने उस समय विभाजित समाज में समरसता लाने के लिए सामाजिक मेलजोल की बारीक कताई की, ज्ञान के रंग से सुंदर रंगाई की, एकता और समन्वय का मजबूत ताना-बाना तैयार किया और समरस समाज के निर्माण की चादर बुनी। इस चादर को उन्होंने बहुत सावधानी से ओढ़ा और कभी मैला नहीं होने दिया। कहा जाता है, 'दास कबीर जतन ते ओढ़ी, च्यूं की त्युं च्यों धर दीनी चदरिया

कबीर की शिक्षाएं बुद्धिजीवियों और आमजन में एकसमान लोकप्रिय

प्रेसीडेंट ने कहा कि संतकबीर ने समानता व समरसता का मार्ग दिखाया। गृहस्थ जीवन में भी व संतों की तरह जीवन जीते रहे। वह पुस्तकीय ज्ञान से वंचित रहे पर साधु संगति के ज्ञान व अनुभव से उनके द्वारा प्रतिपादित शिक्षाएं 600 वर्ष बाद भी आमजन, बुद्धिजीवियों में एक समान लोकप्रिय हैं। उनका समय आंक्राताओं के आक्रमण का समय था। ऐसे में प्रेम और मैत्री का संदेश देने के लिए उन्होंने लोगों के बीच सीधा संवाद किया। कभी-कभी ठेठ शब्दों का भी प्रयोग किया जो तब की परिस्थितियों के अनुसार बहुत जरूरी भी था। संतकबीर ने पहले समाज को जगाया और फिर चेताया।

बहुत कठिन होता है सहज होना

संतकबीर को महान व सहज संत बताते हुए प्रेसीडेंट ने कहा कि सहज होना वास्तव में बहुत कठिन होता है.आसक्ति आसानी से नहीं छोड़ती। संतकबीर ने बहुत सहजता से यह संदेश दिया किसी स्थान विशेष से स्वर्ग या नरक नहीं मिलता। बल्कि यह हमारे आचरण पर निर्भर करता है। वह मानते थे कि ईश्वर जब कण-कण में व्याप्त है तो हम उसे बाहर क्यों खोजें।

कबीर की पुण्य भूमि पर आने की बेहद प्रसन्नता

साहेब बंदगी के उदबोधन से अपनी बात शुरू करते हुए प्रेसीडेंट ने कहा कि आज कबीर साहेब की पुण्य भूमि पर आकर उन्हें बेहद प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक जीवन में उन्हें संतकबीर से जुड़े स्थलों के दर्शन तथा देश के अलग-अलग हिस्सों में संतकबीर की स्मृति में आयोजित समारोहों में शामिल होने का अवसर प्राप्त होता रहा।