गोरखपुर (ब्यूरो).यह दो केस तो एग्जामपल भर हैं। नगर निगम ने हाल के वर्षों में नोटिस दिया तो कुछ ने गिरवा लिए लेकिन अभी भी कई जर्जर मकान उसी अवस्था में हैं।

केस एक

बक्शीपुर में हादसे का इंतजार

बक्शीपुर में उपेंद्र कुमार का जर्जर मकान है। हालत ऐसी है कि देखने से ही लगता है कि यह भी भी गिर सकता है। नगर निगम की लिस्ट भी वह शामिल है लेकिन अभी तक उसके गिराने की सुध नहीं ली गई। उपेंद्र कमिश्नर, डीएम और एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर जर्जर मकान गिराने का निवेदन भी कर चुके हैं।

केस दो

छोटे काजीपुर में जर्जर मकान, शिकायत पर भी नहीं निदान

छोटे काजीपुर में जर्जर मकान की शिकायत नगर निगम में कई बार की जा चुकी है लेकिन उसे गिराने की सुध नहीं लिया जा रहा है। शायद हादसे का इंतजार हो रहा है। मोहल्ले के जय प्रकाश ने बताया कि उनके घर के बगल में नाले से सटे हुए एक मकान है। जो अत्यंत जर्जर हाल में है। उसकी दीवार में दरार आ चुकी है और उसमें पेड़ भी निकल आया है। अगर मकान गिरा तो उस हादसे में अगल बगल के लोगों के भी शिकार होने की आशंका है। कई बार नगर निगम में शिकायत की गई लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

नहीं हो रही है सुनवाई

आश्चर्य की बात तो यह है कि कई ऐसे व्यक्ति है जो खुद ही अपना मकान गिरवाने चाहते हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बताया जा रहा है कि किराएदारी के विवाद के चलते केस होने से अफसर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसे में उसमें रहने वाले लोगों की जान आफत में है। बता दें कि देवरिया में सोमवार तड़के जर्जर मकान गिरने से दंपती और उनकी बेटी की मौत हो गई। इसके बाद भी अगर जर्जर मकानों पर एक्शन नहीं हुआ तो यहां भी ऐसा हादसे की आशंका है।

बारिश से बढ़ रही परेशानी

शहर में जर्जर मकानों में रहने वालों को बारिश हर पल परेशानी कर रही है। ऐसे मकानों में छत टपक रही है तो कहीं दीवारों में सीलन परेशान कर रही है। यही नहीं उसके गिरने की आशंका तो हर समय प्रबल है। हालांकि इनमें रहने वालों का कहना है कि मजबूरी में रह रहे हैं। कोई दूसरा मकान नहीं है, खरीदने के लिए बजट भी नहीं है। अगर दूसरे मकान की व्यवस्था रहती तो शिफ्ट हो जाते।

ज्यादातर मकानों में किराएदारी का विवाद है। मामला कोर्ट में है इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं। अभियान चलाकर जर्जर मकानों का सर्वे कराया जाएगा।

- संजय चौहान, चीफ इंजीनियर, नगर निगम