गोरखपुर (ब्यूरो)।घर छोडऩे वालों ने लड़कों से आगे लड़कियां हैं और गोरखपुर से गुजरने वाली 5 ट्रेनों पर ऐसे युवक-युवतियां ज्यादा मिले हैं।

आठ महीने में मिले 110 बच्चे

दरअसल, पिछले आठ महीने में जो लड़के और लड़कियां भागकर दिल्ली या मुंबई के लिए घर से भागे। वह गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के हत्थे चढ़ गए। आरपीएफ ने इन लड़के और लड़कियों को पकड़कर चाइल्डलाइन के दफ्तर ले जाकर काउंसलिंग कराई, जिसके बाद इन्हें परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया। आठ महीने में कुल 110 बच्चे मिले, इनमें 58 लड़कियां थीं।

ताकि मुंबई में कर सकें मॉडलिंग

बता दें, कुशीनगर जिला और बिहार के पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण के बच्चे अक्सर घर से भाग जाते हैैं। भागने वाले बच्चों में कुछ परिजन से नाराज होते हैैं तो कुछ हीरो, हीरोइन या मॉडल बनने के लिए मुंबई निकल जाते हैं। वहीं इनमें सबसे ज्यादा सोशल मीडिया से प्यार होने वाली लड़कियां शामिल होती हैैं।

नाराज होकर घर से होते फरार

आरपीएफ इंस्पेक्टर राजेश कुमार सिन्हा ने बताया, लड़के-लड़कियां नाराज होकर घर से फरार होते हैं। आठ महीने में 52 लड़के और 58 लड़कियां घर से भागे हैं। चाइल्ड लाइन प्रभारी वीरेंद्र कुमार बताते हैैं कि रेलवे स्टेशन पर जो लड़के या लड़कियां मिलते हैैं। उनकी काउंसलिंग स्टेशन पर ही की जाती है। इसके लिए टीम भी तैनात है। यह रिपोर्ट तैयार कर उनके परिजनों को सूचना देते हैैं।

केस 1

9 जून को बिहार संपर्क क्रांति स्लीपर कोच में सफर करने वाली एक 14 वर्ष की लड़की को इंस्टाग्राम पर प्यार हुआ। वह अपने प्रेमी से मिलने गोरखपुर रेलवे स्टेशन चली आई। आरपीएफ द्वारा पूछताछ में पता चला कि वह अपने प्रेमी के साथ मुंबई जाएगी। पुलिस ने उसे पकड़ लिया और काउंसिलिंग कर उन्हें परिजनों को सुपुर्द कर दिया।

केस 2

7 जून को बाघ एक्सप्रेस से उतरे एक युवक को आरपीएफ ने पूछताछ के लिए बुलाया तो उसके साथ परिजन नहीं थे और उसे हीरो बनना था, वह मुंबई जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा था। आरपीएफ ने उसे चाइल्ड लाइन की मदद से परिजनों के सुपुर्द कर दिया।

रेलवे स्टेशन पर मिले 8-20 साल के लड़के-लड़कियां

महीना - मेल - फीमेल - कुल

अक्टूबर - 9 - 16 - 25

नवंबर - 3 - 7 - 10

दिसंबर - 6 - 7 - 13

जनवरी - 2 - 6 - 8

फरवरी - 12 - 7 - 19

मार्च - 9 - 1 - 10

अप्रैल - 8 - 6 - 14

मई - 3 - 8 - 11

कुल - 52 - 58 - 110

इन ट्रेनों से ज्यादा मिले बच्चे

- वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस

- शहीद एक्सप्रेस

- बिहार संपर्क क्रांति

- सप्तक्रांति एक्सप्रेस

- बाघ एक्सप्रेस

बिहार से आने वाली ट्रेनों में अक्सर आरपीएफ एस्कार्ट द्वारा पूछताछ में पता चलता है कि बच्चे अपने घर से नाराज होकर या फिर लव अïïफेयर्स के चक्कर में घर छोड़ चुके होते हैैं। इनकी चाइल्ड लाइन की मदद से काउंसिलिंग कराई जाती है। फिर उनके परिजनों को सुपुर्द किया जाता है।

चंद्र मोहन मिश्रा, सीनियर कमांडेंट, आरपीएफ