- 24 घंटे के भीतर सूचना देने वाले लोगों का लौटा दिया पैसा

- ऑनलाइन फ्राड और ट्रांजेक्शन कर जालसाज उड़ाते हैं रुपए

GORAKHPUR: गोरखपुर में ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार लोगों को राहत देने में लापरवाही आड़े आ रही है। थानों का चक्कर लगाकर साइबर सेल पहुंचने वाले पीडि़तों की मदद में मुश्किल आ रही। साइबर सेल से जुड़े लोगों का कहना है कि समय से सूचना देकर ही ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में राहत पाई जा सकती है। 2020 में करीब 20 लाख रुपए की वापसी साइबर सेल की मदद से हुई है। हालांकि शिकायतों की अपेक्षा यह कार्रवाई काफी कम है। लेकिन इसके लिए पुलिस के साथ-साथ पीडि़त भी जिम्मेदार हैं। साइबर सेल से जुड़े लोगों का कहना है कि 72 घंटे के भीतर सूचना मिलने और वॉलेट में किए गए ट्रांजेक्शन को वापस कराया जा सकता है। एकाउंट में भेजे गए रुपयों को वापसी मुश्किल होती है।

ऐसी शिकायतों में हुई रकम की वापसी

-एटीएम कार्ड का नंबर, ओटीपी पूछकर रुपए निकालने

-फेसबुक एकाउंट हैक करके रुपए का ट्रांजेक्शन करना

-फोन पे और पेटीएम से कैशबैक रिवार्ड के नाम पर ठगी

-रुपए के लिए एप और अन्य लिंक भेजकर ठगी करना

2020 में वापस हुए 19 लाख 51 हजार

हर माह साइबर सेल में औसतन 15 से 20 शिकायतें सामने आती हैं। 2020 में एक जनवरी से लेकर दिसंबर अंत तक दर्ज कराई शिकायतों में कार्रवाई करते हुए साइबर सेल ने 92 लोगों को राहत पहुंचाई है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए एसआई महेश कुमार चौबे, सीसीओ शशिकान्त जायसवाल, सीसीओ शशिशंकर राय, महिला कांस्टेबल नीतू नाविक की टीम ने 19 लाख 51 हजार 614 रुपए की वापसी कराई।

बरतें सावधानी

- सिक्योर, अंथेटिक आनलाइन बेवसाइट और एप से खरीदारी करें।

- अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड से संबंधित कोई भी जानकारी किसी से शेयर न करें।

- किसी भी लाटरी या अन्य तरह के अवांछनीय लिंक पर बिल्कुल क्लिक न करें।

-कस्टमर केयर पर काल करने के लिए संबंधित ओरिजनल साइट पर जाकर संपर्क करें।

- ओएलएक्स सहित अन्य एप, साइट्स पर विज्ञापन के संबंध में सही जानकारी जुटाएं।

-फोर्स के कर्मचारी सहित अन्य किसी संस्था के नाम बताने वाले को पहले पेमेंट न करें।

-मोबाइल फोन पर बैंक अधिकारी/किसी कंपनी के कस्टमर केयर का अधिकारी बनकर कोई जानकारी मांगे तो कतई न दें।

-बैंक अधिकारी या अन्य किसी कस्टमरकेयर कभी ओटीपी नहीं मांगते हैं।

-यूपीआई के जरिए रुपए भेजने और मंगाते समय सावधानी बरतें।

-केवाईसी के नाम पर कभी एनीडेस्क, टीम व्यूअर, क्विक सपोर्ट जैसे एप न डाउनलोड न करें।

-ऐसे एप की मदद से जालसाज मोबाइल फोन, कंप्यूटर को रिमोट एक्सेस करके यूपीआई पिन, पासवर्ड जानकार ठगी करते हैं।

इंटरनेट उपयोग में बरतें सावधानी

-अपना यूजर आईडी और पासवर्ड किसी से शेयर न करें।

-अपना पासवर्ड हमेशा स्ट्रांग रखें।

-कोई भी प्राइवेट सूचना, जानकारी और फोटो पोस्ट करने में सावधानी बरतें।

- फेसबुक पर कई तरह के लिंक ब्लिंक करते हैं। उनसे बचने की कोशिश करें।

- अपरिचित व्यक्ति से कोई फ्रेंडशिप न करें। परिचितों से ही दोस्ती रखें।

- व्हाट्सएप पर केवाईसी वेरिफिकेशन, लॉटरी नाम पर ओटीपी न बताएं।

- व्हाट्सएप और अन्य मैसेज में आए किसी तरह के क्यूआर कोड को स्कैन न करें।

स्मार्ट फोन के इस्तेमाल में बरतें सावधानी

- स्मार्ट फोन में हमेशा स्क्रीन लॉक/पासवर्ड लगाकर रखें।

- मोबाइल साझा करते समय पूरी सावधानी बरतें।

- किसी लिंक और मैसेज को बिल्कुल क्लिक न करें।

- किसी तरह का अवांछनीय एप डाउनलोड न करें।

- अपना बैंक एकाउंट, क्रेडिट कार्ड/डेबिट कार्ड नंबर, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड मोबाइल में सुरक्षित न रखें।

- इंटरनेट बैकिंग, मोबाइल बैकिंग, सोशल नेटवर्किग साइट का प्रयोग करने के बाद लाग आउट करें।

वर्जन

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के किसी भी मामले में कम से कम 24 घंटे और अधिकतम 72 घंटे तक शिकायत मिलने पर प्रभावी कार्रवाई हो जाती है। इसलिए साइबर फ्राड के मामलों का समय से सूचना देना आवश्यक होता है। पीडि़त अविलंब सूचना मुहैया कराए जिससे मदद की जा सके।

महेश चौबे, प्रभारी, साइबर सेल