गोरखपुर (ब्यूरो).जोन का दायरा घटाने के साथ ही अफसरों को बेहतर बिजली व्यवस्था सुनिश्चित करने की हिदायत भी दी गई है। विभागीय सूत्र बताते है कि वितरण जोन के मुख्य अभियंता को ही ट्रांसमिशन जोन की भी जिम्मेदारी देने की कवायद के तहत दायरा घटाया गया है। फिलहाल बीते एक साल से वितरण जोन के मुख्य अभियंता ही अतिरिक्त प्रभार के तौर पर ट्रांसमिशन का कार्य भी देख रहे है। इससे एक ही वेतन-भत्ते में दोनों जोन चलाए जा रहे है।

तीन जिले गोरखपुर से बाहर

दरअसल हाल ही में यूपी पॉवर ट्रांसमिशन लिमिटेड ने उत्तर-पूर्व जोन गोरखपुर के चार सर्किल में से से गाजीपुर सर्किल को अलग करके दक्षिण-पूर्व ट्रांसमिशन क्षेत्र प्रयागराज जोन में शामिल किया है। इससे तीन जिले गोरखपुर जोन के दायरे से बाहर हो गए हैं। बता दें कि उत्तर-पूर्व ट्रांसमिशन क्षेत्र गोरखपुर जोन का गठन साल-2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ के यूपी की कमान सम्भालने के बाद हुआ था। इसके पहले गोरखपुर, बस्ती व आजमगढ मंडल के जिलों में भी बिजली वितरण की निगरानी दक्षिण-पूर्व क्षेत्र प्रयागराज जोन से होती थी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेहतर बिजली व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं। जोन के पहले मुख्य अभियंता के पद पर ई। पीएन उपाध्याय की तैनाती हुई। इसके बाद ट्रांसमिशन जोन के मुख्य अभियंता कार्यालय का भवन निर्माण भी पांच करोड़ से हुआ। अभी भवन में निर्माण कार्य चल ही रहा है।

चार साल पहले प्रस्ताव

विभागीय सूत्रों के मुताबिक चार साल पहले जोन के पुर्नगठन का प्रस्ताव गया था। इसमें गाजीपुर सर्किल को काटकर सुल्तानपुर व गोंडा को जोडऩे की बात कहीं गई थी, लेकिन पुर्नगठन में चार सर्किल में से गाजीपुर सर्किल को काट दिया गया। इस तरह जोन का दायरा 13 जिलों की बजाए अब 10 जिलो तक सिमट गया है। अभियंताओं का कहना है कि सर्किल कम होने से निगरानी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रहेगी। कर्मचारियों व इंजीनियरों की संख्या भी पहले की अपेक्षा कम हो जाएगी। गोरखपुर सर्किल काफी बड़ी है। इसका दायरा कम करने के लिए एक और सर्किल नई सर्किल बनाने की जरुरत थी।