गोरखपुर (ब्यूरो).घटना 22 जुलाई की है। बताया गया है कि मृत चंदा त्रिपाठी के परिजन विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) ध्रुव कुमार त्रिपाठी के रिश्तेदार हैं। घटना के दिन एमएलसी ने कार्यवाहक प्रिंसिपल व एसआईसी को मदद के लिए फोन किया था। आरोप है कि बीआरडी के अफसरों ने एमएलसी का फोन ही नहीं उठाया। जबकि एमएलसी सुबह 7.28 बजे से ही अफसरों को लगातार फोन कर रहे थे। डॉक्टरों ने मरीज का समुचित इलाज नहीं किया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद को लेकर क्षुब्ध एमएलसी ने पूरे मामले की जांच के लिए उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा था। अपने शिकायती पत्र में उन्होंने डॉक्टर की लापरवाही का जिक्र किया। परिजनों के परेशान होने और पेशेंट को इलाज ना मिलने की जानकारी दी। आरोप लगाया कि इलाज न मिलने से गर्भवती की मौत हो गई। अपने पत्र में एमएलसी ने तत्कालीन कार्यवाहक प्रिंसिपल व एसआईसी की लापरवाही को भी आड़े हाथों लिया है।

शासन ने गठित की तीन सदस्यीय कमेटी

एमएलसी के पत्र के बाद शासन संजीदा हो गया है। बुधवार को इस मामले में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता चिकित्सा-शिक्षा महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी डॉ। एनसी प्रजापति करेंगे। इसके अलावा जांच टीम में पीजीआई के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ। आरके सिंह और केजीएमयू के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ। अमिता पांडेय को सदस्य बनाया गया है। तीन सदस्यीय टीम इस मामले की जांच कर 31 अगस्त तक शासन को रिपोर्ट देगी।

मृतका मेरे परिवार की बहू थी। डॉक्टरों की लापरवाही से मौत हुई है। एक साथ तीन जिंदगियां फनां हो गई। इसके दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। उस दिन मैंने प्रिंसिपल व एसआईसी को कई बार फोन किया। उन्होंने फोन रिसीव ही नहीं किया। यह विशेषाधिकार हनन भी है।

ध्रुव कुमार त्रिपाठी, एमएलसी

गर्भवती की मौत दुखद रही। इसमें लापरवाही नहीं हुई है। शासन द्वारा जांच कमेटी गठन की जानकारी नहीं है। कमेटी आएगी तो उसे पूरी जानकारी मुहैया कराई जाएगी।

डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज