गोरखपुर (अनुराग पांडेय).ब्रिटिशकाल के दौरान पुलिस वजूद में आई थी। पुलिस अधिनियम साल 1861 में लागू हुआ था। आज भी 1861 पुलिस मेन्युअल के अनुसार ही पुलिस के सारे काम होते हैं। गोरखपुर पुलिस लाइन और सभी थानों में मंगलवार और शुक्रवार की सुबह करीब 43 मिनट की परेड होती है। पुलिस लाइन में परेड की सलामी एसएसपी लेते हैं। पुलिस लाइन आरआई ने बताया, हम लोग ब्रिटिशकाल के बनाए मेन्युअल की हिसाब से परेड करते हैं। इसका मेन उद्देश्य होता है कि पुलिस फिजिकल रूप से फिट और मजबूत रहे।

75 साल से नहीं सोई पुलिस

आजादी के 75 साल बाद से ही पुलिस ना तो कभी सोई है ना ही खाना खाई है। ये हम नहीं कह रहे है, ये वही पुराना सिस्टम कह रहा है। जीडी में डेली पुलिस जब थाने पर जाती है तो आमद करती है, जब वापस जाती है तो रवानगी लिखती है। मतलब पुलिस रजिस्टर में 24 घंटे ड्यूटी करती है। वो कभी सोती नहीं है।

पहले खुद की तलाशी लेती है पुलिस

ब्रिटिश काल के बनाए नियम के अनुसार ही पुलिस जब भी किसी कि तलाशी लेती है। इससे पहले दो लोगों के सामने अपनी पूरी तलाशी लेती है। इसके बाद शंका के आधार पर रोके हुए व्यक्ति की तलाशी लेती है। इसी तरह सूर्यास्त के बाद कभी भी पुलिस किसी महिला को गिरफ्तार नहीं कर सकती और ना ही थाने पर रख सकती है।

28 थाने हैं गोरखपुर जिले में

पुलिस को फिजिकली फिट रखने के लिए डेली परेड करानी होती है। लेकिन पुलिस की कहीं ना कहीं ड्यूटी लगी होती है। इसलिए मंगलवार और शुक्रवार को अनिवार्य रूप से परेड कराई जाती है। हम आज भी ब्रिटिशकाल द्वारा तैयार किए मेन्युअल से ही परेड करते हैं, इसमे कोई बदलाव नहीं हुआ है।

हरिशंकर सिंह, आरआई, पुलिस लाइन

ब्रिटिश काल का मेन्युअल आज भी पुलिस फॉलो करती है। इसमे कोई बदलाव नहीं हुआ है। मेन्युअल में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए ही पुलिस हर काम करती है। जीडी में इस तरह दर्शाया जाता है कि कभी पुलिस ना तो खाती है ना ही सोती है।

शिवपूजन यादव, रिटायर्ड सीओ

हर फ्राइडे परेड में जाकर सलामी लेता हूं। इस दौरान पुलिस कर्मियों को डिसिप्लीन के लिए टिप्स भी दिए जाते हैं। परेड से पुलिस कर्मी फिजिकली फिट होते हैं, उनके अंदर अनुशासन की भावना जागृत होती है। सभी थानों पर भी हर फ्राइडे अनिवार्य रूप से परेड कराई जाती है।

डॉ। गौरव ग्रोवर, एसएसपी गोरखपुर