-तमाम रोगों से दूर करने वाले नीम के पेड़ के सूखने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म

-14 वर्ष बाद नीम पर एक बार फिर प्रकृति का कहर

GORAKHPUR: बदलते मौसम में लोगों के आस्था के तुलसी और नीम के पेड़ सूखने लगे हैं। इससे शहर में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। कोई इनके सूखने का कारण प्रदूषण बता रहा है तो कोई देवीय आपदा मान रहा है। जबकि, जानकारों का कहना है कि इस साल पड़ी लंबी ठंड के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।

नीम और तुलसी के सूखने का कारण

डीडीयूजीयू के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो। वीएन पांडेय ने बताया कि ज्यादा समय तक तापमान लो रहने से एक फफूदी (जो कम तामपान पर उगती है) पेड़ के अंदर चलने वाले पानी की वाहिकाओं को बंद कर देती है। जिस कारण पानी का प्रवाह ऊपर की तरफ नही जा पाता है। इससे पत्तियां सूख जाती हैं। यही कारण है इस बार शहर में नीम, तुलसी के साथ कइर्1 पौधे सूख रहे हैं।

इन पेड़ों पर ज्यादा असर

इस बार ठंड ने कई साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। लगातार लम्बे समय तक ठंड पड़ने से नीम, कैसिया, विलायती सेमल, इमली, अमलतास, गुलमोहर सहित कई सारे पौधे सूख गए।

2004 में दिखा था ठंड का ऐसा प्रकोप

विद्वानों ने बताया कि 14 साल बाद ठंड ने एक बार फिर नीम को भी अपनी चपेट में लिया है। ऐसा इससे पहले 2004 में देखा गया था। जब ठंड के कहर से शहर के सभी नीम के पेड़ सूख गए थे। साथ ही कई आैर पौधे मुरझा गए थे।

मौसम बदलने के साथ फिर हरे भरे होंगे पेड़

जानकारों ने बताया कि जिन पेड़ों में थोड़ी भी जान होगी वह मौसम बदलने के साथ एक बार फिर हरा भरा हो जाएगा। जो पेड़ पूरी तरह सूख गए हैं, उन पर हरियाली आना बेहद मुश्किल या अंसभव है।

नीम और तुलसी का महत्व

नीम को लाखों दुखों की एक दवा माना जाता है। वहीं गांव में तो इसे तमाम रोगों से निजात दिलाने वाला दवाखाना माना जाता है। तुलसी का दवा के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है।

वर्जन

25 सालों से हमारे घर में नीम का पेड़ है। हमारे परिवार के लोग छोटी-छोटी बीमारियों में नीम की पत्तियों का प्रयोग कर ठीक हो जाते हैं। उन्हें बाहर से दवा नहीं लेनी पड़ती है। लेकिन इतने वर्षो में मैंने पहली बार नीम के पेड़ को इस तरह सूखते देखा है।

सोमिका गांगुली, राप्तीनगर

हमारे घर के बच्चों को बुखार होने पर उन्हें नीम की पत्तियों से नहला दिया जाता था। इससे बिना दवा के ही उनका बुखार या फिर खुजली जैसी बीमारी दूर हो जाती थी। 20 सालों से मैं इस नीम के पेड़ को देख रही हूं। ऐसा पहली बार हुआ है कि नीम के पेड़ में कुछ बचा ही नही है।

निशा श्रीवास्तव, हूमायूपुर

वर्जन

तापमान लो होने से पानी कोशिकाओं में बर्फ की सूई के आकार का जम जाता है। जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है।

प्रो। वीएन पाण्डेय

हेड ऑफ डिपार्टमेंट वनस्पति विभाग