रेल में मिलीभगत का खेल

- दुनिया के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म पर GRP-RPF की शह पर बिक रहा अवैध खाना

- i next की sting में हुआ खुलासा, अवैध खाने से खतरे में पैसेंजर्स की सेफ्टी

i sting

utkarsh.srivastav@inext.co.in

GORAKHPUR: गोरखपुर जंक्शन पर चल रहा अवैध भोजन का धंधा पब्लिक के साथ-साथ रेलवे को भी चूना लगा रहा है। जीआरपी की मिलीभगत से हो रहे इस कारनामे का खुालासा आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में हुआ है। जंक्शन एक तरफ पैसेंजर्स को जागरूक किया जाता है कि वे रेलवे के ही काउंटर्स से खाना लें। दूसरी तरफ जीआरपी-आरपीएफ अवैध वेंडर्स से वसूली कर उनके अवैध धंधे को बढ़ावा देती है।

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने स्टिंग के दौरान प्लेटफॉर्म से लेकर ट्रेंस में खाने-पीने की चीजों की बिक्री करने वाले एक अवैध वेंडर से बात की। जिसमें कई खुलासे हुए।

रिपोर्टर: कितने का खाना बेचते हो?

वेंडर: 15 रुपए रेट है, रात में 20-25 में भी बेच देता हूं।

रिपोर्टर: स्टेशन पर बेचते हो। किसी का डर नहीं लगता?

वेंडर: डर किस बात का? सबको मैनेज करके चलते हैं।

रिपोर्टर: यानी कि इसके लिए किसी से सेटिंग है?

वेंडर (हंसते हुए): सेटिंग क्या साहब? जीआरपी के सिपाही लोगों की कुछ सेवा कर देता हूं।

रिपोर्टर: कैसी सेवा? कुछ पैसा देते हो क्या?

वेंडर: हम लोग बेचते हैं तो वे लोग कुछ बोलते नहीं हैं तो वे लोग भी जो बोलते हैं, हम वो कर देते हैं।

रिपोर्टर: सही बताओ, कितना पैसा देते हो जीआरपी के लोगों को?

वेंडर: अरे आप इतना क्यों पूछ रहे हैं? वे लोग अगर कुछ काम कह देंगे तो करना ही पड़ेगा न?

रिपोर्टर: कभी पकड़े नहीं जाते हो? जेल चले गए तो क्या होगा?

वेंडर : आरपीएफ वालों ने तीन बार जेल भेजा है। लेकिन अपना तो काम ही यही है तो क्या करें।

रिपोर्टर: तुम्हारे साथ कितने लोग हैं?

वेंडर: बहुत सारे हैं। दर्जनों लड़के हैं।

रिपोर्टर: और कोई कभी नहीं पकड़ता?

वेंडर: अक्सर लोग पकड़ते हैं, लेकिन पेनाल्टी करके छोड़ देते हैं।

रिपोर्टर: पेनाल्टी और सुविधा देने में सब खर्च कर दोगे तो बचेगा क्या भाई?

वेंडर: अब मजबूरी है। लेकिन घाटा नहीं लगता। रात में आने वाली ट्रेंन में महंगा बेचकर सब बराबर कर लेते हैं।

(आई नेक्स्ट के पास बातचीत की ऑडियो मौजूद है.)

रेलवे के जनता खाना को चूना

पैसेंजर्स की सुविधा के लिए एनई रेलवे प्रशासन की ओर से जंक्शन पर 15 रुपए में डिब्बा पैक 'जनता खाना' बेचा जाता है। इस डिब्बे में 175 ग्राम की सात पूड़ी, 150 ग्राम सब्जी और अचार होता है। जबकि अवैध वेंडर्स भी तकरीबन इतने ही पैसे में खाना बेच रहे हैं।

पुलिस का कारनामा

अवैध वेंडर्स की इस सक्रियता के पीछे कैटरिंग वालों का तो हाथ है ही, जीआरपी की भी पूरी शह है। स्टिंग में यह भी खुलासा हुआ है कि इसके एवज में वेंडर्स से जीआरपी कई सुविधा लेती है। वहीं आरपीएफ भी इसमें शामिल है। दिन में जो आरपीएफ पैसेंजर्स को नाटक वगैरह के माध्यम से जागरूक करती है कि वे रेलवे काउंटर्स से ही खाने-पीने की चीजे लें, रात में वहीं आरपीएफ अवैध वेंडर्स को पूरी छूट देती है कि वे प्लेटफॉर्म से लेकर ट्रेंस तक खाने-पीने की चीजें बेचें। हालांकि एरिया मैनेजर व डीसीआई की टीम कभी-कभी इन अवैध वेंडर्स के खिलाफ कार्रवाई भी करती है लेकिन महज पेनाल्टी लेकर छोड़ देने के कारण ये फिर से इस कारोबार में इन्वॉल्व हो जाते हैं।

ऐसे करते हैं धंधा

- रेलवे के जनता खाना की तरह ही पैकिंग कर मनमाने रेट पर बेच देते हैं।

- कोई रोके-टोके नहीं, इसलिए जीआरपी-आरपीएफ को मिलाकर रखते हैं।

- प्लेटफॉर्म के साथ ही ट्रेंस में भी बेचते हैं मनमाने रेट पर।

- ट्रेन में अपना सामान किसी प्लास्टिक की बोरी में भरकर पैसेंजर्स के सामान के साथ रख देते हैं।

- जांच होने पर इधर-उधर हो जाते हैं, लोग पैसेंजर्स का सामान समझकर नहीं छूते और सामान सुरक्षित रहता है।

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कौन होगा जिम्मेदार?

रेलवे प्रशासन की ओर से पैसेंजर्स को दिए जाने वाले 'जनता खाने से अगर कोई पैसेंजर बीमार होता है तो उसकी जिम्मेदारी रेल प्रशासन की होती है। लेकिन अवैध रुप से बिकने वाले जनता खाना से यदि किसी पैसेंजर की जान चली जाए तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी।

नंबर गेम

- 40-50 की संख्या में अवैध वेंडर्स हैं एक्टिव

- 15 रुपए में बिकता है रेलवे का जनता खाना

- 20 रुपए में देते हैं अवैध वेंडर यही खाना

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इन ट्रेंस में हैं अधिक एक्टिव

जननायक

जनसेवा

अमरनाथ

लोहित एक्सप्रेस

बिहार की ओर से आने वाली ट्रेंस में ज्यादा एक्टिव हैं।

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वर्जन