- अपने बाईलॉज को चेंज करने की तैयारी में गीडा

- प्रपोजल तैयार कर भेजा गया है शासन के पास

- 6 जुलाई को गीडा बोर्ड की मीटिंग में लगेगी मुहर

GORAKHPUR: खाली जमीन का दायरा दिन ब दिन सिमटता जा रहा है। जरूरत के मुताबिक दुकान, मकान और अपनी कारोबार चलाने के लिए लोगों को जमीन मुहैया नहीं हो पा रही है। मजबूरी में लोग घनी आबादी के बीच जाकर अपनी फैक्ट्री और मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट डालने को मजबूर हैं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। लोगों को कारोबार करने और अपनी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट डालने के लिए गीडा जगह मुहैया कराएगा। जमीन की टेंशन इसलिए नहीं होगी, क्योंकि मेट्रोज की तर्ज पर यहां भी हर फ्लोर पर फैक्ट्री लगाने की परमिशन होगी। छोटी सी जमीन पर ही कई यूनिट लगाई जा सकेंगी और कम पैसा इनवेस्ट कर अपने सपनों की फैक्ट्री लगाई जा सकेगी।

छह जुलाई को मुहर लगने की उम्मीद

गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपेंमट अथॉरिटी (गीडा) के मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज में बड़े पैमाने पर बदलाव किया गया है। अब यहां भी फ्लैटेड फैक्ट्री को मंजूरी मिलने का रास्ता खुलने की उम्मीद बढ़ गई है। छह जुलाई को लखनऊ में होने वाली प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में नए बायलॉज पर मुहर लगने की संभावना है। यह अगले 30 सालों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। लंबे समय से गीडा में बिल्डिंग बायलॉज को बदलने की कवायद चल रही थी। विभिन्न स्तरों पर बैठक करने के बाद इसे तैयार किया गया है। अलग-अलग प्राधिकरणों के बायलॉज को भी स्टडी किया गया है। कुछ नए प्रावधान भी जोड़े गए हैं। अभी तक गीडा में एक तल पर ही फैक्ट्री स्थापित करने का नियम है।

क्या है फ्लैटेड फैक्ट्री

यह बहुमंजिला इंडस्ट्रियल इमारत होती है। इसमें फ्लैट की तरह जगह मुहैया कराई जाती है। इसमें दो या अधिक प्रॉडक्ट बनाने, उसकी पैकेजिंग आदि की व्यवस्था एक साथ हो सकती है। आमतौर पर भारी मशीनरी वाले उद्योग इसमें स्थापित नहीं होते। इससे कम पूंजी वाले लोगों की इंडस्ट्रियल यूनिट स्थापित करने की राह आसान होगी।

लगा सकते हैं इनकी फैक्ट्री

-जूता सिलाई

-रेडीमेड गारमेंट

-इलेक्ट्रॉनिक-इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट

-हैंडीक्राफ्ट

- फैशन डिजाइन

-सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट

-डिजाइनिंग

-असेंबलिंग की छोटी फैक्ट्रियां

कई और बदलाव की तैयारी

गीडा के बिल्डिंग बायलॉज में और भी कई बदलाव किए गए हैं। अब गीडा में मल्टीप्लेक्स आदि बनाने के प्रावधान स्पष्ट किए जाएंगे। बिल्डर्स के लिए भी सहूलियत होगी। गीडा की तरह यहां भी एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) को खरीदा जा सकेगा। इसमें भवन का तल बढ़ाने के लिए निर्धारित अमाउंट देकर ऊपर की जगह खरीदी जाती है। फैक्ट्री की कवरेज एरिया बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। गीडा एक और महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रहा है, जिसके तहत अब कोई भी भवन बनाने के बाद पूर्णता प्रमाण पत्र लेना होगा। जीडीए में यह व्यवस्था लागू है। बिना इस प्रमाण पत्र के भवन का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

वर्जन

लम्बे समय बाद गीडा के बिल्डिंग बायलॉज में चेंज का प्रस्ताव किया गया है। इसमें फ्लैटेड फैक्ट्री को अनुमति देने जैसे कई प्रावधान हैं। छह जुलाई को होने वाली बोर्ड की बैठक में उसे रखा जाएगा। बोर्ड के अनुमोदन के बाद अस्तित्व में आने वाला नया बायलॉज अगले 25-30 सालों के लिए उपयोगी होगा।

संजीव रंजन, सीईओ, गीडा