- छठ पर्व पर शहर की थोक मंडी में उमड़ रही खरीदारों की भीड़

- डेली आ रहे चार से पांच हजार खरीदार

GORAKHPUR: महापर्व छठ पर बाजारों की रौनक बढ़ी हुई है। थोक मंडी में भी खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी है। कोविड-19 गाइडलाइन को भूल लोग खरीदारी करने में जुट गए हैं। सड़क पर दुकानें सजने से कई जगहों पर राहगीरों को जाम का सामना भी करना पड़ा। बुधवार को थोक मंडी महेवा में सुबह से ही खरीदारों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई। मंडी में बुधवार को भी दिनभर फल और नारियल खरीदने वालों की कतार लगी रही। सड़क किनारे खड़े ट्रकों से भी फलों की बिक्री होती रही। बाजारों में भी अनन्नास, शरीफा, नारियल, सिंघाड़ा, दउरा, सुपली सहित अन्य पूजन सामग्रियों को खरीदने के लिए लोगों का तांता लगा रहा।

चार दिनों के पर्व का समापन

शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य का अ‌र्घ्य व शनिवार को उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ ही चार दिनों के पर्व का समापन होगा। कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए लोग शहर में मौजूद तालाबों, नदियों एवं पोखरों पर एकत्रित होंगे। बुधवार को शहर के पार्को में बने कृत्रिम तालाबों सहित विभिन्न जगहों पर लोग सफाई करते नजर आए।

आनंद नाम का महायोग

खास छठ पर्व पंडित शरद चंद मिश्र के अनुसार इस बार छठ पर्व बहुत ही सुखद साबित होने वाला है। आज नहाय खाए के दिन ध्वज योग बन रहा है, जो व्रतियों को उन्नति पथ पर अग्रसर करेगा। गुरुवार को खरना के दिन धाता नाम योग बन रहा है। यह योग व्रत के लिए परिपूर्ण दिन है। तीसरे दिन शुक्रवार केा षष्ठी के दिन आनंद नाम का महा योग बन रहा है। जो प्रसन्नता देने वाला है। पर्व के अंतिम दिन स्थित योग है जो पुण्य को बनाए रखने में सहायक होता है। पंडित शरचंद मिश्र ने बताया कि छठ सूर्य की आराधना का पर्व है। इसे हिंदु धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। हिन्दु धर्म के देवताओं में सूर्य ऐसे देवता है जिन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत उनकी पत्‍‌नी, उषा और प्रत्यूषा हैं। प्रात: काल सूर्य की पहली किरन और सायंकाल में अंतिम किरण को नमन किया जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टि से षष्ठी पूजा का महत्व

बताया कि छठ पूजा को यदि वैज्ञानिक रूप से देखा जाए, तो षष्ठी तिथि को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है। इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाती है। इसलिए इसके कुप्रभावों से बचाव के लिए इस पर्व का सर्वाधित महत्व है। पर्व पालन से सूर्य प्रकाश से रक्षा संभव है। इस व्रत से पृथ्वी के जीवों को बड़ा लाभ मिलता है। सूर्य की किरणों के साथ उसकी पराबैगनी किरणें भी पृथ्वी पर आती हैं। छठ जैसे खगोलीय स्थित के दिन में पृथ्वी पर आने वाली किरणें, चंद्र तल से अपवर्तित होकर पृथ्वी पर सामान्य मात्रा से अधिक मात्रा में पहुंच जाती हैं, क्योंकि इस समय चंद्रमा और पृथ्वी के भ्रमण तल सम रेखा में होते हैं। ज्योतिषीय और खेगोलीय गणना के अनुसार यह घटना कार्तिक और चैत्र के अमावस्या से छह दिन के उपरांत होती है, इसलिए इस दिन उसके कुप्रभाव से बचने को दूर करने के लिए व्रतार्चन का विधान हैं।