गोरखपुर (ब्यूरो)। अब मेडिकल के साथ इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के जरिए ऐसे-ऐसे इनोवेशन हो रहे हैं, जो बीमारियों को एक्युरेट डिटेक्ट कर रहे हैं और उसको जड़ से खत्म करने का सॉल्युशन दे रहे हैं। आज नेशनल साइंस डे पर हम गोरखपुर के उन इनोवेटिव माइंड्स की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने इस फील्ड में कुछ अलग कर खुद को प्रूफ किया है।

ट्रांसिस्टर बेस्ड बायो सेंसर से मिलेगा एक्युरेट रिजल्ट

कोविड के शुरुआती दौर में इसकी जांच में हफ्तों लगे, फिर कुछ दिन और इस दौर में एक ऐसा वक्त भी आया, जब कुछ घंटों में ही रिजल्ट सामने आए। मगर, इसमें एक किट के जरिए एक बार ही जांच का ऑप्शन मिला। मगर अब आने वाले दिनों में ऐसा नहीं होगा। एक किट से कई जांचें भी होंगी। वहीं, वायरस, प्रोटीन और डीएनए की मैचिंग के लिए लोगों को किसी किट या मशीन को खोजना नहीं पड़ेगा। कूड़ाघाट के वीर बहादुरपुरम निवासी सौरभ कुमार ऐसे ट्रांसिस्टर बेस्ड बायो सेंसर पर वर्क करने में जुटे हुए हैं, जिसके जरिए डीएनए, वायरस और प्रोटीन जैसे मॉलीक्यूल्स की पहचान चुटकियों में हो जाएगी। वहीं एक किट को कई बार इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। फिलहाल दो फेज की रिसर्च कंप्लीट हो चुकी है और उन्हें इनिशियल स्टेज में कामयाबी भी मिली है।

दो फेज की रिसर्च पूरी

एमएमएमयूटी से पीएचडी कर रहे सौरभ माइक्रो इलेक्ट्रिक डिवाइस पर रिसर्च कर रहे हैं। दो फेज की रिसर्च में उन्होंने फील्ड इफेक्ट बेस्ड ऐसे बायोसेंसर को डिजाइन किया है, जिसके जरिए लेबल फ्री बायो मॉलीक्यूलस को डिटेक्ट किया जा सकता है। इनके डिटेक्टेशन के लिए उनकी चार्ज डेंसिटी और डाईइलेक्ट्रिक कॉन्स्टैंट की वैल्यू डालने पर रिजल्ट मैच हो जाता है तो वह बायो मॉलीक्यूल का कंफर्मेशन होता है। सौरभ ने बताया कि चूंकि वायरस हो, डीएनए या फिर प्रोटीन, सभी की चार्ज डेंटिसी और डाईइलेक्ट्रिक कॉन्स्टैंट वैल्यू अलग-अलग होती है। अगर किसी मॉलीक्यूल की वैल्यू पता हो तो बनने वाली डिवाइस के जरिए इसका आसानी से पता लगाया जा सकेगा और इससे सटीक रिजल्ट भी सामने आएंगे।

ग्लूकोमीटर जैसी है टेक्नोलॉजी

सौरभ ने बताया कि बायोसेंसर बन जाने के बाद यह लोगों के लिए काफी राहत भरा होगा। अभी तक कोविड टेस्ट के लिए जितनी भी किट बनी हैं, उनमें से कोई इलेक्ट्रॉनिक नहीं है। इनके जरिए रिजल्ट निकालने के लिए सॉल्युशन का इस्तेमाल किया जाता है। अगर वायरस अवेलबल होता है तो वह फौरन ही उस सॉल्युशन से रिएक्ट कर जाता है, जिससे रिजल्ट पॉजिटव आते हैं, वहीं रिएक्शन न होने की कंडीशन में रिजल्ट निगेटिव आते हैं। मगर जिस बायो सेंसर पर रिसर्च चल रही है, उसमें किसी तरह के केमिकल रिएशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। किट में माइक्रोचिप के जरिए उस पर्टिकुलर वायरस या प्रोटीन की वैल्यू फीड होगी। इसके स्पेसिमेन को डालते ही अगर उसकी वैल्यू मैच कर जाएगी तो रिजल्ट पॉजिटिव आएगा, वरना निगेटिव। उन्होंने बताया कि मार्केट में मिलने वाले ग्लूकोमीटर में भी ऐसी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती है, इसके जरिए लोगों को अपने ब्लड शूगर का एग्जैक्ट लेवल आसानी से पता चल जाता है।

2020 से प्रोजेक्ट पर कर रहे काम

सौरभ कुमार ने इसको लेकर 2020 से ही एमएमएमयूटी के ईसीई डिपार्टमेंट में प्रोफेसर आरके चौहान के अंडर में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। सौरभ के पिता रमेश चंद्र मिश्रा एनई रेलवे के रिटायर्ड एक्सईएन कंस्ट्रक्शन हैं। वाइफ अंकिता शुक्ला यू-ट्यूब चैनल चलाती हैं, जबकि सिस्टर अर्चना गवर्नमेंट टीचर हैं।

सुर्खियां बटोर रहे साइंस के ये इनोवेशन

योगी-मोदी अंगूठी शोहदों को देगी 2 हजार वोल्ट का झटका

गोरखपुर राजेन्द्रनगर की अक्षिता तिवारी और खलीलाबाद की स्नेहा शर्मा आईटीएम में बीटेक फस्र्ट ईयर की स्टूडेंट हैं। दोनों स्टूडेंट्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बीटेक कर रही हैं। दोनों स्टूडेंट्स ने दुनिया में क्राइम अगेंस्ट वुमेन के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए वुमन सेफ्टी के लिहाज से खास गैजेट तैयार करने को सोचा। इसके बाद उस पर काम किया। अक्षिता और स्नेहा ने बताया, कभी ऐसा भी हो सकता हैं कि कोई हमारा गैजेट छीनने की कोशिश भी कर सकता है। इस परेशानी से लडऩे के लिए गैजेट को छूने वाले को 2 हजार वोल्ट का करंट लगे। बहुत जल्द ये काम भी पूरा हो जाएगा।

हेलमेट हटाते ही बंद हो जाएगी बाइक

आईटीएम सेकेंड ईयर इलेक्ट्रॉनिक ब्रांच के तीन स्टूडेंट्स प्रशांत कुमार शर्मा, उत्कर्ष दुबे और गौरव कुशवाहा ने स्मार्ट हेलमेट बनाया है। यह एक ऐसा हेलमेट है कि जिसे लगाने के बाद ही बाइक स्टार्ट होगी और उसे सिर से हटाते ही यह बंद हो जाएगी। स्टूडेंट्स का कहना है कि आए दिन बिना हेलमेट चलने वाले व्यक्ति को चालान का सामना करना पड़ता हैं। बिना हेलमेट बाइक ड्राइव करते वक्त सड़क दुर्घटना हुई तो कई बार इसमें जान भी चली जाती है। स्मार्ट हेलमेट के दो पार्ट हैं, पहला एक ट्रांसमीटर सेंसर, जो हेलमेट के अंदर लगा है। दूसरा सेंसर रिसिवर किट है, जो बाइक में लगा होता है और हेलमेट के ट्रांसमीटर सेंसर से जुड़ा है। जैसे ही बाइक राइड करने वाले ने हेलमेट उतारी, उसकी बाइक खुद ब खुद ही बंद हो जाएगी।

शिवा ब्लाइंड स्टिक दिव्यांगों का बनी सहारा

आईटीएम गीडा से कंम्प्यूटर साइंस से बीटेक करने वाली अंकिता सिंह, अंजली सिंह, अंशिका पटेल और एमबीए की छात्रा अनामिका सिंह ने मिलकर शिवा ब्लाइंड स्टिक बनाई हैं। इस स्टिक के सहारे ब्लाइंड भी कहीं भी आ जा सकेंगे। वहीं, उनके सामने किसी व्यक्ति या ऑब्जेक्ट के आने पर स्टिक में अलर्ट सायरन बजेगा। ब्लाइंड के सामने मंदिर, मस्जिद, गुरुदारा, चर्च या हॉस्पिटल आने पर उसका नाम भी स्टिक बोलेगी, जिससे ब्लाइंड व्यक्ति को ये पता चल जाएगा कि वो अपनी मंजिल तक पहुंच गया है।

'वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञानÓ है थीम

भारत में नेशनल सांइस डे हर साल 28 फरवरी को भारतीय वैज्ञानिक और चिकित्सक सी.वी। रमन की महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज की याद में मनाया जाता है। नेशनल साइंस डे 2023 की थीम वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान है।