- रमजान में नाजिल हुआ कुरआन-ए-मुकद्दस

माह-ए-रमजान में दर्स का दौर जारी है। ऑनलाइन दर्स में उलेमा रमजान की फजीलत बयां कर रहे हैं। इस सीरीज में रविवार को भी दर्स का दौर जारी रहा। कारी मो। मोहसिन ने बताया कि रमजान के महीने में कुरआन-ए-मुकद्दस नाजिल (उतारा गया) हुआ। कुरआन का पढ़ना देखना, छूना, सुनना सब इबादत में शामिल है। कुरआन पूरी दुनिया के लिए हिदायत है। हमें कुरआन के मुताबिक बताए वसूलों पर जिदंगी गुजारनी चाहिए। हाफिज अजीम अहमद ने बताया कि अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर कुरआन-ए-मुकद्दस 23 साल में नाजिल हुआ। कुरआन पर अमल करके ही दुनिया में अमन व शांति कायम की जा सकती है।

आसमानी किताबें रमजान में उतारी गई

मौलाना इसहाक ने बताया कि मुकद्दस रमजान में हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर सहीफे 3 तारीख को उतारे गए। हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम को जबूर 18 या 21 रमजान को मिली और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को तौरेत 6 रमजान को मिली। हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को इंजील 12 रमजान को मिली। इस माह में कुरआन-ए-मुकद्दस भी उतारा गया, हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम हर साल रमजान में आते और रसूल-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को कुरआन सुनाते और हमारे रसूल-ए-पाक उनको कुरआन सुनाते थे।

चार किताबें मशहूर -

- हाफिज असलम ने बताया कि रमजान में अल्लाह की छोटी बड़ी बहुत सी किताबें नाजिल हुई।

- बड़ी को किताब और छोटी को सहीफह कहते हैं। उनमें चार किताबें बहुत मशहूर है।

- अव्वल तौरेत जो हजरत मूसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल हुई।

- दूसरी जबूर जो हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम पर नाजिल हुई।

- तीसरी इंजील जो हजरत ईसा अलैहिस्सलाम पर नाजिल हुई।

- चौथा कुरआन-ए-मुकद्दस जो रसूल-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर नाजिल हुआ।

- पूरा कुरआन एक दफा इकट्ठा नहीं नाजिल हुआ बल्कि जरूरत के मुताबिक 23 सालों में थोड़ा-थोड़ा नाजिल हुआ।

- कुरआन के किसी एक हर्फ लफ्ज या नुक्ते को कोई बदलने की कोशिश करे तो बदलना मुमकिन नहीं।

- अगली किताबें नबियों को ही जुबानी याद होती थी लेकिन कुरआन का यह मोजजा है कि मुसलमानों का बच्चा-बच्चा कुरआन-ए-मुकद्दस को याद कर लेता है।

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लॉक डाउन में हुई खूब इबादत

मुकद्दस रमजान का पांचवां रोजा अल्लाह की फरमाबरदारी में गुजरा। साप्ताहिक लॉकडाउन की वजह से घरों में खूब इबादत हुई। मस्जिदों में भी सीमित संख्या में लोगों ने नमाज अदा की। हाथों में तस्बीह व सरों पर टोपी लगाए बच्चे व बड़े अच्छे लग रहे हैं। महिलाएं इबादत के साथ घर की जिम्मेदारियां बाखूबी अंजाम दे रही है। तरावीह की नमाज मस्जिदों में सीमित संख्या में लोग अदा कर रहे हैं। वहीं घरों में भी तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। रहमत के अशरे में पांच दिन और बचे हुए हैं जिसके बाद मगफिरत का अशरा शुरु होगा। इफ्तार में तमाम तरह की चीजें रोजेदारों को खाने को मिल रही हैं। मुकद्दस रमजान का हर पल हर लम्हां कीमती है। कोरोना वायरस से निजात की दुआ कसरत से मांगी जा रही है।