- कोविड टेस्टिंग लैब में रोजाना जोखिम में है जान

- इसके बाद भी 18 घंटे तक टेक्निशियन कर रहे हैं काम

- आरएनए डिस्ट्रैक्शन तक बना रहता है इन्फेक्शन का खतरा, डेली हो रही है 70-100 जांचें

GORAKHPUR: कोरोना की दहशत सभी पर हावी है। सब इसी कोशिश में लगे हुए हैं कि किसी भी तरह इससे दूर रहा जाए, जिससे कि अपने साथ अपनों को बचाया जा सके। लेकिन हेल्थ, एडमिनिस्ट्रेशन, पुलिस, जीएमसी ऐसे कुछ महकमे हैं, जो दिन-रात अपनी ड्यूटी करने में लगे हैं। सब विभागों के अपने काम हैं, जिसे वो बाखूबी अंजाम भी दे रहे हैं। मगर आज बात उस खास विभाग की, जिसकी जरूरत हर पॉजिटिव और नेगेटिव केस की डायग्नोसिस में पड़ रही है। हम बात कर रहे हैं, आरएमआरसी स्थित लैब की, जहां डॉक्टर अशोक पांडेय की छोटी सी टीम हर वक्त खतरों के बीच रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाने में लगी हुई है।

हर सैंपल खतरनाक

गोरखपुर हो या कोई दूसरा शहर, सभी कोरोना का नाम सुनकर ही खौफजदा हो जा रहे हैं। अगर पॉजिटिव केस सुन लिया को कोई पास आने को तैयार नहीं है, ऐसे हालात में ये टीम हर वक्त अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। पॉजिटिव सैंपल आए या निगेटिव ये उसी लगन से जांच करने में लगे हुए हैं। यहां अभी 100 सैंपल आ रहा हैं, आने वाले दिनों में 200-200 सैंपल आएंगे। यानि कि अभी जहां पर 100 गुना रिस्क है, वहां यह रिस्क और बढ़ने वाला है। यहां एक इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी क्षमता 20 है, इसलिए 20 सैंपल ही एक बैच में निकल पा रहे हैं। इंस्ट्रूमेंट आने के बाद जांच में कुछ तेजी आएगी। ऐसे रिस्क में भी आरएमआरसी के साथ ही मेडिकल कॉलेज के स्टाफ जी-जान से लगे हुए हैं।

आरएनए एक्सट्रैक्शन तक रहता है खतरा

रिस्क की बात करें तो केजीएमयू, पीजीआई जैसी लैब्स में ऑटोमेटेड रोबोटिक आरएनए एक्सट्रैक्टर लगे हुए हैं, मशीनें धड़ा-धड़ सैंपल निकाल कर दे रही हैं। लैब्स में सैंपल को कलेक्ट किया, उसमें बार-कोड लगाया और मशीन में डाला, एक साथ 96-96 बैच निकाले जा रहे हैं। जबकि आरएनए एक्सट्रैक्शन का काम आरएमआरसी में मैनुअल हो रहा है। एक माइक्रोलीटर सैंपल यानि कि एक लीटर के 1000वें भाग से सैंपल निकालकर आरएनए एक्स्ट्रैक्ट किया जा रहा है। जबकि यहां सारी प्रॉसेस मैनुअल होने के साथ ही रिस्की भी है, क्योंकि आरएनए एक्सट्रैक्शन तक ही सारा रिस्क होता है। ऐसे हर स्टेप पर फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाया जा रहा है।

18-20 घंटे हो रहा है काम

आरएमआरसी की लैब में वर्क प्रेशर की बात करें तो यहां अभी 18-20 घंटे तक लगातार काम हो रहा है। लोगों को राहत मिल सके, इसके लिए मेडिकल कॉलेज के साथ ही जिला अस्पताल के टेक्निशियन भी अटैच किए जा रहे हैं। वर्क प्रेशर ज्यादा होने की वजह यहां पर 10 जिलों के सैंपल की जांच हो रही है। क्योंकि एक-एक डिस्ट्रिक्ट काफी दूर है और वहां से सैंपल लैब पहुंचने में काफी वक्त लग जा रहा है, इसलिए सैंपल के इंतजार में देर रात तक काम चल रहा है। बैच कंप्लीट कर ही नेक्स्ट फेज के लिए आगे बढ़ना है और सेम डे रिपोर्ट भी देनी है, इसलिए यह प्रेशर और भी बढ़ा हुआ है।