गोरखपुर (ब्यूरो).कारगिल विजय दिवस (26 जुलाई) की पूर्व संध्या पर सभी का एक ही मत है, जिन जवानों को हमने खोया। उनकी शहादात से आंखें तो नम हैं, पर फतक का फक्र भी कम नहीं है।

टाइगर हिल के नीचे भयावह थे हालात

कूड़ाघाट निवासी कैप्टन सीके सिंह बताते है कि वे करगिल वॉर के टाइम 3/3 गोरखा राइफल्स में तैनात थे। तब मोबाइल फोन का दौर नहीं हुआ करता था, लेकिन कारगिल युद्ध में शामिल होने के लिए ऊपर से आदेश आ चुका था, युद्ध में सपोर्टिंग हैैंड के तौर पर शामिल सीके सिंह बताते हैैं कि युद्ध के समय उनकी पोस्टिंग टाइगर हिल के नीचे थी। वहां पर टेंट लगे थे, जहां पर काफी भयावह स्थिति थी। एक ही टेंट में दो लोग रहते थे। न खाने पीने का इंतजाम था और ना ही कपड़े बदलने के लिए कोई जगह, फिर देश की सुरक्षा के लिए लगाए गए कारगिल युद्ध में विजय पाना ही मकसद था। अपने साथ के साथियों का हौसला बुलंद रखना और उनका सहयोग करने से ही कारगिल मेें विजय मिली। कारगिल युद्ध में पार्टिसिपेशन मेडल और कारगिल ऑपरेशन स्टार से उन्हें सम्मानित किया गया है।

दुर्गम पहाडिय़ों में जियोग्रैफिकल को-आर्डिनेट पर की बमबारी

एयरफोर्स से वीआरएस ले चुके विंग कमांडर मुकेश तिवारी गोरखपुर के जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी हैं। मुकेश बताते हैं कि वह 1999 के कारगिल युद्ध में 'ऑपरेशन सफेद सागरÓ में बतौर स्क्वॉड्रन लीडर की भूमिका में रहे। उनकी पंजाब के आदमपुर में तैनाती थी। उन्होंने श्रीनगर से 'ऑपरेशन सफेद सागरÓ पार्टिसिपेट करते हुए उड़ानें भरीं। 18 मई 1999 को आदमपुर से श्रीनगर के लिए मूव किया। 25 मई से 'ऑपरेशन सफेद सागर' स्टार्ट हुआ तो और उन्होंने मिग-27 से उड़ान भरी। बुलंद हौसलों के साथ वे पहाडिय़ों की चोटियों के बीच कारगिल पहुंचे। मुकेश ने बताया, दुर्गम पहाडिय़ों में आंतकवादियों का सामना करना और उनके छिपे होने का डर तो था, लेकिन पहाडिय़ों के बीच उन्हें टारगेट करना ही हमारा मकसद था। उसके लिए हम लोगों ने जियोग्रैफिकल को-आर्डिनेट पर बमबारी शुरू कर दी। बमबारी के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया कि हमारे बीच के किसी भी साथी को कोई नुकसान न पहुंचे। हमारे साथ फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता भी बमबारी में शामिल थे, लेकिन वह दुश्मनों के टारगेट पर आ गए और दुश्मनों के शोल्डर फाइट मिसाइल के शिकार हो गए। उनका फाइटर प्लेन उनके एरिया में जा गिरा। यह देखकर हमने मिग-27 को पहाडिय़ों की हाइट 4.5 किमी से ऊपर ले जाकर करीब 7.8 किमी की उंचाइयों से बमबारी शुरू कर दी। दुश्मनों के कई ठिकानों को उड़ाया। उनके पास भी स्ट्रिंगर मिसाइल यानी शोल्डर फाइट मिसाइल थे। जिससे वह फायरिंग कर रहे थे। विंग कमांडर मुकेश तिवारी बताते हैं कि नचिकेता के साथ-साथ 17 स्क्वॉड्रन के फ्लाइट कमांडर अजय आहूजा भी शहीद हो गए। यह सबकुछ 26 जुलाई तक चलता रहा। इसी दिन सीजफायर करते हुए करगिल पर विजय प्राप्त की गई। वे बताते हैं कि कारगिल युद्ध में मिग-27 व मिग-29 फाइटर प्लेन इस्तेमाल किए गए थे। साथ ही एमआई-17 चीता हेलिकॉप्टर का भी यूज किया गया। कारगिल युद्ध में एक्टिव पॉर्टिसिपेशन पर विंग कमांडर मुकेश तिवारी को दो मेडल दिए गए।

आज शहीद परिवारों को करेंगे सम्मानित

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी विंग कमांडर मुकेश तिवारी ने बताया, गोरखपुर जिले के 25 शहीद परिवारों को कारगिल विजय दिवस पर मंगलवार को सम्मानित किया जाएगा। सभी के परिवारों को इसके लिए सूचित कर दिया गया है। कार्यक्रम जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में सुबह 10 बजे से होगा।

करगिल वार में शामिल सैनिक

नाम एड्रेस - सेक्टर

1-दिनेश कुमार - बाघागाड़ा - 1999 कारगिल वार ओपी विजय इन बटालिक सेक्टर (जे एंड के)

2- एस। श्रीवास्तव - गोला - जम्मू

3- कैप्टन सीके सिंह - कुड़ाघाट - कारगिल

4- बीके पांडेय- गोरखपुर - 1831 एफएलडी कारगिल वार

5- सुबेदार मेजर रामाश्रय लाल - गोरखपुर - एमएमसी, कारगिल वार

6- राजेश मिश्रा शौर्य चक्र - गोला - जे एंड के

7- मुकेश तिवारी - जिला सैनिक कल्याण पुनर्वास - फिलिंग पॉयलट मूव्ड टू श्रीनगर ऑन 17 मई 1999