गोरखपुर (ब्यूरो).होटल-रेस्टोरेंट में मिलने वाली डिश में कितनी कैलोरी, कितना फैट, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन है? इस बात की जानकारी अब कस्टमर को मेन्यू लिस्ट में दी जाएगी। एफएसएसएआई ने यह डिसीजन लंबे समय से आ रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए लिया है। अभी तक सिर्फ पैकेज्ड फूड पर ही न्यूट्रीशन वैल्यू होती थी। जबकि होटल-रेस्टोरेंट के खाने की वैल्यू का पता नहीं चलता है। इसके सेवन से कई प्रकार की बीमारियां बढ़ रही हैं। जबकि एक्सपर्ट की सलाह है कि हमें खाने में हमेशा ही नियंत्रित कैलोरी लेना जरूरी है। उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। इसकी निगरानी की जिम्मेदारी फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट को दी गई है।

सभी के लिए बेहतर होगी यह पहल

डायटीशियन पद्मिनी शुक्ला बताती हैैं कि बाहर खाना खाने पर एक व्यक्ति को 600-700 कैलोरी से अधिक कैलोरी वाला भोजन नहीं करना चाहिए, लेकिन खुले खाने में पता ही नहीं चलता है कि उसने कितनी कैलोरी का सेवन कर लिया है। ज्यादा कैलोरी वाले भोजन का सेवन करने से फैट और कोलेस्ट्राल बढ़ता है, जो विभिन्न बीमारियों की वजह बनता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और ओबेसिटी जैसी बीमारियों में बिना न्यूट्रीशन वैल्यू जाने फूड लेना खतरनाक साबित होता है। डिश की न्यूट्रीशन वैल्यू पता चलेगी तो ग्राहकों की सेहत के लिए बहुत अच्छा होगा।

हार्ट और ब्रेन के लिए खतरनाक है हाई कैलोरी

हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ। अखिलेश पटेल ने बताया कि हाई कैलोरी और हाई फैट खाना हार्ट के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अगर एक नस में ब्लॉकेज है, तो ऐसी स्थिति में हाई कैलोरी फूड खाने से दूसरी नसों में ब्लॉकेज की आशंका बढ़ जाती है। यहां तक की मस्तिष्क और गर्दन की नसों को भी ब्लॉक कर देता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होती हैं। फूड में कैलोरी और फैट की मात्रा देखकर ही खाना चाहिए।

एफएसएसएआई के मानक

ओनियन - 30 ग्राम

टोमेटो - 20 ग्राम

कॉर्न - 30 ग्राम

ग्रीन पीस - 30 ग्राम

रिफाइंड ऑयल - 10 एमएल

कैश्यू - 10 ग्राम

गिंगर - 5 ग्राम

गार्लिक - 5 ग्राम

रेड चिल्ली पाउडर - 2 ग्राम

साल्ट - 25 ग्राम

कोरिएंडर लीव्स - 20 ग्राम

प्रोटीन - 4 कैलोरी

फैट - 9 कैलोरी

कार्बोहाइड्रेट्स - 4

फाइबर - 2

(उदाहरण के तौर पर यदि मसाला पीस कॉर्न सर्व किया जाता है तो इतनी सामग्री और न्यूट्रीशियन वैल्यू होगी.)

एफएसएसएआई का निर्देश है कि सेंट्रली लाइसेंस होल्डर्स को पहले न्यूट्रीशियन वैल्यू के बारे में जानकारी देने के लिए कैंपेन चलाया जाए। इसके बाद सभी छोटे-मझोले रेस्टोरेंट में भी इसका पालन करवाया जाएगा। अगर खाने के कंटेंट के बारे में लोगों को पता चलेगा तो यह उनके स्वास्थ के लिए अच्छी बात है। हाईजीन के लिए होटल और रेस्टोरेंट संचालकों को निर्देश दिया गया है कि वह डिस्प्ले बोर्ड लगाएं।

गुंजन कुमार, सहायक आयुक्त खाद्य-द्वितीय, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन