गोरखपुर (ब्यूरो)।अभी तक दिल की बीमारी सिर्फ बड़ों को होती थी, लेकिन अब बच्चे भी दिल के मरीज हो रहे हैं। दिल का दौरा तब पड़ता है, जब हार्ट में ब्लड की सप्लाई बाधित हो जाती है, जिससे हार्ट की मसल्स को नुकसान होता है। यह तब हो सकता है जब कोरोनरी आर्टरी में प्लाक के निर्माण से आर्टरी फट जाती है, जिससे ब्लड की क्लाटिंग बन जाती है, जो ब्लड के सर्कुलेशन को अवरुद्ध कर देता है। ब्लड सर्कुलेशन की कमी उस क्षेत्र में हार्ट की मसल्स के टिश्यूज को नुकसान पहुंचाती है या नष्ट कर देती है। बीआरडी मेडिकल कालेज के ह्दय रोग विभाग के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। कुनाल सिंह की माने तो दिल की बीमारी के मामले बच्चों में भी देखने के मिल रहे हैैं। समय रहते इलाज हो गया तो हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।

हैदराबाद में आया था पहला केस

बता दें, देश में पहला मामला तब आया था जब हैदराबाद में 10वीं कक्षा में पढऩे वाले एक 16 साल के लड़के को अचानक हार्ट अटैक आ गया और अस्पताल में उसकी मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक, सचिन आसिफाबाद का रहने वाला था। वह बाजार गया था कि अचानक उसके सीने में तेज दर्द हुआ। इसके बाद वह बेहोश होकर गिर पड़ा। जिसके बाद उसे तुरंत नजदीक के अस्पताल में ले जाया गया जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ती ही चली गई और अंत में उसकी मौत हो गई।

रोहित की हुई थी हार्ट अटैक से मौत

दूसरा मामला ग्रेटर नोएडा के जलपुरा गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय का है, जहां 8वीं के छात्र रोहित सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक छात्र रोहित सिंह की उम्र मात्र 15 साल है। जानकारी के मुताबिक रोहित सिंह आठवीं क्लास में पढ़ता था। खेलने के दौरान वह अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ा जिसके बाद उसे निजी अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया है।

खून का हो जाता है ब्लॉकेज

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। रोहित गुप्ता बताते हैैं कि शरीर में जब खून का ब्लॉकेज हो जाता है, तो दिल की मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं करतीं और यही वजह है कि लोगों में हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या हो जाती है। बच्चों में यह समस्या इसलिए देखने को मिल रही है (खासकर इस कोरोना काल में), क्योंकि वह बिना कुछ खाए-पीए घंटों बैठे रह रहे हैं, जिसकी वजह से उनके शरीर में मेटाबॉलिक रेट खराब हो रहा है और हाइपोग्लेसेमिया की वजह से उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है।

नियमित रूप से ना खाना हार्ट अटैक का कारण: काडियोलॉजिस्ट डॉ। कुनाल सिंह

- कुछ टीनेजर्स और यंगस्टर्स अनहेल्दी डाइट, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड्स का ज्यादा सेवन करते हैं जिसके कारण उनके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। जिसकी वजह से हार्ट में ब्लड परिसंचार में भी कमी हो सकती है और इसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

- युवाओं में तंबाकू और अन्य नशीली पदार्थों का सेवन करने से हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। धूम्रपान, तंबाकू या अन्य नशीली पदार्र्थो के सेवन से हार्ट के ब्लड सर्कुलेशन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

- आजकल के बच्चे मोबाइल के एडिक्ट हो गए हैं। फोन न मिलने पर उन्हें गुस्सा आने लगता है, स्ट्रेस होने लगता है। ये एक बहुत बड़ी वजह है उनमें हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों की।

- कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से बच्चों का रूटीन पूरी तरह से खराब हो गया था। देर रात तक जगना, मोबाइल में बिजी रहना, गेम खेलना और फिर सुबह देर से उठना, ये सारी चीजें ने उनके फिजिकल और मेंटल हेल्थ को प्रभावित किया है। इस तरह की लाइफस्टाइल भी बच्चों में हार्ट अटैक का कारण बन रही है।

बचाव के उपाय

- पेरेंट्स बच्चों की आदतों पर ध्यान दें।

- उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।

- बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज के लिए प्रेरित करें।

- स्कूल, पढ़ाई किसी चीज़ को लेकर तनाव है तो उनसे बात करें उसे सॉल्व करने की कोशिश करें।